हाथ में तलवार... चेहरे पर मुस्कान... क्या राजनीति में आने वाला है नया भूचाल। आखिर वसुंधरा राजे की शायरी के क्या है मायने। क्यों राजे की शायरी ने बढ़ाया है राजस्थान की राजनीति का टेंपरेचर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अक्सर बातों की बातों में बड़े-बड़े इशारे कर जाती हैं। इशारों में बात कहने का वसुंधरा राजे का अंदाज निराला है तभी तो हर कोई उनकी बात को सोचने पर मजबूर हो जाता है। एक बार फिर वसुंधरा राजे ने अपने शायराने अंदाज में बहुत कुछ कह दिया है। इसके राजनीतिक जानकार अलग-अलग मायने निकल रहे हैं। वसुंधरा राजे की इस शायरी ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। यह पहली बार नहीं है जब वसुंधरा राजे ने अपने शायराने अंदाज में कुछ कहा हो इससे पहले भी कई बार राजे इस तरह का अंदाज दिखा चुकी है। फिर चाहे वह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का पदभार ग्रहण कार्यक्रम हो या जयपुर में सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का सम्मान समारोह। जहां राजे का यही अंदाज देखने को मिला था।
हाथ में तलवार... चेहरे पर मुस्कान... क्या राजनीति में आने वाला है कोई नया भूचाल
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिरोही के रेवदर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंची थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हिंदू धर्म का एक बड़ा प्रयोग है। सनातन धर्म मानवता को जोड़ता है और देश को गौरवशाली बनाने की प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा कि भगवान की सच्ची पूजा मानव सेवा से होती है। इस दौरान राज्य के हाथ में तलवार दिखी और उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान। सांसद लुंबाराम चौधरी ने वसुंधरा को तलवार भेंट की। वसुंधरा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा- 'राजनीति में मुझे 25 साल हो गए। बहुत सारे उतार-चढ़ाव आए, मगर आपका साथ ढाल बनकर हमेशा मेरे साथ खड़ा है। सिरोही वो जगह है, जहां तलवार बनती है। तलवार को किस तरीके से म्यान में रखना है, वह भी सिरोही जानता है। इस दौरान वसुंधरा राजे ने अपने शायराने अंदाज में कहा...
गमों की आंच पर आंसू उबालकर देखो,
बनेंगे रंग किसी पर भी डाल कर देखो,
तुम्हारे दिल की चुभन जरूर कम होगी,
किसी के पांव से कांटा निकाल कर तो देखो।
इशारों-इशारों में वसुंधरा राजे ने किस पर साधा निशाना
वसुंधरा राजे ने महिलाओं को लेकर कहा की बालिकाओं को अपने पैरों पर खड़ा करना है और उन्हें सीखना है कि अपनों के साथ का रिश्ता अमूल्य होता है। आपको बता दें की जब से वसुंधरा राजे ने यह शायरी बोली है उसके बाद से इसके अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। आखिर ऐसी कोनसी चुभन है जो राजे के दिल में है। इससे पहले भी राजे ने इसी तरह अपनी बात रखी है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के करीब छह महीने बाद जब मदन राठौड़ प्रदेशाध्यक्ष बनकर जयपुर आए तब राजे ने कहा था कि सबको साथ लेकर चलना बहुत मुश्किल काम है। कई लोग इसमें फेल हो चुके हैं। पद का अहंकार कद कम करता है। उदयपुर में हुई एक धर्म सभा में राजे ने एक शायरी पढ़ी कि काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाएं, मतभेद के किले ढह जाएं, घमंड चूर-चूर हो जाए।