विश्वास की दीवार यह एक ऐसी दीवार है जहां लाखों छात्र अपनी मन्नत लेके पहुंचते हैं। कहते हैं की यहा लिखी हर बात सच होती है। कोई खुश रहना चाहता है तो कोई डिप्रेशन से बाहर निकलना चाहता है यही वजह है की दीवारों पर लिखकर भगवान से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की कामना करते हैं। यह दीवार कोटा के तलवंडी में स्थित राधा कृष्ण मंदिर की। रोजाना हजारों की संख्या में छात्र आते हैं और दीवारों पर अपनी मनोकामना लिखकर जाते हैं। शिक्षा की नगरी कोटा में लाखों की संख्या में विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी के लिए आते हैं। इन छात्रों का राधा कृष्ण के मंदिर से गहरा नाता है। छात्र मंदिर की दीवारों पर अपनी अर्जी लिखते हैं। इन छात्रों का विश्वास है कि लिखने से पहले उनकी मनोकामना जल्द ही पूरी होगी। और यही वजह है कि वह दीवारों पर अपनी मन्नत लिखकर जाते हैं। मंदिर की जो दीवारें हैं चंद महीनों में ही बच्चों की कमेंट से भर जाती है। जिसकी वजह से मंदिर कमेटी को बार-बार मंदिर की दीवारों को फिर से रंगवाना पड़ता है। लेकिन फिर भी बच्चों को दीवार पर लिखने से रोक नहीं जाता है। बच्चे यहां आकर अपने सिलेक्शन के लिए भगवान से अर्जी लगाते हैं।
दीवार पर लिखकर छात्र मांगते हैं अपनी मन्नत
कोचिंग छात्र यहां मंदिर की दीवार पर अपनी मनोकामनाएं विश लिखकर जाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर ठाकुर जी को भेंट चढ़ाते हैं। अटूट आस्था के चलते मंदिर की दीवार को मान्यताओं की दीवार भी कहा जाता है। छात्र अपनी अलग अलग तरीके से मनोकामनाएं लिखते हैं। मंदिर की दीवार पर छात्रों की मनोकामनाएं से दीवार पूरी तरह रंग बिरंगी है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि 80 परसेंट छात्रों की मनोकामनाएं पूरी भी होती हैं और बाद में छात्र यहां आते भी हैं और हमें बताते भी हैं। बच्चे यहां पर आते हैं और भगवान के दर्शन भी करते हैं, उनके परिजन भी आते हैं। यहां तक की कई पेरेंट्स भी यहां पर कमेंट लिख कर जाते हैं। सभी ज्यादातर अपने सिलेक्शन और परिवार की खुशी की मांग भगवान से करते हैं। 26 साल पुराना यह मंदिर है मंदिर जब से बना है उसके 2 साल बाद से ही बच्चे मंदिर की दीवार पर अपनी मनोकामनाएं लिखते हैं।बच्चे आईआईटी मेडिकल के बारे में लिखकर जाते हैं और जब अच्छे अंक प्राप्त करते हैं तो भगवान को धन्यवाद देने फिर से लोटते है।
कोई खुश रहना तो कोई डिप्रेशन से निकलने के लिए लगाता है अर्जी
राधा कृष्ण मंदिर तलवंडी में कोचिंग एरिया में ही स्थित है। इस समय सुबह और शाम जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो बड़ी संख्या में विद्यार्थी और उनके परिजन भी यहां आते हैं। वे यहां पर चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं। पढ़ाई के दौरान करीब 1 से 2 साल विद्यार्थी कोटा में रहते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को इस मंदिर से काफी जुड़ाव हो जाता है। साथ ही यहां लिखने की परंपरा की जानकारी भी यहां से पढ़कर गए विद्यार्थियों से ही उनको मिलती है, ऐसे में बच्चे इस नियम का फॉलो करते हैं। मंदिर में आरती के समय बड़ी संख्या में स्टूडेंट यहां पर आकर बैठ जाते हैं। कुछ विद्यार्थी तो ऐसे हैं जो कि भजन और अन्य कार्यों में भी अपनी रुचि दिखाते हैं। जन्माष्टमी के दिनों में बड़ी संख्या में पेरेंट्स और बच्चे इसमें पार्टिसिपेट करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मंदिर की दीवारों पर हर लैंग्वेज में स्टूडेंट्स की लिखी हुई बातें देखी जा सकती हैं। हिंदी, अंग्रेजी के अलावा मलयालम, तेलुगू, मराठी, उड़िया, असमिया व बंगाली भाषा में भी कमेंट लिखकर चले जाते हैं। मंदिर में मुस्लिम छात्र भी आते हैं। और वह उर्दू में अपनी मन्नत लिखकर जाते हैं।