चाबहार बंदरगाह परियोजना और उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे पर चर्चा हुई

भारत के NSA डोभाल की ईरान के SNSC सचिव से बातचीत, भारत-ईरान रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा.

India-Iran conversation

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने  ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (SNSC) के सचिव अली अकबर अह्मदियान से टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत में न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के गंभीर मसलों पर बातें की गई हैं। इसके अलावा चाबहार बंदरगाह परियोजना और उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे यानी आईएनएसटीसी पर भी चर्चा हुई। भारत और ईरान की बढ़ती दोस्ती से पाकिस्तान चिंता में जरूर होगा.भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता में ईरान की ‘रचनात्मक भूमिका’ की सराहना की और चाबहार प्रोजेक्ट पर सहयोग बढ़ाने में भारत की रुचि व्यक्त की। इस प्रोजेक्ट से भारत, पाकिस्तान को बाईपास करते हुए सीधे सेंट्रल एशिया तक पहुंच बना सकता है।

चाबहार पोर्ट से खुलेंगे मध्य एशिया के रास्ते 

चाबहार  पोर्ट भारत के  व्यापर के लिए जरुरी है, क्युकी चाबहार पोर्ट के रस्ते मध्य एशियाई देशो में खुलते है, जिसे भारत और एशियाई देशो में व्यापारिक सम्बन्ध को बढ़ावा मिलेगा.भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है. ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था. यह रास्ता भारत के लिए एक विकल्प के तोर पर काम कर रहा है भारत को पहले अफगानिस्तान में व्यापर के लिए पाकिस्तान के रस्ते से गुजरना पड़ता था पर अब चाबहार पोर्ट के विकास के बाद अफगानिस्तान जाने के लिए अच्छा रास्ता है. अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा. इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है.

पाक चाबहार को अपनी भू-राजनीतिक घेराबंदी के रूप में देखता है

ईरान के साथ भारत की बातचीत को पाकिस्तान को घेरने के रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. खासकर हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव और अफगानिस्तान के साथ भारत के बढ़ते संबंधों के संदर्भ में. पाक चाबहार को अपनी भू-राजनीतिक घेराबंदी के रूप में देखता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की थी, जो 1999 के बाद से भारत और तालिबान के बीच पहली बात थी। इससे पहले कंधार विमान अपहरण के समय भारत-तालिबान में बात हुई थी।

चाबहार पोर्ट से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देने में मदद मिलेगी।

चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। चाबहार पोर्ट से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देने में मदद मिलेगी। पाक को डर है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर वह भू-राजनीतिक रूप से अलग-थलग हो सकता है।चाबहार से भारतीय नौसेना की पश्चिमी हिंद महासागर और फारस की खाड़ी में उपस्थिति मजबूत होती है।