जयपुर : राजस्थान विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग तथा पंचवर्षीय विधि महाविद्यालय द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा में विधि एवं न्याय की अवधारणा विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ सफल समापन. तीसरे दिन 4 सत्रों में 100 शोध पत्रों का वाचन किया गया.
समापन समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष तथा राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र रहे डॉ. सतीश पूनिया ने अपने वक्तव्य में राजस्थान विश्वविद्यालय से जुड़े अपने संस्मरण साझा करते हुए भारतीय संस्कृति तथा भारतीयता की अवधारणा में संस्कृत के स्थान पार टिप्पणी करते हुए विश्व पटल पर संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परम्परा को मिल रही पहचान पर प्रकाश डाला. डा. पूनिया ने भारतीय विधि तथा दंड प्रणाली की उत्कृष्टता को रेखांकित करते हुए भारतीय न्याय संहिता 2023 के महत्व को भी रेखांकित किया. समारोह में न्यू जर्सी अमेरिका के वेद विद्वान तथा चिकित्सा शास्त्री डा. रमेश गुप्ता ने वैदिक सभ्यता के इतिहास पर व्याख्यान देते हुए भारतीय सभ्यता और संस्कृत साहित्य के इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला.
समारोह के विशिष्ठ अतिथि जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे ने वेद को ब्रह्माण्ड भर का संविधान बताया. प्रो. दुबे ने भावी अधिवक्ताओं को शास्त्रों से उद्धरण देते हुए बताया कि किस प्रकार सत्य और शर्मा के पक्ष में तर्क तथा विधि का प्रयोग करना ही न्याय है.
समापन समारोह के सारस्वत अतिथि तथा भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव तथा प्रख्यात चिंतक प्रो. सच्चिदानंद मिस्र ने विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया. प्रो. मिस्र ने संविधान तथा दंडनीति के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि विधि तथा संविधान के बिना मत्स्य न्याय तथा अराजकता की स्थिति हो जाएगी. प्रो. मिस्र ने कहा कि विद्वानों तथा नीति निर्माताओं का दायित्व है कि यह पहचान करें कि प्राचीन दंड प्रणाली के वे कौन से तत्व हैं जो वर्तमान न्याय व्यवस्था में लुप्त हो गए हैं.
भारतीय ज्ञान परंपरा एवं संस्कृति को सारे विश्व में मिल रही मान्यता : डा. सतीश पूनिया
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REET EXAM को लेकर अभ्यर्थियों का इंतजार हो रहा लंबा! बोर्ड को सरकारी अप्रुवल का इंतजार
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि रीट का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। करीब 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बोर्ड की तरफ से अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है । ऐसा माना जा रहा है कि बोर्ड सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रहा है । आपको बता दें कि शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों जनवरी में परीक्षा करवाने की घोषणा की थी । लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने फरवरी में परीक्षा करवाने की घोषणा कर दी।
इस घोषणा के बाद से अभी तक परीक्षा की कोई आवेदन तिथि जारी नहीं की गई है, इससे बेरोजगार अभ्यर्थी निराश हो गए हैं, और इसको लेकर उनमें आक्रोश है। सरकार का दावा है कि रीट परीक्षा फरवरी माह में करवाई जाएगी , और उनका ये भी कहना है कि इस माह नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। अगर इस परीक्षा को फरवरी में आयोजित करवाया जाता है , तो अभ्यर्थियों के पास आवेदन की अंतिम तिथि से लगभग एक माह का ही समय बचेगा । जो पिछले सालों की तुलना में बहुत कम है। आपको बता दें कि पिछले 7 सालों में इतना कम समय कभी नहीं मिला है। बीते सात साल में 3 बार रीट परीक्षा का आयोजन हुआ ।
