जयपुर: राजस्थान उपचुनाव के नतीजे भले ही बीजेपी के पक्ष में रहे हो, लेकिन वसुंधरा राजे के एक कदम ने सभी को हैरत में डाल दिया है। राजे का उपचुनाव नतीजो के बाद एक ट्विट और फोटो सामने आई। इसमें लिखा था कि 'सांप से कितना ही प्रेम करलो, वह अपने स्वभाव के अनुरूप कभी न कभी तो आप पर जहर उगलेगा ही।' इस बयान के अगले ही दिन वसुंधरा राजे 113 दिन बाद रविवार 24 नवंबर को भाजपा के प्रदेश कार्यालय पहुंची। पार्टी कार्यालय में होने वाली संगठन पर्व की बैठक में शामिल होने के लिए वे बीजेपी मुख्यालय आई , लेकिन बैठक शुरू होने से पहले ही वे वापस लौट गईं। राजे करीब 15 मिनट तक बीजेपी कार्यालय में रुकी लेकिन बैठक शुरू नहीं हुई तो वे थोड़ी देर इंतजार करने के बाद वापस लौट गईं। वसुन्धरा राजे_सीएम, प्रदेशाध्यक्ष और प्रभारी के आने से पहले ही रवाना हो गई| पूर्व सीएम वसुंधरा राजे शाम 4 बजकर 17 मिनट पर बीजेपी कार्यालय आई थीं। करीब 15 मिनट बाद 4 बजकर 32 मिनट पर वे बीजेपी कार्यालय से रवाना हो गईं। उन्होंने कहा कि उन्हें दिल्ली जाना है। 4 बजकर 50 मिनट पर फ्लाइट बताकर वे बीजेपी कार्यालय से निकल गईं। जब तक राजे बीजेपी कार्यालय में रुकी, तब तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश प्रभारी राधा मोहनदास अग्रवाल और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ बीजेपी ऑफिस में नहीं थे।जानकारी के अनुसार सीएम भजनलाल, प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी यूपी के बांदा जिले के महुआ गांव में पूर्व संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की माताजी के कुछ दिन पहले हुए निधन की खबर के बाद श्रद्धांजलि देने गए हुए थे , जहां हुई देरी से बैठक समय पर शुरू नहीं सकी| जब तक वे तीनों आए, उससे पहले ही राजे बीजेपी मुख्यालय से निकल चुकी थी।
बीजेपी कार्यालय में रुकने के दौरान राजे ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों से बात की। उन्होंने कहा कि वे नव निर्वाचित विधायकों को व्यक्तिगत रूप से मिलकर बधाई देना चाहती थी इसलिए वो यहाँ आई थी | राजे के बयान “आजकल लोग पीठ में छुरा घोंपने में माहिर हो गए हैं।” को स्पष्ट रूप से उनके आलोचकों और पार्टी के अंदरूनी विरोधियों पर कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है।उनके इस पोस्ट को उनके समर्थक और आलोचक दोनों ही गंभीरता से देख रहे हैं।राजे के इस बयान को उनकी नाराजगी साफ दिखाई देती है। उनके समर्थक इसे उनकी मजबूत वापसी की तैयारी का संकेत मान रहे हैं, जबकि विरोधी इसे उनके अंदर के गुस्से का परिणाम कह रहे हैं। बीजेपी ने इन उपचुनावों में संतोषजनक प्रदर्शन किया, लेकिन राजे का इस प्रक्रिया से दूरी बनाए रखना कई सवाल खड़े करता है।
पिछले एक साल में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को किसी बड़ी भूमिका में नहीं रखा है। यहां तक कि विधानसभा चुनावों के दौरान भी उनका प्रचार - प्रभाव सीमित ही नजर आया। इसके बावजूद, वे राजस्थान की राजनीति में एक मजबूत चेहरा मानी जाती हैं।
[ रिपोर्ट : अनुश्री यादव ]