हजारों ANM की नियुक्तियों को लेकर चिकित्सा विभाग नहीं है गंभीर

महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में देरी से अभ्यर्थियों में निराशा, सरकार पर लापरवाही के आरोप

Edited by: Kritika

प्रदेश में इस समय बीजेपी की सरकार सत्ता में है, और भजन लाल शर्मा, जो पहली बार विधायक बने हैं, मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं। सरकार के गठन के बाद से ही राज्य में महिलाओं और बेरोजगारों द्वारा धरने-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इनमें एक प्रमुख आंदोलन स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (SIHFW) के तहत 23 दिनों तक चले, जहां 20,546 मेडिकल पदों की अटकी हुई भर्तियों के लिए प्रदर्शन हुए।

कांग्रेस शासनकाल में रुकी हुई इन भर्तियों की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने संघर्ष किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि संबंधित विभाग ने आखिरकार भर्तियों की प्रक्रिया को गति दी और 4 सितंबर 2024 को करीब 4,200 एएनएम (महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं) के नामों की अंतिम सूची जारी की गई।

हालांकि, अब समस्या यह है कि विभाग ने सूची तो जारी कर दी, लेकिन पदस्थापन की प्रक्रिया पूरी नहीं की। इस स्थिति ने चयनित अभ्यर्थियों में निराशा और गुस्सा पैदा कर दिया है। अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि अंतिम सूची जारी होने के बाद जल्द ही उन्हें उनके पदों पर नियुक्ति मिल जाएगी, लेकिन एक महीने बीत जाने के बावजूद विभाग का जिला चयन पोर्टल नहीं खुला है, जिससे अभ्यर्थियों को अब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिल सके हैं।

कई महिला अभ्यर्थियों ने इस देरी से आहत होकर अवसाद में जाने की खबरें भी दी हैं, और कुछ को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। अभ्यर्थियों ने "हिंद न्यूज" से संपर्क कर अपनी पीड़ा और सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि इस साल की दिवाली उनके जीवन में नई शुरुआत लेकर आने वाली थी, लेकिन सरकारी मशीनरी की धीमी गति के कारण वे अब निराश हो रहे हैं।

महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार उनके भावनाओं के साथ खेल रही है। अभ्यर्थियों का कहना है कि 3 सितंबर को सरकार ने अंतिम सूची जारी कर वाहवाही तो लूटी, लेकिन रोजगार मेले में बुलाकर उन्हें नियुक्ति पत्र देने के बजाय सिर्फ बधाई पत्र देकर वापस लौटा दिया गया।

इसके अलावा, कई जिलों की महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों और विधायकों को ज्ञापन सौंपकर पोर्टल खोलने और उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति देने की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया है कि विभाग की लेट-लतीफी का खामियाजा आखिरकार उन्हें क्यों भुगतना पड़े।