2017 में आवेदन की अंतिम तिथि के बाद करीब 72 दिन का समय दिया गया था
आपको बता दें कि साल 2017 में आवेदन की अंतिम तिथि के बाद करीब 72 दिन का समय दिया गया था ,साल 2021 में 229 दिन का , वहीं साल 2022 में परीक्षा के लिए 70 दिन का समय दिया गया था । अगर देखा जाए तो फरवरी में परीक्षा का आयोजन करवाना सरकार के लिए चुनौती भरा रहेगा , क्योंकि पहले इतना कम समय कभी नहीं मिला है । पिछले तीनों बार परीक्षा के लिए 2 माह से ज्यादा का समय मिला है । बोर्ड ने अभी तक रीट परीक्षा के नोटिफिकेशन से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी है । यह माना जा रहा है कि सरकार की पहली वर्षगांठ पर रीट की घोषणा की जा सकती है । आपको बता दें कि 15 दिसंबर को सरकार की पहली वर्षगांठ है, इसके बाद परीक्षा का नोटिफिकेशन कभी भी जारी किया जा सकता है । आवेदन करने के लिए युवाओं को करीब 25 से 30 दिन का समय दिया जाएगा । पिछले सालों में हुई रीट परीक्षा की स्थिति को देखा जाए तो , रीट- 2017 के लिए 6 नवम्बर से 30 नवम्बर 2017 तक आवेदन लिए गए थे, जबकि परीक्षा 11 फरवरी 2018 को आयोजित की गई थी। इसमें आवेदन की अंतिम तिथि से परीक्षा तक अभ्यर्थियों को 72 दिन का समय मिला था ।
रीट -2021 के लिए 11 जनवरी से 8 फरवरी तक आवेदन लिए गए थे
रीट -2021 के लिए 11 जनवरी से 8 फरवरी तक आवेदन लिए गए थे, जबकि परीक्षा का आयोजन 26 सितंबर 2021 को हुआ था । आपको बता दें कि साल 2021 में पहले तो परीक्षा की तिथि, 25 अप्रैल घोषित की गई थी , लेकिन बाद में इसको स्थगित कर 26 सितंबर कर दिया गया था। इसमें परीक्षार्थियों को लगभग 229 दिन का समय मिला था । फिर रीट -2022 के लिए आवेदन 18 अप्रैल से 13 मई तक लिए गए थे , लेकिन परीक्षा का आयोजन 23 और 24 जुलाई 2022 को हुआ । आपको बता दें कि साल 2022 में पहली बार परीक्षा का आयोजन 2 दिन तक हुआ था। इसमें परीक्षार्थियों को लगभग 70 दिन का समय मिला था । लेकिन इस बार यह अनुमान लगाया जा रहा है कि परीक्षार्थियों को करीब 1 माह का ही समय मिलेगा, जो पिछले सालों की तुलना में बहुत कम है ।
कांग्रेस व बीजेपी की दोनो ही सरकारें रीट परीक्षा को समय पर करवाने में असफल रही है
इसमें सबसे खास बात ये है कि प्रदेश की सरकार वो फिर चाहे कांग्रेस की हो या फिर बीजेपी की दोनो ही सरकारें रीट परीक्षा को समय पर करवाने में असफल रही है जिसमें भी कांग्रेस राज में एक बार तो रीट परीक्षा का पेपर भी आउट हा गया था जबकि एनसीटीइ यानी National Council for Teacher Education के सर्कुलर के अनुसार रीट परीक्षा को हर साल आयोजित करवाया जाए और इसकी जवाबदारी राज्य सरकार की है। इतना ही नही रीट परीक्षा से प्रदेश के करीब 20 लाख युवा प्रभावित होते है ऐसे में ये कहा जाना कतई गलत नहीं होगा कि सरकारे बनाने और गिराने में रीट परीक्षा का अहम योगदान रहता है।
कब खत्म होगा बेरोजगार अभ्यर्थियों का इंतजार, कब जारी होगा रीट परीक्षा का नोटिफिकेशन
