Power crisis in Bangladesh: संकटग्रस्त बिजली क्षेत्र: बांग्लादेश में गैस आपूर्ति और वित्तीय समस्याएं बढ़ीं

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Edited by: Kritika

बांग्लादेश में गैस-आधारित बिजली परियोजनाओं से सबसे ज्यादा बिजली की सप्लाई होती है, जिनकी उत्पादन क्षमता करीब 12 हजार मेगावाट है। हालांकि, पहले इन परियोजनाओं से साढ़े छह हजार मेगावाट तक बिजली का उत्पादन किया जा चुका था, लेकिन अब उत्पादन घटकर पांच हजार मेगावाट से भी कम हो गया है। रोजाना 120 से 130 करोड़ घन फुट गैस की सप्लाई की जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह सप्लाई घटकर 80 से 85 करोड़ घन फुट रह गई है। इसके पीछे कारण है कि कॉक्स बाजार के महेशखाली स्थित दो फ्लोटिंग एलएनजी टर्मिनलों से रोजाना करीब 110 करोड़ घन फुट गैस की सप्लाई होती थी, लेकिन समिट का एलएनजी टर्मिनल बीती दस मई से बंद है, जिसके कारण गैस की सप्लाई घटकर 60 करोड़ घन फुट रह गई है। यांत्रिक गड़बड़ी के कारण बड़ोपुकुरिया बिजली संयंत्र की सभी यूनिट बंद हो गई हैं, जिससे मंगलवार को करीब तीन हजार मेगावाट बिजली की कमी हुई और बड़े पैमाने पर लोडशेडिंग हुई। भारत के झारखंड स्थित अदानी के बिजली उत्पादन केंद्र से पहले रोजाना डेढ़ हजार मेगावाट तक बिजली मिलती थी, लेकिन बकाया रकम का भुगतान न होने के कारण कंपनी फिलहाल एक हजार मेगावाट बिजली की सप्लाई ही कर रही है। शेख हसीना सरकार ने बैंक से बॉंड जारी कर बकाया बिजली के बिल को कम करने का प्रयास किया था, लेकिन गैस बिल, सरकारी और निजी बिजली उत्पादन केंद्रों और भारतीय बिजली उत्पादन केंद्रों की कुल बकाया रकम 33 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है।

इस बीच, भारत के अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को एक पत्र भेजा है। कैब (कंज्यूमर्स एसोसिएशन ऑफ़ बांग्लादेश) के ऊर्जा सलाहकार शमसुल आलम का कहना है कि फिलहाल वित्तीय संकट सबसे गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि गैस की सप्लाई बढ़ानी होगी, तेल-आधारित बिजली उत्पादन केंद्रों का संचालन बढ़ाना होगा और डॉलर का इंतजाम करके बिजली उत्पादन बढ़ाना जरूरी है। बिजली उत्पादन में 15 फीसदी की वृद्धि के लिए गैस की राशनिंग करनी होगी। इसके बिना लोडशेडिंग की समस्या का समाधान नहीं होगा। बीते दिनों से बड़े पैमाने पर लोडशेडिंग से बांग्लादेश के लोग परेशान हैं। डॉलर के संकट के कारण ईंधन की सप्लाई नहीं हो रही है, जिससे बिजली केंद्रों में उत्पादन में गिरावट आई है।

ईंधन के आयात पर निर्भर रहने के कारण सरकार पर निजी बिजली कंपनियों का बकाया भी बढ़ रहा है, जिससे मांग के अनुरूप बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता 27 हजार मेगावाट से ज्यादा होने के बावजूद घरेलू मांग 16 हजार मेगावाट है। शेख हसीना सरकार ने पिछले 15 वर्षों में कई बिजली उत्पादन संयंत्रों का निर्माण किया है, लेकिन बिना ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित किए और घरेलू मांग पर विचार किए बिना अनियोजित तरीके से किया। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि शेख हसीना की सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण बिजली उद्योग गंभीर संकट में है। मौजूदा परिस्थिति में अंतरिम सरकार को प्राथमिकता के आधार पर धन आवंटित करना होगा। अगर पूरा भुगतान संभव नहीं है तो भी बिना किसी रुकावट के बिजली की सप्लाई बनाए रखने के लिए जरूरी रकम आवंटित करनी होगी। बिजली और ऊर्जा सलाहकार मोहम्मद फ़ौज़ुल कबीर खान ने बताया कि इस संकट के समाधान के लिए सामयिक उपाय किए गए हैं और ईंधन के आयात के लिए डॉलर में भुगतान किया जा रहा है। उद्योग से जुड़े लोग मानते हैं कि डॉलर संकट ही बांग्लादेश में बिजली की कमी की मुख्य वजह है और अन्य समस्याएं भी इसी कारण उत्पन्न हो रही हैं। आम लोगों को पिछली सरकार की बिना सोचे-समझे शुरू की गई बिजली परियोजनाओं का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

 

 

 

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