साल के अंत में उपचुनाव के परिणाम से भाजपा ने रच दिया इतिहास
साल 2024 की शुरुआत भले ही भाजपा के लिए अच्छी ना रही हो, लेकिन साल खत्म होते-होते भाजपा ने इतिहास रच दिया। प्रदेश में भले ही सत्ता संभालने के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा लोकसभा और विधानसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए लेकिन साल खत्म होने से पहले उपचुनाव की अग्नि परीक्षा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इतिहास रच दिया। राजस्थान के इतिहास में साल 1952 के बाद उपचुनाव में कुछ अलग देखने को मिला। पहली बार ऐसा हुआ जब सत्ताधारी दल ने दमदार प्रदर्शन किया। भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में हुए 7 सीटों पर उपचुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में पार्टी ने इतिहास रचा। इसके बाद दोनों नेताओं का कद पार्टी में काफी बढ़ गया। हालांकि 2024 में लोकसभा चुनाव में मिली हार का परिणाम यह रहा की इसका खामियाजा तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रहे सीपी जोशी को अपना अध्यक्ष पद गवा कर भरना पड़ा।
साल की शुरुआत हार से, लेकिन भाजपा ने उपचुनाव में रच दिया इतिहास
2023 में हुए चुनाव में पहली बार चुनाव जीत कर आए विधायक भजनराज शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नए साल का आगाज होते ही सरकार ने जनता के हित में कई जनकल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की। भाजपा सरकार ने ERCP, यमुना जल समझौता, पेपर लीक माफिया पर नकेल कसने सहित कई महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाएं।
तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी के नेतृत्व में हुए विधानसभा चुनाव 2023 के बाद जोशी का कद सियासी मायनों में काफी बढ़ गया था। यही वजह थी कि जातीय समीकरण फेवर में नहीं होने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव तक पार्टी आलाकमान ने जोशी को अध्यक्ष पद पर बनाए रखा। हालांकि, ये अलग बात रही कि पार्टी को इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में 11 सीटें गवां कर चुकाना पड़ा। इससे पहले सरकार बनने के एक महीने के भीतर ही श्रीकरणपुर विधानसभा चुनाव 2023 में हुई हार सत्ता और संगठन के लिए पहला खराब प्रदर्शन था। दरअसल, विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन होने से चुनाव स्थगित हुए। इस बीच कांग्रेस ने गुरमीत सिंह के बेटे रुपिंदर पर दांव खेला। वहीं, भाजपा ने अपने प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को चुनाव से पहले ही मंत्री बना दिया, लेकिन 8 जनवरी के आए नतीजे में रूपिंदर सिंह कुन्नर को जीत मिली। चुनाव हारने पर टीटी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। बहुमत के साथ सत्ता में आई भजनलाल सरकार ने पहली हार के बाद भी सबक नहीं लिया। उसके बाद 25 सीटों पर लोकसभा चुनाव हुए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीकर में सीपीआई, नागौर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और डूंगरपुर बांसवाड़ा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत को समर्थन दिया। गठबंधन वाली तीन सीट पर जीत के साथ-साथ कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की। इसके साथ भाजपा को दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। हर की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सीपी जोशी ने इस्तीफे की पेशकश की और पार्टी आलाकमान ने इसे स्वीकार भी कर लिया। जिसके बाद में सांसद मदन राठौड़ को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया।
लगातार दो बार मिली हार के बाद भाजपा ने किया जबरदस्त कमबैक
1952 से लेकर अब तक राजस्थान में कुल 101 हुए जिसमें से 57 सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा। 1980 में भाजपा अस्तित्व में आई। इसके बाद में 61 सीटों पर उपचुनाव हुए। इन चावन में कांग्रेस के पास 23 सीट आई जबकि भाजपा ने 31 सीटों पर जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने सबक लिया। सत्ता और संगठन का तालमेल बैठाया। पार्टी को 7 सीटों में से 5 सीट पर जीत मिली। चुनाव का परिणाम आने के बाद में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को जीत का श्रेय दिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना भरोसा कायम रखा और उसी का परिणाम है कि बीजेपी को जीत मिली। पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 महीने हमने वह सभी काम कराए, जो की लंबी समय से अटके हुए थे। जिसके चलते लोगों का भरोसा हमारे प्रति बढ़ा। पीएम मोदी की तरह हम जो कहते हैं वही कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भजनलाल सरकार के 11 महीने के कामकाज को जीत का कारण बताया था। राठौड़ ने कहा था कि प्रदेश की जनता ने डबल इंजन की सरकार पर मुहर लगाईं है, भजनलाल सरकार के 11 महीने के कामकाज का परिणाम जनता के आशीर्वाद के रूप में सामने है।