Reet exam notification 2024 : बोर्ड कर रहा है सरकार के निर्देशों का इंतजार अभी तक राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि रीट का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। करीब 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बोर्ड की तरफ से अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है । ऐसा माना जा रहा है कि बोर्ड सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रहा है । आपको बता दें कि शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों जनवरी में परीक्षा करवाने की घोषणा की थी । लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने फरवरी में परीक्षा करवाने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद से अभी तक परीक्षा की कोई आवेदन तिथि जारी नहीं की गई है, इससे बेरोजगार अभ्यर्थी निराश हो गए हैं, और इसको लेकर उनमें आक्रोश है।
अगर परीक्षा फरवरी में , तो अभ्यर्थियों को मिलेगा 1 माह का समय सरकार का दावा है कि रीट परीक्षा फरवरी माह में करवाई जाएगी , और उनका ये भी कहना है कि इस माह नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। अगर इस परीक्षा को फरवरी में आयोजित करवाया जाता है , तो अभ्यर्थियों के पास आवेदन की अंतिम तिथि से लगभग एक माह का ही समय बचेगा । जो पिछले सालों की तुलना में बहुत कम है। आपको बता दें कि पिछले 7 सालों में इतना कम समय कभी नहीं मिला है। बीते सात साल में 3 बार रीट परीक्षा का आयोजन हुआ । आपको बता दें कि साल 2017 में आवेदन की अंतिम तिथि के बाद करीब 72 दिन का समय दिया गया था , साल 2021 में 229 दिन का , वहीं साल 2022 में परीक्षा के लिए 70 दिन का समय दिया गया था । अगर देखा जाए तो फरवरी में परीक्षा का आयोजन करवाना सरकार के लिए चुनौती भरा रहेगा , क्योंकि पहले इतना कम समय कभी नहीं मिला है । पिछले तीनों बार परीक्षा के लिए 2 माह से ज्यादा का समय मिला है ।
सरकार अपनी पहली वर्षगांठ पर जारी कर सकती है नोटिफिकेशन बोर्ड ने अभी तक रीट परीक्षा के नोटिफिकेशन से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी है । यह माना जा रहा है कि सरकार की पहली वर्षगांठ पर रीट की घोषणा की जा सकती है । आपको बता दें कि 15 दिसंबर को सरकार की पहली वर्षगांठ है, इसके बाद परीक्षा का नोटिफिकेशन कभी भी जारी किया जा सकता है । आवेदन करने के लिए युवाओं को करीब 25 से 30 दिन का समय दिया जाएगा ।
क्या रही पिछले सालों में रीट की स्थिति पिछले सालों में हुई रीट परीक्षा की स्थिति को देखा जाए तो , रीट- 2017 के लिए 6 नवम्बर से 30 नवम्बर 2017 तक आवेदन लिए गए थे, जबकि परीक्षा 11 फरवरी 2018 को आयोजित की गई थी। इसमें आवेदन की अंतिम तिथि से परीक्षा तक अभ्यर्थियों को 72 दिन का समय मिला था । वहीं रीट -2021 के लिए 11 जनवरी से 8 फरवरी तक आवेदन लिए गए थे, जबकि परीक्षा का आयोजन 26 सितंबर 2021 को हुआ था । आपको बता दें कि साल 2021 में पहले तो परीक्षा की तिथि, 25 अप्रैल घोषित की गई थी , लेकिन बाद में इसको स्थगित कर 26 सितंबर कर दिया गया था। इसमें परीक्षार्थियों को लगभग 229 दिन का समय मिला था । फिर रीट -2022 के लिए आवेदन 18 अप्रैल से 13 मई तक लिए गए थे , लेकिन परीक्षा का आयोजन 23 और 24 जुलाई 2022 को हुआ । आपको बता दें कि साल 2022 में पहली बार परीक्षा का आयोजन 2 दिन तक हुआ था। इसमें परीक्षार्थियों को लगभग 70 दिन का समय मिला था । लेकिन इस बार यह अनुमान लगाया जा रहा है कि परीक्षार्थियों को करीब 1 माह का ही समय मिलेगा, जो पिछले सालों की तुलना में बहुत कम है ।
[रिपोर्ट- कोमल कुमावत]
राजस्थान के शिक्षा विभाग में किताबों की खरीद फरोख्त में 300 करोड़ से ज्यादा का झोल!
