राजस्थान की राजनीति में 2024 में कई उठापटक देखने को मिली। इस उठा पटक के बाद भी कई नेताओं पर पार्टी आलाकमान का भरोसा कायम रहा। कांग्रेस में प्रदेश के कई नेता ऐसे थे जिन्हें प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अहम जिम्मेदारियां सौंपी गई। राजस्थान में कांग्रेस सत्ता गंवाने के बाद विधानसभा में विपक्ष की भूमिका में नजर आई। कांग्रेस ने नए साल में प्रतिपक्ष में बैठने और जनता की आवाज उठाने का जिम्मा संभाला। राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर आलाकमान का भरोसा कायम रहा।
अशोक गहलोत को चुनावी अभियानों की कमान
राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत पर कांग्रेस आलाकमान का भरोसा यूं ही बरकरार रहा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बात करें तो पार्टी आलाकमान ने गहलोत को पहले हरियाणा चुनाव और फिर उसके बाद में महाराष्ट्र चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर बनाया। इससे पहले गहलोत गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी में भी सीनियर ऑब्जर्वर की भूमिका में नजर आए। अशोक गहलोत को महाराष्ट्र चुनाव में दो रीजन की सीटों पर सीनियर ऑब्जर्वर की जिम्मेदारी दी गई। वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया।
टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष और रामकेश मीणा को उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। वहीं दूसरी ओर रफिक खान को मुख्य सचेतक के रूप में नई जिम्मेदारी मिली। धीरज गुर्जर की राष्ट्रीय सचिव के रूप में दूसरी पारी की शुरुआत हुई। दिव्या मदेरणा और दानिश अबरार को राष्ट्रीय सचिव के पद से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में एंट्री मिली। 2024 में कांग्रेस में कई अहम बदलाव भी देखने को मिले।
पायलट बने राष्ट्रीय महासचिव
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की बात करें तो सचिन पायलट को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महासचिव के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही पायलट को छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी का जिम्मा भी दिया गया। पार्टी आलाकमान की और से सचिन पायलट को लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी बड़ी जिम्मेदारियां दी गई। सचिन पायलट ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाली। वायनाड में पहले राहुल गांधी और उसके बाद में प्रियंका गांधी के लिए प्रचार किया। महाराष्ट्र में मराठावाड़ा रीजन की 39 सीटों पर सीनियर ऑब्जर्वर की भूमिका निभाई।
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अध्यक्ष पद पर मारा चौका
राजस्थान में गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में रहे। बतौर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने चार साल पूरे किए। 2023 में सत्ता गंवाने के बाद में श्री करणपुर सीट पर हुए चुनाव में पार्टी ने जीत हासिल की। उसके बाद में लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपना दमखम दिखाया और कांग्रेस को 8 सीट मिली। भाजपा को प्रदेश में 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद में गोविंद सिंह डोटासरा एक मजबूत चेहरा बनाकर उभरें। लेकिन विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को 6 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस नेताओं पर रहा आलाकमान का भरोसा कायम
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता तो गंवाई, लेकिन 70 सीट मिली तो प्रतिपक्ष में मजबूती से जनता की आवाज उठाने का हौसला मिला। इस बीच अलवर ग्रामीण से विधानसभा चुनाव जीतकर आए टीकाराम जूली को पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी। विधानसभा के सदन में और बाहर भाजपा सरकार को घेरने में इस साल उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। वे पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थे। गंगापुर सिटी से विधायक रामकेश मीणा को पार्टी ने अहम जिम्मेदारी दी और विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बनाया। विधायक रफीक खान को भी अहम जिम्मेदारी मिली उन्हें मुख्य सचेतक बनाया गया। दोनों की नियुक्ति के साथ में पार्टी ने जातिगत समीकरण को भी साधने की कोशिश की। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में दिव्या मदेरणा और दानिश अबरार की एंट्री हुई। दोनों को संगठन में राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। धीरज गुर्जर को कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में दूसरी पारी खेलने का मौका मिला। धीरज गुर्जर दूसरी बार राष्ट्रीय सचिव बनाए गए।