प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस में पसरा सन्नाटा

टिकट वितरण के बाद कांग्रेस पार्टी में मचा घमासान

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प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस में पसरा सन्नाटा

 

 

एंकर- राजस्थान की सात सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए भाजपा ने तो अपने रूठों को मना लिया है।‌ लेकिन टिकटों की घोषणा करते ही कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया है। इस घमासान को रोकने के लिए अब तक कांग्रेस की ओर से कोई प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं।

कहां तक जाएगी कांग्रेस की सिर फुटव्वल 
राजस्थान में 13 नवंबर को 7 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए आमने-सामने की तस्वीर अब साफ हो चुकी है। टिकट वितरण के बाद भाजपा में बगावत के सुर तेज हो गए थे। लेकिन बीजेपी अपनी बगावत को थाम चुकी है। लेकिन अब कांग्रेस में सिर फुटव्वल शुरू हो चुकी है। अब टिकट वितरण के बाद का यह गृह क्लेश कांग्रेस को कितना परेशान करेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के बाद कांग्रेस में सन्नाटा छाया हुआ है। ये सातों नाम किसने तय किए हैं और किसके कहने पर घोषित हुए हैं, ये एक रहस्य बना हुआ है। हालत ऐसी है कि सातों उम्मीदवारों को कांग्रेस का सिंबल दे दिया गया मगर उनके पक्ष में बयान देने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तक सामने नहीं आए। लोकसभा चुनाव के दौरान बना INDIA ब्लॉक राजस्थान उपचुनाव में टूट गया है। 

क्या गठबंधन टूटने से होगा कांग्रेस को नुकसान 
खींवसर सीट पर कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से गठबंधन नहीं करके खुद का उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है। खींवसर सीट से सवाई सिंह चौधरी की पत्नी रतन चौधरी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। सवाई सिंह पिछली विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में चले गए थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी पत्नी को उपचुनाव में टिकट दिया है। भाजपा नेता सवाई सिंह चौधरी ने पत्नी रतन चौधरी को टिकट मिलते ही बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है।
विधानसभा के आम चुनावों में कांग्रेस के टिकट बंटवारे और रणनीति को लेकर सियासी गलियारों में जितनी तारीफें की जा रही थीं, वह उपचुनावों में नजर नहीं आ रही है। इस्तीफे, भितरघात की धमकी और बगावत के साथ मैदान में मोर्चा तैयार करने वाले बयान पार्टी को परेशान कर रहे हैं। बीजेपी ने जल्दी टिकटों का ऐलान किया और समय रहते बगावत को थाम भी लिया है। लेकिन कांग्रेस में टिकटों के ऐलान के साथ ही जो बवाल शुरू हुआ है वह ना तो थमता हुआ नजर आ रहा है। और ना ही पार्टी के बड़े नेता इसे कम करने के प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं। इस मामले में बीजेपी जहां एकजुट नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस में बिखराव की स्थिति में दिख रही है।
देवली उनियारा सीट पर कांग्रेस की ओर  केसी मीणा को प्रत्याशी बनाया गया है। इसके बाद से कांग्रेस के कार्यकर्ता पूछ रहे हैं कि आखिर केसी मीणा कौन है। कांग्रेस पार्टी लगातार यह कह रही है कि कांग्रेस के सभी नेताओं ने मिलकर इस सीट पर टिकट फाइनल किया है।  लेकिन प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हो या सचिन पायलट हो या अशोक गहलोत, कोई भी नेता बताने के लिए तैयार नहीं है कि मीणा किसकी सिफ़ारिश से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बनाए गए हैं। इस सीट पर लगातार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉक्टर नमो नारायण मीणा भी दावेदारी जाता रहे थे। नमो नारायण ने अपने ही भाई पर धोखा देने का आरोप लगाया है। वहीं पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नरेश मीणा भी इस सीट पर दावेदारी कर रहे थे। 

परिवारवाद को लेकर कांग्रेस में फिर दिखी नाराजगी 
रामगढ़ और झुंझुनू में भी एक ही परिवार को टिकट दिए जाने को लेकर नाराजगी नजर आ रही है। हालांकि यहां अभी तक खुलकर कोई सामने नहीं आया है लेकिन भीतर ही भीतर परिवारवाद की चर्चा जरूर है, जिसे कांग्रेस से निष्कासित नेता राजेंद्र गुढ़ा जमकर हवा दे रहे हैं। 

सलूंबर में दिखाएं सांसद रघुवीर मीणा ने बगावती तेवर
सलूंबर सीट पर कांग्रेस ने रघुवीर मीणा और उनकी पत्नी का टिकट काटकर कांग्रेस की एक साधारण कार्यकर्ता रेशमा मीणा को मैदान में उतारा है। इसके बाद से लगातार बगावती सुर देखने को मिल रहे हैं। कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा तक दे दिया है। चौरासी विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस ने नए चेहरे पर दावा खेलते हुए महेश रोत को मैदान में उतारा है। इसके बाद से यहां भी बगावत तेज होती जा रही है।



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