बिहार के जीवित्पुत्रिका त्योहार हादसे में 46 लोगों की मौत, नीतीश कुमार ने घोषित की चार लाख अनुग्रह राशि

बिहार में दर्दनाक हादसा, जीवित्पुत्रिका त्योहार के स्नान में 46 मौतें, मुख्यमंत्री ने की चार लाख अनुग्रह राशि की घोषणा

बिहार में जीवित्पुत्रिका त्योहार हादसे में अभी तक 37 बच्चों समेत 46 लोगों की मौत की खबर सामने आ चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों के लिए अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। 
 

बिहार : बिहार से एक दर्दनाक खबर आई है। राज्य के 15 अलग-अलग जिलों में जीवित्पुत्रिका त्योहार के स्नान के दौरान 37 बच्चों समेत 46 लोगों के मरने की खबर सामने आई है। इस त्यौहार को जितिया त्योहार भी कहा जाता है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। यह वरी संतान की उम्र बढ़ाने के लिए रखा जाता है। इसमें घर की महिलाएं अपने बच्चे की लंबी उम्र के लिए कठोर व्रत करने के बाद स्नान करती है। राज्य सरकार ने गुरुवार को आधिकारिक बयान जारी कर इस दर्दनाक हादसे की जानकारी दी। 

मृतकों के परिजनों को दिए दी जाएगी अनुग्रह राशि 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हादसे के मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि के रूप में चार-चार लाख रुपये देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीएमडी ने परिजनों को अनुग्रह राशि देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जारी किये गए आधिकारिक बयान मे बताया गया कि आठ मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि दे भी दी गई है। नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि, "यह दुर्घटना काफी दुखद है और वे इस घटना से मर्माहत हैं।" साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

औरंगाबाद में हुई सबसे ज्यादा मौतें 

औरंगाबाद इलाके से सबसे ज्यादा मौत होने की खबर सामने आई है। जिले के मदनपुर और बारुण प्रखंड से आठ बच्चों के मरने की खबर सामने आई है। मदनपुर प्रखंड के कुशा गांव स्थित खजूर आहर में जितिया का स्नान करने गये महिलाओं के साथ पांच बच्चे डूबने लगे। बच्चों का संघर्ष करते देख आसपास के लोगों ने एक बच्ची को बचा लिया। इसमें चार बच्चों की मौत हो गई है। मरने वालों में दो सगी बहनें भी शामिल हैं। औरंगाबाद जिले के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा है कि, "जिला प्रशासन जीवित्पुत्रिका त्योहार के दौरान घाटों पर स्नान करने वाले सभी लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करता है। समस्या तब पैदा होती है जब लोग स्थानीय स्तर पर उन घाटों पर जाते हैं जिन्हें प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया जाता है।" उनके अलावा सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि, "कल सारण में चार लोगों की मौत हो गई। घटनाएं उन घाटों पर हुईं जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया गया था। हम लोगों से अनुरोध करते रहे हैं कि वे जिला प्रशासन द्वारा तैयार घाटों पर ही जाएं।"

नदियों का बढ़ा हुआ है जलस्तर 

बिहार में हुए इस दर्दनाक हादसे के पीछे की मुख्य वजह राज्य की नदियों के बढ़े हुए जलस्तर को बताया जा रहा है। इन दिनों राज्य में बारिश के कारण तालाब एवं जलाशय भरे हुए हैं। इस कारण से आसपास के क्षेत्रों में लोगों की डूबने से मौत होने की खबरें भी सामने आ रही है। माना जा रहा है कि जितिया त्योहार हादसे की मुख्य वजह भी नदियों का बढ़ा हुआ जलस्तर और बारिश के कारण तेज बहाव है। 

जीवित्पुत्रिका त्योहार  की मान्यता और कथा 

जितिया त्योहार, विशेष रूप से बिहार में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व मातृ शक्तियों की आराधना का प्रतीक है, जिसमें महिलाएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन, माताएँ दिनभर उपवास करती हैं और रात में पूजा-पाठ कर सर्दी में अपने बच्चों के लिए विशेष भोजन तैयार करती हैं। कथा अनुसार, इस पर्व की शुरुआत तब हुई जब भगवान सूर्य की पत्नी, छाया, ने अपने पुत्र यमराज से अपने पुत्रों की सुरक्षा की प्रार्थना की थी। यमराज ने अपने वचन को निभाते हुए, सभी माताओं के लिए यह व्रत निर्धारित किया ताकि वे अपने बच्चों की भलाई और समृद्धि के लिए प्रार्थना कर सकें। महातत्त्व के अनुसार, जितिया त्योहार न केवल मातृ प्रेम को दर्शाता है, बल्कि परिवार के बंधनों को भी मजबूत बनाता है। यह पर्व महिलाओं की सामर्थ्य और त्याग का प्रतीक है, जो समाज में उनके महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाता है। इस प्रकार, जितिया त्योहार एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में बिहार की पहचान बना हुआ है।