भाजपा और चिराग पासवान के बीच दरार को लेकर चल रही राजनीतिक अटकलों को चिराग पासवान ने विराम दिया है। इसी के साथ उन्होंने समचार पत्र एजेंसी पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में अन्य राज्यों में गठबंधन, बिहार विधानसभा चुनाव और कंगना रनौत के विवादित बयान को लेकर भी अपनी चुप्पी तोड़ी है।
बिहार : पिछले कुछ समय से केन्द्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के भाजपा से खफा होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन अब समाचार पत्र एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में चिराग पासवान ने इन सभी अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है। इसी के साथ उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपने चाचा पशुपति पारस की हालिया मुलाकातों के बारे में भी बात की।
बता दें की पिछले कुछ समय से चिराग पासवान ने मोदी सरकार की कुछ नीतियों के खिलाफ रुख अपना रखा था। इसके बाद से ही सियासी गलियारे में माना जा रहा था कि उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दरार पैदा हो गई है। अपने तीसरे कार्यकाल में आने के बाद मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक, एससी एसटी क्रीमी लेयर उपवर्गीकरण और केन्द्रीय सचिवालय लैटरल एंट्री भर्ती जैसी नीतियों के बारे में बात की है। इन सभी नीतियों के बारे में बोलते हुए हर बार चिराग पासवान ने बस विपक्ष जैसे ही सुर अलापे हैं। हालांकि, चिराग ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के खिलाफ सीधे तौर पर कुछ नहीं बोला था मगर वे एनडीए घटक दल के इकलौते ऐसे नेता थे जिन्होंने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग की थी। इस सब के बाद से ही माना जा रहा था कि मोदी जी के हनुमान और भाजपा के बीच एक दीवार खड़ी हो गई है। इसके बाद उनके चाचा पशुपति पारस की अमित शाह के साथ हुई हालिया मुलाकातों ने भी इन अटकलों को और गरम कर दिया था। राजनीतिक पंडितों का कहना था कि अमित शाह इस मुलाकात से सीधा संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पहुँच से कोई भी दूर नहीं है। लेकिन अब चिराग पासवान ने सीधे शब्दों में कह दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका रिश्ता अविभाज्य है।
एनडीए के सहयोगी दल के रूप में लड़ेंगे चुनाव
पीटीआई को दिए इस इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा है कि अगर भाजपा चाहेगी तो उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा के सहयोगी दल के रूप में चुनाव लड़ेंगे। बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा है कि यह एक तथ्य है कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ और केंद्र और बिहार दोनों ही जगह गठबंधन में है। और इसीलिए वे गठबंधन धर्म के नियमों का पालन करेंगे। चाहे वह केंद्र में हो या उनके अपने गृह राज्य बिहार में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरा रिश्ता अविभाज्य : चिराग पासवान
भाजपा से अलग होने की सभी अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए चिराग पासवान ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उनका प्रेम अडिग है। जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तब तक वे नरेंद्र मोदी से अविभाज्य हैं। उन्होंने कहा कि उनके विचार हमेशा ही सरकार के रुख का प्रतिबिंब होते हैं और इसका सबसे करीबी उदाहरण वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग करना था। इस बार के लोकसभा चुनाव में चिराग ने अपने पिता की सीट हाजीपुर से चुनाव जीता था।
झारखंड में गठबंधन के नहीं है खिलाफ : चिराग पासवान
चिराग पासवान ने साफ किया है कि वे केंद्र और अपने गृह राज्य बिहार में गठबंधन की सभी शर्तों को पूरा करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही झारखंड जैसे राज्य में भाजपा के साथ हमारी कोई साझेदारी नहीं है मगर इसका ये मतलब नहीं है कि हम उन राज्यों में भाजपा के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं। अगर भाजपा या एनडीए के अन्य घटक दल उन राज्यों में हमें साथ लेना चाहेंगे तो हम उनके साथ हैं। इसी दौरान अपने चाचा चिराग पासवान के बारे में बोलते हुए चिराग ने कहा कि वो पूरी तरह से जनता का समर्थन गँवा चुके हैं। लोकसभा चुनावों से पहले भी वे हर किसी से मिल रहे थे। लेकिन सभी मुलाकातों का कोई फायदा नहीं है।
कंगना के बयान की बहस खत्म होनी चाहिए
अपनी पुरानी दोस्त और भाजपा सांसद कंगना रनौत के एक इंटरव्यू में विवादास्पद बयान के बाद शुरू हुए विवाद पर भी चिराग ने आज अपनी चुप्पी तोड़ी। केन्द्रीय सांसद का कहना है कि जब एक बार भाजपा ने कह दिया है कि ये सभी बयान कंगना की व्यक्तिगत सोच को दर्शाते हैं और पार्टी का इनसे कोई संबंध नहीं है। पार्टी की ओर से इस बयान से किनारा करते ही इस बहस को भी खत्म हो जाना चाहिए था। हालांकि चिराग ने पञ्जाबी नेता सिमरनजीत सिंह मान के उस बयान पर नाराजगी जताई है जहां मान ने कटाक्ष करते हुए कंगना के लिए "बलात्कार का अनुभव" वाला बयान दिया था। चिराग ने कहा कि हम पीडिता को इतना आघात देने वाले ऐसे किसी अपराध को कम नहीं आंक सकते हैं। खासकर जब कोलकाता की एक डॉक्टर के साथ इतना भयावह अपराध हुआ है उस समय देश के सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी राष्ट्रपति की ओर से की गई ऐसी टिप्पणी अस्वीकार्य है।