Rajasthan news: डेढ़ गुना भाव में कागज खरीद रहा राजस्थान राजस्थान में सरकारी विद्यालयों में निशुल्क बंटने वाली किताबों के लिए कागज की खरीद में बहुत बड़ा झोल चल रहा है । जो कागज ncert और बाजार में कम भाव में मिल रहा है, उसे राजस्थान में डेढ़ गुना भाव में खरीदा जा रहा है । पाठयपुस्तक मंडल के द्वारा टेंडर के लिए जो शर्तें निकाली गई हैं, वो शर्तें कुछ चुनिंदा मिलें ही पूरा करती हैं। और बाकी मिलें इस प्रक्रिया से बाहर हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप किताबों के लिये कागज की खरीद में मोनोपॉली यानी एकाधिकार चलता है, जिससे कागज बहुत महंगा मिल रहा है
जो शर्तें पहले भ्रष्टाचार बताई जा रही थी, अब उन्हीं शर्तों के साथ निकला टेंडर रिपोर्ट्स के अनुसार, ncert ने इस साल 69 रुपए किलो की दर से कागज खरीदा है, जबकि राजस्थान के पाठयपुस्तक मंडल द्वारा यही कागज लगभग 90 रूपए किलो की दर से टेंडर से खरीदा गया है। जब 6 साल के दस्तावेज और बिल देखे गए, तो पता चला कि पिछले 6 सालों से लगातार महंगा कागज ही खरीदा जा रहा है , जिससे लगभग 300 करोड़ से ज्यादा का झोल हो चुका है। आपको बता दें कि जब राज्य में भाजपा की सरकार नहीं थी , तो राजेन्द्र राठौड़ के द्वारा इन शर्तों को दूसरे राज्यों की 3 - 4 मिलों को फायदा पहुंचाने वाली बताया गया था , ओर इसे भ्रष्टाचार का नाम दिया गया था । लेकिन जब इस बार राज्य में भाजपा की सरकार है, तो उन्हीं शर्तों के साथ कागज की खरीद का टेंडर निकाल दिया गया है।
क्या हैं पाठयपुस्तक मंडल की शर्तें आपको बता दें कि पाठयपुस्तक मंडल की 2 प्रमुख शर्तें हैं, पहली शर्त : मिल द्वारा प्रति वर्ष 45 हजार मेट्रिक टन कागज का उत्पादन जरूरी है। पाठयपुस्तक मंडल प्रतिवर्ष औसतन 20 से 22 हजार मेट्रिक टन कागज खरीदता है। यह पेपर सिर्फ 3-4 मिलों से ही खरीदा जाता है, यानी एक मिल से औसतन 5 से 10 हजार मेट्रिक टन की ही खरीद होती है। इसलिए यह शर्त चौंकाने वाली है । पहले यह सीमा 25 हजार मेट्रिक टन थी। तब ज्यादा मिलें टेंडर प्रकिया में भाग ले पाती थीं। और इससे कम दामों में अच्छा कागज मिलता था। दूसरी शर्त : कागज का वर्जिन पल्प से बना होना जरूरी है । आपको बता दे कि कागज 3 तरह से बनता है । पहला गेहूं और चावल की भूसी से, यही वर्जिन पल्प पेपर है। दूसरा पेड़ों की लकड़ी और छाल से जिसे वुड पल्प पेपर भी कहते हैं। और तीसरा रद्दी से रीसाइकल पेपर । तीनों ही कागजों को समान बीआईएस मार्का (1848:1991) मिलता है। आईआईटी रुड़की के पेपर टेक्नोलॉजी विभाग के मुताबिक, समान मार्का वाले कागज की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं होता है। वन संरक्षण के लिए केंदीय पर्यावरण मंत्रालय ने 2018 में रीसाइकल पेपर को इस्तेमाल करने के निर्देश दिए थे। Ncert भी ये ही कागज खरीदती है, लेकिन राजस्थान में अच्छी गुणवत्ता वाले वर्जिन पल्प पेपर की आड़ में डेढ़ गुना महंगा कागज खरीदने का खेल खेला जा रहा है ।
कागज की खरीददारी पर मंत्री दिलावर का बयान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कागज की खरीदी के बारे में बोलते हुए कहा कि , बाजार में कई क्वालिटी का पेपर मौजूद है। लेकिन जो पेपर बच्चों के लिए बेहतर है हम वही खरीद रहे हैं।
विशेष कमेटी का कोई फायदा नहीं मंडल ने टेंडर प्रक्रिया के लिए कुछ नियम बनाए हैं, जिनके अनुसार कोई भी मिल बाजार में कागज की कीमतें कम होने पर नए घटे हुए दाम में ही कागज बेचेगी। पाठयपुस्तक मंडल बाजार के भाव से अपडेट रहे , इसके लिए एक विशेष कमेटी बनाई हुई है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है । कमेटी के होने के बावजूद भी मंडल ने 2023 -24 में कागज 91.10 रुपए प्रति किलो के भाव से खरीदी गई, जबकि उस समय कुछ मिलों ने लगभग 47 रूपए प्रति किलो के भाव से कागज बेचा था। यानी इस खरीददारी में प्रति किलो लगभग 44 रूपए का नुकसान हुआ। पिछले साल विभाग ने लगभग 21.5 हजार मेट्रिक टन कागज खरीदा था। इस हिसाब से 94 करोड़ से ज्यादा का नुकसान सिर्फ एक साल में हुआ। अब सवाल ये है कि किताबों में ये घालमेल कब तक जारी रहता है।
