फास्टिंग से वजन घटाने के साथ-साथ दिल की सेहत में भी सुधार: शोधकर्ताओं की राय

नवरात्रि व्रत: परंपरा के साथ स्वास्थ्य लाभ, जानें कैसे

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Edited by : Kritika

Intermittent Fasting Benefits for Heart and Diabetes: नवरात्रि जैसे पर्व में उपवास रखने की परंपरा को देखते हुए, इस दौरान इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) के फायदों पर नजर डालना दिलचस्प है। इंटरमिटेंट फास्टिंग एक आहार पैटर्न है जिसमें व्यक्ति भोजन और उपवास के बीच नियमित अंतराल बनाता है। हाल के शोध बताते हैं कि यह विधि हृदय रोग और मधुमेह जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन में फायदेमंद साबित हो सकती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के हृदय और मधुमेह के लिए लाभ

अध्ययन से यह सामने आया है कि भोजन के समय में 10 घंटे का अंतराल रखने से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। समय-प्रतिबंधित आहार हृदय रोग, डायबिटीज़ और स्ट्रोक जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े जोखिम कारकों को कम करने में मदद कर सकता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो और साल्क इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस प्रकार के आहार से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार हो सकता है, जो दिल की सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बारे में

मेटाबॉलिक सिंड्रोम ऐसी स्थिति है जिसमें उच्च ब्लड शुगर, उच्च ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं शामिल हैं, जो हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग का पालन करने से इन जोखिम कारकों में सुधार हो सकता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार

इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई प्रकार हैं:

  1. 16/8 विधि: 16 घंटे का उपवास और 8 घंटे में भोजन।
  2. 5:2 विधि: हफ्ते में 5 दिन सामान्य आहार और 2 दिन कम कैलोरी का सेवन।
  3. ईट-स्टॉप-ईट: हफ्ते में एक या दो बार 24 घंटे का उपवास।
  4. वैकल्पिक दिन उपवास: एक दिन उपवास, एक दिन सामान्य आहार।

स्टडी के परिणाम

इस अध्ययन में 108 वयस्कों को शामिल किया गया, जिनमें से एक समूह ने टाइम-रेस्ट्रिक्टेड ईटिंग (TRE) का पालन किया और दूसरा समूह नियंत्रण समूह था। टाइम-रेस्ट्रिक्टेड ईटिंग का पालन करने वाले समूह में, 3 महीने के बाद हृदय स्वास्थ्य और मेटाबॉलिक सुधार देखा गया। यह विधि मधुमेह और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकती है।

इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि पारंपरिक उपवास के तरीके केवल धार्मिक महत्व नहीं रखते, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं।

 

 

 

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