कनाडा ने अपने देश में जन्म ले रही आवासीय संकट की समस्या को नियंत्रित करने के लिए अपनी वीजा नीतियों में कुछ बड़े बदलाव किये हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट साझा कर इस बात की जानकारी दी।
कनाडा : अपने देश में अस्थायी निवासियों कली संख्या कम करने के उद्देश्य से कनाडा ने अपनी शिक्षा वीजा नीति को लेकर एक बाद ऐलान किया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की है कि कि इस साल से कनाडा अंतरराष्ट्रीय छात्रों को जारी किये जाने वाले स्टडी पर्मिट की संख्या में और कमी करेगा।
इसी के साथ कनाडा की सरकार ने विदेशी कर्मचारी संबंधित अपने देश के नियमों को भी और कड़ा करने का निर्णय लिया है। कनाडा के इमिग्रेशन डिपार्ट्मन्ट के आंकड़ों के अनुसार 2023 में कुल 5,09,390 वीजा पर्मिट जारी किये गए थे। इस साल अभोई तक सात महीनों में केवल 1,75,920 पर्मिट को ही मंजूरी दी गई है। नई नीतियों के लागू होने के बाद 2025 में केवल 4,37,000 पर्मिट ही जारी किये जाएंगे। बताया दें कि भारतीय छात्रों के लिए कनाडा सबसे पसंदीदा देशों में से एक माना जाता है। पिछले माह जारी किये गए भारतीय आंकड़ों के अनुसार अभी लगभग 13.37 लाख भारतीय छात्र विदेशी देशों में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से 4.27 लाख छात्र कनाडा में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। 2013 से 2022 के बीच पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 260 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है।
जब छात्र फायदा उठाते हैं तो हम कार्यवाही करते हैं : ट्रूडो
अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिखा कि, "हम इस वर्ष 35% कम अंतर्राष्ट्रीय छात्र परमिट दे रहे हैं। और अगले वर्ष, यह संख्या 10% और कम हो जाएगी। आप्रवासन हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक फ़ायदा है - लेकिन जब बुरे तत्व सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं और छात्रों का फ़ायदा उठाते हैं, तो हम उन पर नकेल कसते हैं।" इसके साथ ही कनाडा ने अस्थायी विदेशी कामगारों के जीवनसाथियों के वॉरकपर्मित को भी सीमित करने का निर्णय लिया है। ट्रूडो ने कहा कि, " हम कम वेतन वाले, अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम कर रहे हैं और उनकी कार्य शर्तों की अवधि कम कर रहे हैं। हमने महामारी के बाद कार्यक्रम को समायोजित किया, लेकिन श्रम बाजार बदल गया। हमें कनाडाई श्रमिकों में निवेश करने के लिए व्यवसायों की आवश्यकता है।"
कनाडा में 2.4 लाख करोड़ रुपये का भारतीय छात्र
ट्यूशन फीस और रहने के सभी खर्चों को मिलाने पर भारतीय छात्र प्रत्येक वर्ष कनाडा में 2.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करते हैं। इसके अलावा कई छात्र कनाडा में छोटी-मोटी नौकरी कर भी वहाँ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं। इसी साल छपी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में रहने वाले 40 प्रतिशत विदेशी छात्र भारतीय हैं। कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलेर के अनुसार, "स्टडी वीजा रोक के कारण 2024 में सिर्फ 3,64,000 वीजा पर्मिट ही जारी हो सकेंगे। ये संख्या 2023 में जारी की गई पर्मिट संख्या से लगभग 35% कम है।"
यह बुनियादी गणित, इमिग्रेशन से लेना देना नहीं : पोइलिवरे
कुछ दिनों पहले कनाडा में विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे ने भी इस बारे में बात की थी। पियरे ने कहा था कि अगर वे अगला चुनाव जीतते हैं तो उनकी सरकार कनाडा में आवासीय संकट की समस्या का समाधान करेगी। उन्होंने कहा था कि, "इसका इमिग्रेशन से कोई लेना देना नहीं है। ये बस बुनियादी गणित है।" दरअसल कनाडा में आवासीय संकट का मुख्य कारण वहाँ नए घरों की निर्माण दर और जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर है। कनाडा में जिस रफ्तार से जनसंख्या में इजाफा हो रहा है। उस रफ्तार से नए घर नहीं बनाए जा रहे हैं। पियरे का मानना है कि इमिग्रेशन सिस्टम में कुछ बुनियादी सुधारों से इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
भारतीय छात्रों के लिए नए विकल्प
कनाडा में बदलते वीजा नियमों के कारण अब भारतीय छात्रों का मन भी कनाडा से उठ रहा है। ऐसे में काफी भारतीय छात्र अमेरिका, जर्मनी और इटली जैसे देशों का रुख कर रहे हैं। वहीं इन देशों के अलावा ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया भी भारतीय छात्रों के लिए बेहतरीन विकल्प सिद्ध हो सकते हैं। अगर भारतीय छात्र अपनी अग्रिम शिक्षा के लिए कनाडा की जगह किसी और देश का रुख करते हैं तो इसका सीधा प्रभाव कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा।