जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि पंचतत्वों में से एक ‘जल‘ प्रकृति की संजीवनी सम्पदा है। इसके बिना प्राणियों एवं वनस्पतियों के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसीलिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकार का प्रथम बजट से ही प्रयास रहा है कि वर्षभर पेयजल, सिंचाई और उद्योगों के लिए जल उपलब्ध हो। इससे प्रदेश की आर्थिक समृद्धि के साथ किसानों एवं प्रदेशवासियों की खुशहाली का हमारा संकल्प पूरा होगा। राज्य में जल सुरक्षा स्थापित करना हमारा लक्ष्य है।
विधान सभा में जल संसाधन एवं इन्दिरा गांधी नहर परियोजना (मांग संख्या-42) की अनुदान मांग पर हुई बहस
रावत बुधवार को विधान सभा में जल संसाधन एवं इन्दिरा गांधी नहर परियोजना (मांग संख्या-42) की अनुदान मांग पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। चर्चा के बाद सदन ने जल संसाधन एवं इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की 73 अरब 82 करोड़ 72 लाख 73 हजार रुपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के अथक प्रयासों से जल परियोजनाएं धरातल पर उतर रही हैं। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। ‘विकास भी-विरासत भी‘ के अनुरूप प्रदेश को जल सुरक्षित राज्य बनाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में कुल 10 हजार 20 करोड़ रुपए का बजट आवंटित हुआ है। इसमें जल संसाधन के लिए 8 हजार 147.78 करोड़ और इन्दिरा गांधी नहर के लिए 1 हजार 872.20 करोड़ रुपए का आवंटन है। रावत ने कहा कि राज्य में कृषि योग्य सिंचित भूमि 272.11 लाख हैक्टेयर है। इसमें से वर्तमान में सतही जल परियोजनाओं द्वारा सिंचित क्षेत्र लगभग 39.36 लाख हैक्टेयर है। राज्य में सतही जल लगभग 25.38 बिलियन क्यूबिक मीटर है तथा राज्य को विभिन्न अंतर्राज्यीय जल समझौतों के तहत 17.88 बिलियन क्यूबिक मीटर जल निर्धारित है। इसे देखते हुए राज्य सरकार माइक्रो सिंचाई पद्धति पर विशेष ध्यान दे रही है।
नदियों के पुनर्जीवन तथा जलभराव की समस्या के स्थाई समाधान की दिशा में आगे बढ़ रहे
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सरकार ने जल भंडारण के लिए नए बांध, बैराज और एनीकट निर्माण के साथ पूर्व निर्मित जल ढांचों की क्षमता बढ़ाने के कार्य हाथ में लिए हैं। जल अपवर्तन एवं जल की कमी झेल रहे क्षेत्रों के लिए परिवहन तंत्र के निर्माण, सोलर आधारित स्प्रिंकलर सिंचाई, नए कमांड क्षेत्र के विकास एवं पुराने की पुर्नस्थापना, जल परियोजनाओं को जल की उपलब्धता, नहरी तंत्र के निर्माण के साथ मरम्मत, जीर्णोंद्धार एवं रख-रखाव कार्य, बाढ़ बचाव कार्य, लुप्तप्रायः नदियों के पुनर्जीवन तथा जलभराव की समस्या के स्थाई समाधान की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
रामजल सेतु लिंक परियोजनाः नए स्वर्णिम युग की शुरुआत
रावत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय प्रारंभ ‘नदी जोड़ो‘ की परिकल्पना हमारी सरकार के प्रयासों से संशोधित पीकेसी (ईआरसीपी) के बाद अब राम जल सेतु लिंक परियोजना के रूप में मूर्त रूप ले रही हैं। परियोजना से जल की उपलब्धता प्रदेश की आर्थिक प्रगति और सामाजिक स्थायित्व को और मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं केंद्र सरकार के मध्य एम.ओ.ए दिसंबर, 2024 में हस्ताक्षरित हुआ। दोनों प्रदेशों के लिए नए स्वर्णिम युग की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि गत सरकार ने योजना में कोई सार्थक प्रयास नहीं किए। जल शक्ति मंत्री स्तर पर मुख्य बैठकों में उपस्थित नहीं होने के साथ योजना को लटकाया जाता रहा।रावत ने कहा कि परियोजना के प्रथम चरण में 1 हजार 60 करोड़ रुपए की लागत से बने कालीसिंध पर निर्मित नवनेरा बैराज का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसम्बर, 2024 को लोकार्पण किया था। इसी कार्यक्रम में 9 हजार 416 करोड़ रुपए लागत से निर्माण कार्यों का शिलान्यास हो चुका है। इसमें कूल नदी पर रामगढ़, पारबती नदी पर महलपुर बैराज, चम्बल नदी पर जलसेतु सहित नवनेरा बैराज से बीसलपुर बांध तथा ईसरदा बांध में जल अपवर्तन तंत्र का निर्माण शामिल है।
