क्या सचिन पायलट-हरीश मीणा की जोड़ी लगाएगी हैट्रिक?
राजस्थान की 7 सीटों पर आगामी 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। सचिन पायलट के गढ़ टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट पर भी इस दिन मतदान होगा। सचिन पायलट की वजह से देवली उनियारा विधानसभा सीट को लेकर सियासत के गलियारों में सुर्खियां तेज हो गई है। क्योंकि इस सीट पर भाजपा अपनी जीत को लेकर तरस रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतने वाले हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर क्या सचिन पायलट और हरीश मीणा की जोड़ी जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब होगी या फिर सत्ताधारी भाजपा 11 साल बाद जीत का परचम लहराएगी।
देवली उनियारा में बीजेपी लहरा पाएंगी जीत का परचम
राजस्थान में उपचुनाव की घोषणा के बाद भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ अन्य पार्टियों भी सक्रिय हो गई है। देवली उनियारा सीट टोंक जिले में आती है। और टोंक सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है। यहां से विधायक रहे हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद क्या सीट खाली हो चुकी है। सचिन पायलट और हरीश मीणा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। टोंक विधायक सचिन पायलट और हरीश मीणा की मजबूत जोड़ी ने बीजेपी को हर बार करारी शिकस्त दी है। ऐसे में सियासी सवाल उठ रहा है, क्या उपचुनाव में बीजेपी पायलट और मीणा की मजबूत जोड़ी के कब्जे से देवली उनियारा की सीट को निकाल पाएगी?
देवली उनियारा विधानसभा सीट का इतिहास रहा हैं यहां से एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। लेकिन जब से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने टोंक को अपना गढ़ बनाया तब से यहां के सियासी समीकरण ही बदल चुके हैं। देवली उनियारा का 3 दशकों से चला आ रहा इतिहास बदल चुका है। एक बार कांग्रेस और एक बीजेपी का रिकॉर्ड टूट चुका है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पायलट ने टोंक से चुनाव लड़ा और हरीश मीणा ने देवली उनियारा से चुनाव लड़ा था। जिसमें दोनों ही नेताओं ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार 2023 में देवली उनियारा सीट पर पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए हरीश मीणा ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। यही नहीं लोकसभा चुनाव में हरीश मीणा ने सांसद का चुनाव लड़ा और लगातार दो बार के सांसद रह चुके बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनपुरिया को पटखनी दे डाली।
उपचुनाव में कौन किस पर होगा भारी
देवली उनियारा सीट पर जीत दर्ज करने के लिए भाजपा ने अपनी कमर कस ली है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने समितियों का गठन किया है। टिकट की दावेदारी के लिए दावेदारों ने दिल्ली से लेकर जयपुर तक की दौड़ लगाना शुरु कर दी है। कांग्रेस की हरीश मीणा ने भाजपा की विजय बैंसला को विधानसभा चुनाव में 19 हजार 175 वोटो से हराया था। देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में कुल 3 लाख 2 हजार 721 मतदाता हैं. हाल ही के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में 1 लाख 80 हजार 17 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुष मतदाताओं ने 95 हजार 992 और महिला मतदाताओं ने 84 हजार 24 वोट डाले थे।
परिसीमन से पहले इस सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां से 1952 से 1957 तक आरआरपी के राव राजा सरदार सिंह विधायक रहे। उसके बाद इस सीट पर 1962 से 1967 में एसडब्लूटी के दिग्विजय सिंह ने जीत हासिल की और विधायक बने। 1972 में कांग्रेस के राव राजेंद्र सिंह यहां से विधायक बने। 1977 में जेपी के दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर चुनाव जीता और वह विधायक बने। 1980 में कांग्रेस के रामलाल गुर्जर ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 1985 में जेपी के दिग्विजय सिंह एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरे और विधायक बने। 1990 में दिग्विजय सिंह ने पार्टी बदली और जेडी से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1993 में पहली बार भाजपा के उम्मीदवार जगदीश मीणा यहां से विधायक बने। 1998 में दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में भाजपा के प्रभु लाल सैनी विधायक बने।
2008 में परिसीमन के बाद देवली उनियारा विधानसभा सीट बनी। और 2008 में इस सीट पर कांग्रेस की रामनारायण मीणा ने जीत हासिल की। 2008 में फिर विधानसभा चुनाव हुए और इस बार इस सीट पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया। 2008 में राजेंद्र गुर्जर यहां से विधायक बने। 2018 और 2023 में कांग्रेस के हरीश मीणा ने यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से वर्तमान में पूर्व सांसद नमो नारायण मीणा, पूर्व विधायक राम नारायण मीणा जो कि 2008 से 2013 तक इसी सीट से विधायक रहे व विधानसभा उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा प्रियंका गांधी के नजदीकी माने जाने वाले धीरज गुर्जर और नरेश मीणा मुख्य तौर पर दावेदार के रूप में देख जा रहे हैं. वहीं, हनुमंत मीणा, जो सांसद हरीश मीणा के बेटे हैं और राम सिंह मीणा का नाम भी चर्चा में है।
भाजपा की ओर से 2013 से 2018 तक इसी सीट से विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर ओर 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी विजय बैंसला के नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं. वहीं, अलका सिंह गुर्जर, विक्रम सिंह गुर्जर, सीताराम पोसवाल, प्रभुलाल सैनी भी टिकट की रेस में शामिल हैं।
देवली-उनियारा विधानसभा सीट के पिछले आंकड़ों पर नजर डाले तो 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद यहां से बीजेपी का कोई भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाय है। देवली सीट पर गुर्जर और मीणा वोटर्स का बाहुल्य माना जाता है। लिहाजा, यहां से बीजेपी हमेशा गुर्जर और कांग्रेस हमेशा मीणा उम्मीदवार को ही टिकट देती है। लेकिन 2018 के बाद से इस सीट पर मीणा उम्मीदवार गुर्जरों पर भारी रहा है। 2018 में कांग्रेस के हरीश मीणा ने बीजेपी के पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को पराजित किया था। और यहां से विधायक बने थे। इसके बाद 2023 में हुए चुनाव में भी हरीश मीणा ने कर्नल किरोड़ी बैसला के बेटे विजय बैसला को हराया था।