अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में मंदिर होने को लेकर छिड़ी बहस ने नया मोड़ ले लिया है। दरगाह मामले में 5 और ने पक्षकार सामने आ गए हैं। अजमेर दरगाह में संकट मोचक महादेव मंदिर होने के दावे को लेकर अजमेर के सिविल कोर्ट में दूसरी बार सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल ने अगली तारीख 24 जनवरी 2025 सुनवाई के लिए तय की है। अदालत में पांच और नए पक्षकार सामने आए। सभी का पक्ष सुना गया।
दरगाह दीवान सहित 5 अन्य लोगों ने दायर किया आवेदन
अजमेर दरगाह कमेटी और अंजुमन की ओर से पक्ष रखा गया। अदालत ने फिलहाल जो भी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए गए है वह अपने पास रख लिए हैं। सभी पक्षकारों को 24 जनवरी 2025 को सुनवाई किए जाने की जानकारी दी गई है। दरगाह में मंदिर के दावे को लेकर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका लगाई थी। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता की याचिका पर तीन पक्षों अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस देकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा था। इस पर तीनों संस्थाओं के वकीलों ने अपने-अपने तर्क रखे। उसके बाद पांच अन्य संस्थाओं और वादियों की ओर से कोर्ट में अर्जियां पेश कर उनको भी पक्षकार बनाने की मांग की गई। कोर्ट में अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान, गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए इमरान बैंगलोर और राज जैन होशियारपुर पंजाब ने अपने आप को पक्षकार बनाने की अर्जी लगाई। इसके साथ ही दरगाह कमेटी के वकील अशोक माथुर ने याचिका को खारिज करने की अर्जी लगाई।
अजमेर दरगाह को लेकर विष्णु गुप्ता का बड़ा दावा
विष्णु गुप्ता की ओर से 38 पेज की याचिका दायर की गई थी। याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब - अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया गया। किताब में दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा होने का दावा किया गया है। साथ ही गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर होने की बात कही गई है। दरअसल किताब में लिखा गया है की दरगाह के बुलंद दरवाजे की उत्तरी और तीसरी मंजिल पर छतरी बनी हुई है। यह छतरी किसी हिंदू इमारत के हिस्से से बनी हुई है। इसके साथ ही किताब में आगे लिखा है की छतरी के अंदर एक लाल रंग का पत्थर लगा हुआ है यह किसी जैन मंदिर का है। उसके बाद किताब के अगले पन्ने पर बुलंद दरवाजे और अंदर के आंगन के नीचे पुराने हिंदू मंदिर के तहखाने होने का जिक्र किया गया है।
अजमेर दरगाह मामले में वर्शिप एक्ट को लेकर छिड़ी बहस
अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा- फर्स्ट पार्टी स्टेट होल्डर खादिम कम्युनिटी है, क्योंकि 365 दिन हम काम करते हैं। जायरीन को जियारत हम कराते हैं। 800 सालों से उर्स भी हम करवा रहे हैं, इसलिए हम प्राइमरी पार्टी हैं। उन्होंने कहा- हमने अपने आप को पार्टी बनाने के लिए अर्जी लगाई है। इस केस को हम आगे लेकर चलेंगे। चिश्ती ने कहा- दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में आती है या नहीं यह कोर्ट तय करेगा। कोई भी आकर कुछ कह देगा, वह मान्य नहीं है।
याचिका कर्ता विष्णु गुप्ता ने अतिरिक्त साक्ष्य पृथ्वीराज विजयी की लिखी हुई किताब को साक्ष्य के रूप में पेश किया। यह पृथ्वीराज चौहान के समय में राजकवि थे। डॉ हरविलास शारदा की किताब को पेश किया। गुप्ता ने दावा किया है कि वो कोर्ट में 1250 ईस्वी की किताब पृथ्वीराज विजय के तथ्य पेश करेंगे। जिसमें दरगाह के ख्वाजा साहब के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। साथ ही, गुप्ता ने दावा किया कि अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती हैं वर्शिप एक्ट मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों पर लागू होता है। गुप्ता को एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर सुरक्षा भी मुहैया करवाई गई है।