अश्विनी बजट की उम्मीद में रेलवे

बेपटरी रेलवे को बजट का सहारा, 2.62 लाख करोड़ राशि आवंटित

डूबती रेलों को बजट का सहारा

कभी पटरी से उतरती ट्रेन, तो कभी आग की चपेट में दिखती बोगियां, कभी आपस में टकराती एक्सप्रेस, तो कभी किसी हादसे का शिकार होती रेल...बीते कुछ समय से देश में होने वाले रेल हादसों में कमी आने के बावजूद अभी ही भारतीय रेलवे बेपटरी ही नजर आता है। गुरुवार को बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेलवे के नाम लगभग ढाई लाख करोड़ राशि आवंटित करी है। 
आखिर क्या है रेलवे को दोबारा पटरी पर लाने की अश्विनी रणनीति-

गुरुवार को 2 लाख 62 हजार करोड़ का बजट आवंटित होने के बाद भी सरकार की नजरों में रेलवे के लिए कोई नई योजना नहीं है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मानें तो पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने एक मजबूत नींव रखी है। आइए जानते हैं की किस तरह से और कहां सरकार ये भारी भरकम कीमत खर्च करने जा रही है -
बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा सुरक्षा के विषयों पर खर्च किया जाएगा। रेल मंत्री ने बताया की इस बार के कुल बजट में से लगभग 1.08 करोड़ की राशि भारतीय रेल को और सुरक्षित बनाने के लिए खर्च करी जाएगी। इस राशि की मदद से नए ट्रैक और सिग्नल सिस्टम लगाने के साथ-साथ कवच 4.0 कोच भी लगाए जाएंगे। माना जा रहा है की नए ट्रैक लगाने से रेलों को और अधिक रफ्तार मिलेगी और कवच सिस्टम रेल हादसों की संख्या में कमी लाएगा। इसके अलावा बजट के एक बहुत बड़े हिस्से से अमृत भारत एक्सप्रेस और वंदे भारत मेट्रो एवं स्लीपर ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
ये रही इस वर्ष के बजट आवंटन की बात मगर इसके अलावा भी अगर पिछले दस वर्षों का मोदी परिणाम देखें तो भारतीय रेलवे की स्थिति में बहुत सुधार आया है।
जहां 2014 तक प्रतिदिन केवल 4 किलोमीटर के ही नए ट्रैक लगाए जाते थे तो वहीं अब ये आंकड़ा बढ़कर 14 किलोमीटर प्रतिदिन पर पहुंच गया है। अपने इस कार्यकाल में मोदी सरकार ने लगभग 31 हजार 180 किलोमीटर के नए ट्रैक बिछाए हैं। वहीं विद्युतीकरण के मामले में भी मोदी सरकार का काम सराहनीय है। जहां 2014 तक केवल 21 हजार 413 किलोमीटर का ही विद्युतीकरण हुआ था वहीं पिछले दस वर्षों में ही लगभग दोगुनी मतलब 41 हजार किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया है। वहीं यात्रियों के सफर को और आसान बनाने में भी मोदी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। मोदी सरकार के शासन में देश के लगभग 6108 स्टेशनों पर फ्री वाईफाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। वहीं पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार यात्री भार में भी लगभग 5.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं अलग-अलग वजहों से होने वाले रेल हादसों की संख्या में भी मोदी सरकार के कार्यकाल में कमी आई है।  जहां ये आंकड़ा 2004 से 2014 के दौरान की यूपीए सरकार में लगभग 1800 पर था वहीं दस वर्षों के मोदी कार्यकाल में ये आंकड़ा 700 तक ही आकर सिमट गया है।  

बीती सरकारों की तुलना में देखें तो तो निश्चित ही मोदी सरकार में भारतीय रेलवे के विकास ने एक नई रफ्तार पकड़ी है। मगर इतना काफी नहीं...आखिर कब 180 की अधिकतम गति वाली वंदे भारत एक्सप्रेस सच में इस गति पर भागेगी क्योंकि इस धीमी रफ्तार के पीछे एक बहुत बड़ी वजह पुराने ट्रैक माने जाते हैं। इस बार के बजट आवंटन से मोदी सरकार के कंधों पर भारतीय रेलवे नामित बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।