कांग्रेस दे सकती है परिवार में ही टिकट 

राजस्थान उपचुनाव में परिवार के भरोसे कांग्रेस 

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कांग्रेस दे सकती है परिवार में ही टिकट 

 

 

 

राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। करीब एक साल के अंतराल में राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर फिर से विधायक के चुनाव होने जा रहे हैं। प्रदेश की झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूम्बर और रामगढ़ विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को चुनाव होंगे और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। राजनीति में परिवारवाद को लेकर हल्ला भले ही मचे, लेकिन राजनीतिक दल परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पा रहे। विधानसभा उप चुनाव में भाजपा ने दो टिकट परिवारवाद में दिए हैं। तो कांग्रेस भी दो टिकट बड़े नेताओं के परिवार में ही देने की तैयारी में हैं।

 

भाजपा पहले ही परिवार को उतार चुकी है मैदान में 
भारतीय जनता पार्टी 6 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर चुकी है. इनमें से दौसा में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा और सलूंबर में पूर्व विधायक स्वर्गीय अमृतलाल मीणा की पत्नी सविता देवी मीणा को दिया गया है. इन दोनों टिकटों को लेकर भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगाया जा चुका है। इस बीच में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी यह कह चुके हैं कि कांग्रेस को नेताजी के परिवार से कोई ऐतराज नहीं होगा। यदि किसी नेता की संतान अच्छा काम कर रही है तो उसे टिकट देने में कोई बुराई नहीं है। रंधावा ने कहा कि मैं भी परिवारवाद से आता हूं मेरा पिता भी मंत्री और पीसीसी के अध्यक्ष रहे थे। 
रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक जुबेर खान के पुत्र आर्यन जुबेर खान को तो झुंझुंनूं सीट पर सांसद बृजेन्द्र ओला के पुत्र अमित ओला को टिकट देने पर विचार कर रही है।

 

कांग्रेस भी परिवार में ही खेलेगी दांव 
राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है और इन सातों सीटों पर कांग्रेस नेताओं के परिजन दावेदारी करते हुए नजर आ रहे हैं। शेखावाटी की बात करें तो यहां दिग्गज कांग्रेसी परिवार ओला की पहचान रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय शीशराम ओला के बाद उनके बेटे बृजेंद्र ओला ने इस विरासत को संभाल। और अब  उपचुनाव बृजेंद्र ओला की पत्नी और बेटे अमित ओला का नाम सुर्खियों में बना हुआ है। 
दोसा सीट की बात करें तो यहां मौजूदा सांसद मुरारी लाल मीणा के परिवार की दावेदारी सामने आ रही है। दोसा सीट का मुरारी लाल मीणा तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उपचुनाव में इस सीट पर मुरारी लाल मीणा की पत्नी  सरिता मीणा और उनकी बेटी का नाम सामने आ रहा है। 

वंशवाद की राजनीति पर भाजपा और कांग्रेस
रामगढ़ सीट की बात करें तो यहां पर अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में जुबेर खान और उनके परिवार का नाम सबसे ऊपर रहता है। कांग्रेस ने इस पहचान के दम पर ही कई बार रामगढ़ के किले को जीता है। इस सीट पर जुबेर खान के छोटे बेटे आर्यन जुबेर खान का नाम सबसे आगे है। जुबेर खान के बड़े बेटे आदिल और उनकी पत्नी साफिया का नाम चर्चा में बना हुआ है।
टोंक जिले में सचिन पायलट के प्रभुत्व वाली देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर हरीश मीणा और उनके परिवार की दावेदारी रही है इस दफा हरीश मीणा के एमपी बनने के बाद उनके परिवार की मजबूत दावेदारी सीट पर सामने आई है. दावेदारों में नमो नारायण मीणा का नाम अग्रिम पंक्ति में है, तो हरीश मीणा के बेटे हनुमंत मीणा का नाम भी दावेदारों में शुमार है।
जाट सीट के रूप में खींवसर विधानसभा क्षेत्र की पहचान रही है रामनिवास मिर्धा की राजनीतिक विरासत भी इस सीट पर वक्त वक्त पर दावेदारी जताती रही है. रामनिवास मिर्धा के पुत्र हरेंद्र मिर्धा हनुमान बेनीवाल से इस सीट पर चुनाव हार चुके हैं।
सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए अगले महीने 13 तारीख को वोट डाले जाएंगे. कांग्रेस बीते डेढ़ दशक से इन सीटों पर कांग्रेस जीत तलाश कर रही है. बीते कुछ चुनाव में सलूंबर से मेवाड़ के जाने-माने आदिवासी चेहरे रघुवीर मीणा और उनकी पत्नी बसंती मीणा अपना दावा जताते रहे हैं।