कर्नाटक राज्य में शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक की मीटिंग में पड़ोसी जिले रामनगर का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण करने का फैसला लिया गया। रामनगर में रामनगर, नगदी, कनकपुरा, चन्नापाटना और हारोहल्ली तालुक शामिल हैं।
रामनगर का नाम बदलने की शुरुआत तब हुई जब 9 जुलाई को कर्नाटक उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में रामनगर जिले के विकास और भविष्य में वृद्धि को पुख्ता करने के लिए जिले का नाम बदलने की मांग करी गई थी। कर्नाटक के कानून और संसदीय मंत्री एचके पाटिल ने बताया की यह निर्णय लोगों की मांग के आधार पर लिया गया है। राजस्व विभाग ने जिले का नाम बदलने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। इसे ब्रांड बेंगलुरु नाम दिया जाएगा। अगर किसी का यह मानना है की यह किसी के लिये मददगार नहीं होगा तो वह गलत है। सीएम सिद्धारमैय्या की अध्यक्षता में निर्णय किया गया की केवल रामनगर जिले का नाम बदला जाएगा बाकी सभी तालुकों के नामों में कोई बदलाव नहीं होगा।
वहीं सरकार के इस फैसले से विपक्ष नाखुश दिखा। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल सेक्युलर के नेता कल पूरे दिन कांग्रेस पार्टी पर हमलावर रहे। बीजेपी एमपी प्रह्लाद जोशी ने तो कांग्रेस पर भगवान राम का विरोध करने का आरोप लगा दिया। विपक्ष का कहना है की सरकार का यह निर्णय राम मंदिर और राम के साथ ही श्री राम नाम के साथ भी उनकी नफरत दिखाता है। विपक्ष ने इसे अगले चुनाव से पहले जनता को रिझाने की कांग्रेसी वोट पॉलिटिक्स का नाम दे दिया है।
वहीं कांग्रेस सरकार का कहना है की लगातार हो रहे विस्तार के कारण बेंगलुरु शहर में आवासीय संपत्ति की मांग बहुत बढ़ गई है। रियल एस्टेट पहले से ही रामनगर को नए प्रोजेक्ट के लिए सबसे सही जगह के रूप में देख रहा है। ऐसे मौके पर जिले के नाम में ये बदलाव विकास को मजबूती देगा। माना जा सह है की सरकार के इस फैसले से जिले में जमीन की कीमतों में लगभग 10 से 15 प्रतिशत का उछाल देखने के मिलेगा।
कुछ लोगों को यह भी फिक्र है कि नाम बदलने से जिला अपनी सांस्कृतिक पहचान खो देगा।