आज के इस आधुनिक युग में सभी लोग हर समय कभी संगीत की धुन में तो कभी खबरों की, पिक्चरों की धुन में खोए हुए अपने कानों में बसी एयरफोन की दुनिया में ही खोये हुए रहते हैं। मगर क्या आप जानते हैं की यही इयरफोन अब धीरे धीरे मानवता के एक बहरे आयाम को जन्म दे रहे हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-
स्वास्थ्य : अकेले बैठे हुए, अपने में खोए हुए कानों में इयरफोन लगाए गाने सुनना। बारिश के मौसम में, सर्द रातों को, तन्हाई के मौसम में किन्हीं नज्मों को गुनगुनाना। हाय! कितना प्यारा लगता है ना। यह छोटा सा तार कितना काम आता है। मगर हाल ही में हुई रिसर्च हमको ये बतलाती हैं कि यह इयरफोन अंदर ही अंदर हमको बहरा कर रहे हैं।
अरे एडिटर से कोई गलती नहीं हुई। ऊपर सब कुछ बिल्कुल सही लिखा हुआ है और आपने भी बिल्कुल सही पढ़ा है । हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार भारत में लगभग 100 करोड़ से भी ज्यादा युवा इयरफोन से तेज आवाज में गाने सुनने के कारण हर पल बहरे होने के खतरे में हैं। 2021 कि एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की लगभग 1.7% जनसंख्या ने स्वयं अनुभव किया है कि इस सबके कारण उनके सुनने कि क्षमता काफी कम हुई है। तो बबुआ बात ऐसी है कि या तो आज कानों से ये तार निकाल लो नहीं तो तलवार तो लटक ही रही है, क्या पता कब गिर जाए। अब चाहे तेज आवाज से बहरे हो जाओ या तुम्हारे इयरफोन के बड्स में लगे बैक्टीरिया से। तुम्हारा बहरा होना तो लगभग निश्चित है। समस्या जानते हो कहां है हम लोगों को दो पल का सुकून ज्यादा पसंद है बजाय जीवन भर सन्नाटे में रहने के। हम लोग दुनिया को मौन देखना पसंद कर सकते हैं पर इयरफोन लगाना तो जरूरी है ना। हर साल लगभग 20,000 बच्चे भारत में जन्म से बहरे पैदा होते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यू.एच.ओ) के द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार 2050 तक विश्व का हर 4 में से 1 शख्स बहरेपन की समस्या का शिकार होगा ।
हां, मान सकते हैं की आधुनिकता के इस युग में कानों का उपयोग और ज्यादा बढ़ गया है। औसतन हर युवा आज दिन में लगभग 3 से 4 घंटे तक अपने इयरफोन का इस्तेमाल करता है। ये जरूरी भी है। मगर क्या हम अपने स्वास्थ्य की खातिर, अपने भविष्य की खातिर इस समय को घटा नहीं सकते ।
देश का भविष्य अगर बहरा होगा तो देश के विकास में भूमिका कौन निभाएगा ? अगर यह युवा ही आज सुनने से सुन्न हो गए तो देश कि पुकार कौन सुनेगा, देश कि आवाज कौन बनेगा ?