[रिपोर्ट- कोमल कुमावत]
भारतीय ज्ञान परंपरा एवं संस्कृति को सारे विश्व में मिल रही मान्यता : डा. सतीश पूनिया
जयपुर : राजस्थान विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग तथा पंचवर्षीय विधि महाविद्यालय द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा में विधि एवं न्याय की अवधारणा विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ सफल समापन. तीसरे दिन 4 सत्रों में 100 शोध पत्रों का वाचन किया गया. समापन समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष तथा राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र रहे डॉ. सतीश पूनिया ने अपने वक्तव्य में राजस्थान विश्वविद्यालय से जुड़े अपने संस्मरण साझा करते हुए भारतीय संस्कृति तथा भारतीयता की अवधारणा में संस्कृत के स्थान पार टिप्पणी करते हुए विश्व पटल पर संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परम्परा को मिल रही पहचान पर प्रकाश डाला. डा. पूनिया ने भारतीय विधि तथा दंड प्रणाली की उत्कृष्टता को रेखांकित करते हुए भारतीय न्याय संहिता 2023 के महत्व को भी रेखांकित किया. समारोह में न्यू जर्सी अमेरिका के वेद विद्वान तथा चिकित्सा शास्त्री डा. रमेश गुप्ता ने वैदिक सभ्यता के इतिहास पर व्याख्यान देते हुए भारतीय सभ्यता और संस्कृत साहित्य के इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला. समारोह के विशिष्ठ अतिथि जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम सेवक दुबे ने वेद को ब्रह्माण्ड भर का संविधान बताया. प्रो. दुबे ने भावी अधिवक्ताओं को शास्त्रों से उद्धरण देते हुए बताया कि किस प्रकार सत्य और शर्मा के पक्ष में तर्क तथा विधि का प्रयोग करना ही न्याय है. समापन समारोह के सारस्वत अतिथि तथा भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव तथा प्रख्यात चिंतक प्रो. सच्चिदानंद मिस्र ने विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया. प्रो. मिस्र ने संविधान तथा दंडनीति के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि विधि तथा संविधान के बिना मत्स्य न्याय तथा अराजकता की स्थिति हो जाएगी. प्रो. मिस्र ने कहा कि विद्वानों तथा नीति निर्माताओं का दायित्व है कि यह पहचान करें कि प्राचीन दंड प्रणाली के वे कौन से तत्व हैं जो वर्तमान न्याय व्यवस्था में लुप्त हो गए हैं.
NCTE के नए आदेश से राजस्थान के कॉलेजों की उम्मीदों को तगड़ा झटका
जयपुर : राजस्थान अब भी शिक्षा के क्षेत्र में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाया है। राजस्थान की टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज उच्च स्तर की नहीं बन पायी है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि NCTE यानी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा एजुकेशन सेशन 2025- 26 से चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स को बंद करने और नए इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम की मान्यता के लिए कॉलेजों से आवेदन मांगे थे। आपको बता दें इस क्रम में देश भर से 334 टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए हैं अफसोस तो इस बात का है इनमें से 292 टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज राजस्थान के हैं। एक नजर डालें तो राजस्थान के 33 जिलों में से जयपुर के 32, नागौर के 36, सीकर के 28 और बाकी राज्यों से भी बड़ी संख्या में कॉलेजों के आवेदन निरस्त कर दिए गए। क्योंकि NCTEके मानकों पर राजस्थान के कॉलेज खरे नहीं उतर पाए,औरNCTEI ने स्पष्ट कर दिया है कि टीचर ट्रेनिंग के लिए मानकों में किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी।
अब सवाल ये है कि राजस्थान इतना बड़ा एजुकेशन हब होने के बावजूद भी इतना पीछे क्यों है? क्या सरकार इस मामले पर गौर नहीं कर रही या कॉलेजों की मनमानियां इस बात की जिम्मेदार है।
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(रिपोर्ट: पवन गौड़)