रेलवे बोर्ड उप के प्रयागराज और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर बच्चों के मनोरंजन के लिए गेमिंग ज़ोन बनाने जा रहा है। इसके अलावा भी इन दोनों स्टेशनों पर अन्य आधुनिक सुविधाओं का इंतेजाम किया जाएगा। इसके लिए 960 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया है और रेलवे का लक्ष्य है कि महाकुंभ 2025 से पहले इनका विकास पूरा कर लिए जाए।
उत्तर प्रदेश : उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज जंक्शन और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उत्तर प्रदेश सरकार आने वाले समय में दो गेमिंग ज़ोन बनाने वाली है। इन गेमिंग ज़ोन के बनने से स्टेशन पर अपनी ट्रेन का इंतज़ार कर रहे अभिभावकों की परेशानियाँ भी कम हो जाएंगी। स्टेशन पर बच्चों के मनोरंजन के लिए बनाए जा रहे ये गेमिंग ज़ोन सफर की थकावट और चिड़चिड़ेपन से बच्चों को दूर रखेंगे।
रेलवे बोर्ड इन दोनों स्टेशनों के पुनर्विकास का काम कर रहा है। इसके तहत इन दोनों स्टेशनों को एयरपोर्ट की ही तरह आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने 960 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया है। गेमिंग ज़ोन विकास के तहत दोनों स्टेशनों पर गेमिंग ज़ोन के साथ-साथ गेमिंग पार्क भी विकसित किये जाएंगे। इन गेमिंग जोनों में बच्चों के खेलने और मनोरंजन से जुड़ी हर सुविधा का ख्याल रखा जाएगा। यहाँ बच्चों के झूलने के लिए झूलों की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही यहाँ कई तरह के इंडोर गेम भी रखे जाएंगे। इनके बन जाने के बाद यात्रियों का सफर अधिक सहज और सुविधाजनक हो सकेगा।
प्रयागराज स्टेशन पर यहाँ बनेगा गेमिंग ज़ोन?
प्रयागराज जंक्शन उत्तर मध्य रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण स्टेशनों में से एक है। यहाँ कुल मिलाकर 10 प्लेटफॉर्म हैं। इसके अलावा स्टेशन से बाहर निकलने के लिए दो एग्जिट पॉइंट्स भी है। इनमें से पहला एग्जिट पॉइंट प्लेटफॉर्म संख्या 1 की तरफ और दूसरा सिवल लाइंस की ओर है। गेमिंग ज़ोन का विकास भी इसी ओर किया जाएगा। इस गेमिंग ज़ोन में यात्रियों के साथ-साथ शहर के बच्चे भी आकर खेल सकेंगे। इस गेमिंग ज़ोन के अलावा स्टेशन पर शॉपिंग मॉल, एसी वैटिंग रूम, एग्जीक्यूटिव लाउंज, होटल, रेस्टोरेंट, फूड प्लाजा और मल्टी लेवल पार्किंग बनाया जाएगा। रेलवे का लक्ष्य है कि महाकुंभ 2025 से पहले स्टेशन का वर्ल्ड क्लास विकास कार्य पूरा कर लिया जाए। महाकुंभ के बाद स्टेशन के सिटी साइड पर भी विकास कार्य किया जाएगा।
गेमिंग ज़ोन को सुचारु बनाए रखना होगी बड़ी चुनौती?
रेलवे बोर्ड के लिए गेमिंग ज़ोन का विकास करने से बड़ी चुनौती उसे सुचारु बनाए रखना होगी। बता दें कि पिछले वर्ष मार्च में नई दिल्ली और आनंद विहार स्टेशनों पर भी इसी तरह के गेमिंग ज़ोन का निर्माण किया गया था। शुरुआत में रेलवे ने तीन स्टेशनों पर गेमिंग ज़ोन बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन अव्यवस्थाओं का आलम कुछ ऐसा रहा कि हज़रत निजामुद्दीन स्टेशन का गेमिंग ज़ोन बनने से पहले ही बाकी दो स्टेशनों के गेमिंग जोनों को बंद करना पड़ गया। इसके बाद तीसरे गेमिंग ज़ोन की योजना भी ठंडे बस्ते में चले गई। इन गेमिंग ज़ोन में 3 से 80 वर्ष तक की उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन के साधन थे। मगर कैफेटेरिया और बैठने की कोई व्यवस्था ना होने के कारण ये ज़ोन यात्रियों को रास नहीं आए और एक साल के अंदर ही इन्हें बंद करना पड़ गया। रेलवे को यहाँ रोजाना तीन से पाँच हजार यात्रियों के आने का अनुमान था लेकिन यहाँ औसतन 10 से 15 यात्री ही आए। जिससे इन्हें चलाने का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया।
अब प्रयागराज जंक्शन और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर गेमिंग ज़ोन बनाते समय रेलवे बोर्ड को इस बात का ध्यान रखना होगा कि इन्हें लंबे समय तक सुचारु ढंग से चलाने की कोई फूलप्रूफ योजना बना ली जाए।
आंध्र प्रदेश में बना था देश का पहला गेमिंग ज़ोन?
बता दें कि देश का पहला रेलवे स्टेशन फन गेमिंग ज़ोन आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम रेलवे स्टेशन पर बना था। इसे सितंबर 2021 में बच्चों के लिए 'हैप्पी नेस्ट' नाम से खोला गया था। इसमें बच्चों के खेल कूद से लेकर स्टोरीटेलिंग सत्र का इंतेजाम किया गया था। फन गेमिंग ज़ोन में डोरेमौन, हिट माउस और बास्केट बॉल जैसे खेलों का इंतेजाम था। इन सभी खेलों को खेलने के लिए यात्रियों को केवल 50 रुपये देने पड़ते हैं।