भारी बारिश से उत्तरी बिहार में उफान पर कोसी, सभावित बाढ़ से निपटने को प्रशासन तैयार

बिहार में बन रहे बाढ़ के हालात, खतरे के निशान पर बह रहीं गंगा और कोसी

बिहार में भारी बारिश से गंगा, कोसी समेत राज्य की अधिकांश नदियां उफान पर हैं। इस कारण बन रहे बाढ़ के हालातों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने अलर्ट मोड जारी कर रखा है। 

बिहार : बिहार और नेपाल में लगातार हो रही भारी बारिश से राज्य की अधिकांश नदियां खतरे के निशान पर बह रही है। इसमें से सबसे ज्यादा खतरा कोसी नदी से है। बिहार में कोसी नदी पहले ही खतरे के निशान को पार कर चुकी है। अब उसके गंगा में मिल जाने पर बाढ़ और विकराल रूप धारण कर सकती है। बिहार सरकार ने बाढ़ के हालातों से निपटने के लिए हर संभव तैयारियां कर ली हैं। 
अगर बिहार में बाढ़ के हालात बिगड़ते हैं तो राज्य का सीमांचल और उत्तरी बिहार का क्षेत्र सबसे ज्यादा खतरे में रहेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार कोसी नदी में लगभग 50 सालों बाद इतना पानी आया है। बिहार में पश्चिमी और पूर्वी चंपारण के कई निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। राज्य के ज्यादातर इलाके अलर्ट मोड पर हैं। स्थानीय लोगों ने निचले इलाकों से पलायन करना शुरू कर दिया है। पटना, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, मधुबनी जैसे मुख्य इलाकों में अगले 24 घंटों में बाढ़ के हालात और बिगड़ सकते हैं। 

सरकार ने नहीं कराई नाव की समुचित व्यवस्था 

बिहार में बन रहे बाढ़ के हालातों को देखते हुए निचले इलाकों में बसे लोगों से आसपास के ऊंचाई वाले इलाकों में जाने की अपील की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने पलायन में मदद के लिए नाव की समुचित व्यवस्था नहीं कराई है। जिसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इस बारे में जिला पदाधिकारी कौशल कुमार ने बताया कि सभी सीओ को आवश्यकता के अनुसार नाव परिचालन शुरू करने का आदेश दिया गया है।  ग्रामीणों ने कोसी को शांत कराने के लिए धार्मिक पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया है। स्थानीय महिलायें कोसी और गंगा मां की शांति के लिए प्रार्थना गीत गा रही हैं। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि हमने पलायन करना तो शुरू कर दिया है मगर हमारे पास मवेशियों के लिए चारे का कोई इंतेजाम नहीं है। 

हाई-अलर्ट पर बिहार का सरकारी महकमा 

बाढ़ के हालातों को देखते हुए बिहार के अधिकांश सरकारी महकमे अलर्ट मोड पर हैं। जिला प्रशासन ने लोगों के ठहरने व खाने-पीने के उचित इंतेजाम करने शुरू कर दिए हैं। इस संबंध में उच्च अधिकारियों द्वारा सभी डीएम व अंचल अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। सरकार ने संभावित बाढ़ग्रस्त इलाकों के दर्जनों प्राथमिक, मध्य, उच्च, उच्च माध्यमिक, संस्कृत व मदरसा स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करने के निर्देश जारी किये हैं। प्रशासन माइक से घोषणा कर लोगों को सुरक्षा के सभी उपाय बरतने की अपील कर रहा है। जल संसाधन विभाग ने अगले 48 घंटों तक अपने सभी अभियंताओं को संवेदनशील स्थानों पर कैम्प करने के आदेश दिए हैं। विभाग ने अपने अभी संबंधित पदाधिकारियों के अवकाश रद्द कर सभी को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है। 

तटबंध पर पेट्रोलिंग, एम्बुलेंस चौकस 

बिहार में बन रहे बाढ़ के हालातों से जान-माल की सुरक्षा के लिए कोसी तटबंध पर पेट्रोलिंग बढ़ दी गई है। संभावित बाढ़ के हालतों को देखकर फ्लड फाइटिंग इंजीनियर टीम की बैचनी भी लगातार नाधि हुई है। इसी के साथ राज्य का सुरक्षा और स्वास्थ्य महकमा भी हर तरह की अनहोनी से बचने के लिए अलर्ट मोड पर है। जल संसाधन विभाग, वीरपुर के मुख्य अभियंता वरुण कुमार ने बताया कि, "कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। तटबंध पर दिन-रात पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। फिलहाल खतरे की कोई बात नहीं है। सभी जगह पर लोग सुरक्षित हैं।" बिहार में कोसी नदी के तटबंध इलाकों पर इंजीनियरों की टीम दिन रात एम्बुलेंस टीम के साथ निगरानी बनाए हुए हैं। 

नेपाल में भारी बारिश से बिगड़ रहे हालत 

पूर्वी बिहार में बारिश के साथ नेपाल के सभी जिलों में भारी बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नेपाल के काफी हिस्से शुक्रवार से ही जलमग्न हैं। पड़ोसी देश में प्रबंधन अधिकारियों ने बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है। बाढ़ से नेपाल में अभी तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 10 से ज्यादा लोगों के लापता होने की खबर है। नेपाल के कई क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है जिसके कारण पहले से ही उफान पर बहती नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस दौरान नेपाल के सभी 56 जिलों से भारी बारिश की खबर सामने आ रही है। 

गंगा नदी से रिवर्स फ्लड का खतरा 

इन दिनों बिहार में गंगा नदी भी खतरे के निशान पर बह रही है। इसके अलावा गंगा की अन्य सहायक नदियों के इसमें मिल जाने पर प्रशासन को रिवर्स फ्लड का खतरा सता रहा है। गंगा तट के अधिकांश निचले इलाके पहले ही जलमग्न हैं। बताया जा रहा है कि पहले से उफान पर इन सभी नदियों के गंगा में मिल जाने पर पानी रिवर्स मारकर हालत को और खराब कर सकता है। बिहार में गजना, तिलयुगा, बिहुल, खारों, खेरदहा, गैडा और सुरसर नदियां कोसी नदी में मिलती हैं। आगे जाकर यही कोसी नदी कटिहार जिले के कुरसेला में गंगा नदी से मिलती है।