परियोजना के तहत राज्य को कुल 4 हजार 102.60 एमसीएम जल प्राप्त होगा
परियोजना में जल की उपलब्धता जल संसाधन मंत्री ने कहा कि परियोजना के तहत राज्य को कुल 4 हजार 102.60 एमसीएम जल प्राप्त होगा। इसमें 522.80 एमसीएम पुनःचक्रित जल भी शामिल है। उपलब्ध 4102.60 एमसीएम जल में से पेयजल के लिए 1 हजार 744 एमसीएम, उद्योगों के लिए 205.75 एमसीएम, नए क्षेत्र में सिंचाई के लिए 1 हजार 159.38 एमसीएम, पूर्व निर्मित बांधों में सिंचाई की पुनर्स्थापना के लिए 615.43 एमसीएम जल का प्रावधान किया गया है। परियोजना में आवंटित जल में से लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा पेयजल के लिए रखा है। हमारी सरकार ने प्रस्तावित सिंचित क्षेत्र को संशोधित पीकेसी परियोजना में 4 लाख 3 हजार हैक्टेयर तक किया गया है। इसमें वृहद् एवं मध्यम तथा अन्य लघु सिंचाई परियोजनाओं के साथ कई तालाबों में जल अपवर्तित करने का प्रावधान रखा है। इसके लिए 44 हजार 517 करोड़ रुपए के कार्यों के लिए स्वीकृतियां जारी हो गई हैं, जिसमें से 9416 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर कार्य प्रारंभ हो गए हैं। साथ ही, 12 हजार 64 करोड़ रुपए की निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं।
नदियां होंगी पुनर्जीवित, जल का होगा पुनर्भरण
रावत ने कहा कि परियोजना में शामिल नदियों को जीवनदान मिलेगा। इनके पुनर्जीवित होने से भूमि जल का पुनर्भरण होगा। दोनों राज्यों के लिए नदियों और सहायक नदियों का यह संगम राज्य की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनभावना अनुरूप राजस्थान से ‘रा‘ व मध्यप्रदेश से ‘म‘ को संयुक्त कर लिंक परियोजना को ‘राम जल सेतु लिंक परियोजना‘ नाम दिया गया है।
बीसलपुर में ड्रेजिंग से बढ़ी क्षमता
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने सकारात्मक पहल की है। बीसलपुर बांध की ड्रेजिंग से भराव क्षमता बढ़ी है। निगम को जनवरी तक 28.08 करोड़ रुपए का राजस्व भी प्राप्त हुआ है। इसी तर्ज पर सोम कमला सहित अन्य बांधों में भी डेªजिंग के कार्यादेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि चम्बल नदी की सहायक नदी ब्राह्मणी एवं राणा प्रताप सागर से ज्यादा पानी को रोकने के लिए ब्राह्माणी नदी पर 54.96 एमसीएम भराव क्षमता का बैराज बनाने और ग्रेविटी से बीसलपुर में अपवर्तित करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। रावत ने कहा कि जल परियोजनाओं को लेकर गत सरकार ने सिर्फ घोषणाएं की, प्रयास नहीं किए। अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार और हरियाणा के साथ निरंतर संवाद कर एमओयू किया है। इससे जल उपलब्धता बढ़ेगी।
जल संचयन से जल संरक्षण जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सतही जल की एक-एक बूंद के संचय एवं पुर्नभरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री की प्रेरणा से ‘कैच द रैन‘ से प्रेरित होकर प्रदेश में जल संचयन की परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए ‘कर्मभूमि से मातृभूमि‘ कार्यक्रम शुरु किया गया है। रावत ने कहा कि इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के अंतर्गत चरणबद्ध रूप से सिंचाई सम्बंधी 16 कार्यों के लिए इस बजट में 1 हजार 895 करोड़ रुपए की घोषणाएं की गई हैं। इंदिरा गाँधी नहर परियोजना में उपलब्ध पानी के कुशलतम व अधिकतम उपयोग के लिए द्वितीय चरण की लिफ्ट योजनाओं में स्प्रिंकलर सिंचाई व्यवस्था स्थापित की जा रही हैं। इसके लिए 27 हजार 449 हैक्टेयर में पायलट प्रोजेक्ट अन्तर्गत कार्य पूर्व में हो चुके हैं। शेष 3 लाख 20 हजार हैक्टेयर सिंचित क्षेत्र में से लगभग 2 लाख हैक्टेयर में स्प्रिंकलर सिंचाई व्यवस्था के कार्य कराए जा रहे हैं। द्वितीय चरण के प्रवाह क्षेत्र की चारणवाला शाखा की नहरों के नवीनीकरण व आधुनिकीकरण के लिए 94.02 करोड़ रुपए के कार्य कराए जा रहे हैं।
