अडानी की पवन ऊर्जा परियोजना पर संकट, जेवीपी ने रद्द करने की दी चेतावनी

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Edited by : Kritika

भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने उन्हें झटका दिया, फिर केन्या में उनके सबसे बड़े एयरपोर्ट का ठेका अटक गया। अब श्रीलंका से एक और चिंताजनक खबर सामने आई है, जहां अडानी का करोड़ों का निवेश दांव पर है। श्रीलंका की मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी ने घोषणा की है कि अगर वह आगामी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करती है, तो अडानी समूह की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द कर देगी।

जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके, जो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं, ने कहा कि यह परियोजना श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है और उनकी सरकार इसे रद्द करेगी। जेवीपी का इतिहास भारत-विरोधी रहा है, खासकर 1980 के दशक में भारत-श्रीलंका शांति समझौते के दौरान।

अडानी समूह ने श्रीलंका में 484 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना के विकास के लिए लगभग 3700 करोड़ रुपये का निवेश किया है। हालांकि, इस परियोजना को लेकर कानूनी चुनौतियां भी सामने आई हैं, और अगर सरकार बदलती है, तो यह परियोजना खतरे में पड़ सकती है।

अडानी ग्रुप क्या कह रही?

इस मामले में मुख्य विवाद यह है कि क्या हवाई अड्डे जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय ढांचे का नियंत्रण किसी विदेशी कंपनी को सौंपा जाना चाहिए या नहीं. केन्या के स्थानीय अधिकारियों और कार्यकर्ताओं का तर्क है कि इस हवाई अड्डे का प्रबंधन केन्या के पास ही रहना चाहिए, ताकि इसके संचालन में किसी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप न हो. दूसरी ओर, अडानी समूह का तर्क है कि उनके निवेश से हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण होगा और यह अफ्रीका के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक के रूप में और बेहतर तरीके से काम कर सकेगा.

अडानी के लिए कितना फायदेमंद है ये डील?

अडानी समूह पहले से ही हवाई अड्डों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और भारत के कई बड़े हवाई अड्डों का संचालन कर रहा है. अडानी समूह का यह मानना है कि केन्या के हवाई अड्डे में निवेश करने से उन्हें अफ्रीकी बाजार में पैर जमाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी कंपनी की वैश्विक उपस्थिति बढ़ेगी. इसके साथ ही यह निवेश अफ्रीका के अन्य देशों में भी भविष्य के विस्तार की संभावनाओं को खोल सकता है.