Written by: Kritika
हरियाणा में चुनाव से पहले गुरुग्राम से 2.80 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई है, जिससे चुनावी माहौल गरमा गया है। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव में धनबल के प्रभाव को रोकने के लिए की जा रही यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब चुनावी समय में बड़ी मात्रा में नकदी पकड़ी गई हो। इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान भी देशभर में करीब 4,650 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर जब्त की गई इस नकदी का होता क्या है और यह पैसा किसकी जेब में जाता है?
जब्त नकदी का होता क्या है?
जब चुनाव के दौरान नकदी जब्त की जाती है, तो उसे तुरंत चुनाव आयोग के नियंत्रण में ले लिया जाता है। चुनाव आयोग द्वारा इस रकम की जांच की जाती है कि यह कहां से आई है और इसे किस उद्देश्य से ले जाया जा रहा था। अगर कोई सही दस्तावेज या प्रमाण नहीं होते, तो नकदी को सरकारी खजाने में जमा कर दिया जाता है।
कौन बनता है इस नकदी का मालिक?
जब नकदी जब्त होती है और अगर उसका मालिक साबित नहीं हो पाता या वह अवैध रूप से ले जाई जा रही होती है, तो यह रकम सरकार के अधीन हो जाती है। इस रकम का उपयोग विभिन्न सार्वजनिक कार्यों में किया जा सकता है, लेकिन इसका सही उपयोग सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार और संबंधित एजेंसियों की होती है।
चुनाव आयोग के सख्त कदमों के बावजूद, चुनावों के दौरान नकदी का अवैध प्रवाह एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।