नवीनीकरण और सुदृढ़ीकरण के कार्य प्रस्तावित
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि वर्ष 2025-26 के लिए विभाग को आयोजना मद अन्तर्गत 1106 करोड़ 36 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं। इससे नहरों के निर्माण, रख-रखाव व जल संचालन के अतिरिक्त नहरों व खालों के जीर्णोद्धार, प्रेशर सिंचाई व्यवस्था और स्काडा प्रणाली इत्यादि के कार्य किए जाएंगे। रावत ने कहा कि बरसलपुर शाखा नहर प्रणाली क्षेत्र के 72 हजार 246 हैक्टेयर क्षेत्र में 250 करोड़ रुपए की लागत से क्षतिग्रस्त खालों के जीर्णोद्धार की डीपीआर व निर्माण कार्य, धोधा वितरिका एवं दांतौर वितरिका शाखा नहर प्रणाली क्षेत्र के 65 हजार 113 हैक्टेयर क्षेत्र में 230 करोड़ रुपए लागत से क्षतिग्रस्त खालों की डीपीआर व निर्माण कार्य, मुख्य नहर की आरडी 961 से 1050 के मध्य से निकलने वाली चारणवाला ब्रांच प्रणाली, गोगड़ियावाला माईनर एवं बीकमपुर माईनर के 44 हजार 250 हैक्टेयर क्षेत्र में 150 करोड़ रुपए लागत से क्षतिग्रस्त खालों की डीपीआर व जीर्णोद्धार कार्य, गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट नहर प्रणाली के रिमॉडलिंग का 100 करोड़ रुपए की लागत से कार्य, इंदिरा गांधी मुख्य नहर की बुर्जी संख्या 620 से 1458 तक 75 करोड़ रुपए लागत से नहर के दोनों पटड़ों के सुदृढ़ीकरण का कार्य, बाबा रामदेव ब्रांच की आरडी 35 से 231 के मध्य निकलने वाली नहरों के नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण का 75 करोड़ रुपए की लागत से कार्य, बाबा रामदेव ब्रांच की आरडी 0 से 302 के मध्य जीर्णोद्धार का 65 करोड़ रुपए की लागत से कार्य, कोलायत वितरिका नहर का 35 करोड़ रुपए लागत से पुनरूद्धार कार्य, इंदिरा गांधी नहर परियोजना-द्वितीय चरण की गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट नहर के शेष रहे क्षेत्र में स्प्रिंकलर सिंचाई सुविधा विकसित करने का 35 करोड़ रुपए लागत से कार्य, खिदरत वितरिका नहर का पुनरूद्धार कार्य 25 करोड़ रुपए से, चौधरी कुम्भाराम आर्य लिफ्ट नहर के आरडी 34.00 से 36.850 के मध्य बैलेंसिंग रिजरवायर का निर्माण कार्य 25 करोड़ रुपए से, इंदिरा गांधी नहर परियोजना-द्वितीय चरण में बीकानेर तथा जैसलमेर में मुख्य नहर के लिए बैलेंसिंग-स्टोरेज रिजरवायर का निर्माण कार्य 10 करोड़ रुपए लागत से कराया जाना प्रस्तावित है।
रावत ने कहा कि आरडी 620 से 1458 के मध्य कमांड क्षेत्र
रावत ने कहा कि आरडी 620 से 1458 के मध्य कमांड क्षेत्र के विभिन्न चकप्लान, बाराबंदी, खतौनी एवं सरकारी भूमि खातों के डिजिटाइजेशन कार्य की डीपीआर 15 करोड़ रुपए की लागत से तैयार कराना और इंदिरा गांधी नहर परियोजना-द्वितीय चरण की सभी लिफ्ट नहरों के पम्प हाउस में उपयोग होने वाली बिजली उपयोग कम किए जाने के लिए सोलर पार्क बनाए जाने की डीपीआर 15 करोड़ रुपए लागत से तैयार कराना प्रस्तावित है। जल संसाधन मंत्री ने प्रदेशवासियों को आश्वस्त किया है हमारी सरकार बजट घोषणाओं को समयबद्ध पूर्ण कर जल उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। जल संसाधन मंत्री ने प्रदेशवासियों को आश्वस्त किया है हमारी सरकार बजट घोषणाओं को समयबद्ध पूर्ण कर जल उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।