उत्तराखंड | 28 जुलाई को उत्तराखंड के हल्द्वानी में 16 वर्षीय मानसिक विक्षिप्त नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मोहम्मद नदीम अंसारी की गिरफ़्तारी के बाद आज हल्द्वानी शहर में कोतवाली थाने के सामने छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया।
शहर में 28 जुलाई शाम को अपने घर से पियानो सीखने जा रही एक 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। जब छात्रा ने अपने घर जाने के लिए हल्द्वानी स्थित मंगलपड़ाव से ऑटो पकड़ा तो कुछ देर बाद ऑटो चालक मोहम्मद नदीम अंसारी ने ऑटो को एक सुनसान जगह ले जाकर नाबालिग के साथ इस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया। आरोपी अंसारी ने छात्रा को धमकी दी कि अगर उसने किसी को ये बात बताई तो वो उसके पूरे परिवार को जान से मार देगा। डरी सहमी लड़की ने जब घर पहुँच कर परिजनों को ये बात बताई तो उन्होंने पुलिस स्टेशन में जाकर आरोपी के खिलाफ पोक्सो ऐक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने कार्यवाही करते हुए सीसीटीवी फुटेज खंगाले और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
विरोध कर रहे छात्रों की मांग है की नदीम अंसारी जैसे गुनहगारों को फांसी की सजा देनी चाहिए। शहर भर में लोगों की आँखों में आरोपी के खिलाफ आक्रोश देखा जा सकता है। पुलिस अधिकारियों से जरूरी कार्यवाही का आश्वाशन पाकर प्रदर्शन कर रहे छात्र अपने अपने घर चले गये। लोगों का कहना है की पड़ोसी देशों से आने वाले कुछ लोग शहर मे झूठी पहचान और नाम अपनाते हैं और ऐसे घिनौनी कृत्यों को अंजाम देते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करी गई एक पोस्ट में बताया गया है कि मामले का आरोपी नदीम अंसारी एक बांग्लादेशी घुसपैठिया है। इस बात की सत्यता के आधार पर शहर के पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं।
नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का मामला
आरोपी को फांसी देने की मांग पर एकजुट हल्द्वानी, छात्रों ने किया प्रदर्शन
Related News
Places Of Worship Act 1991: अब मंदिर-मस्जिद का नहीं होगा कोई सर्वे, सुप्रीम कोर्ट ने वर्शिप एक्ट पर दिया अहम आदेश!
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (Places Of Worship Act 1991) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Suprime court) ने सुनवाई टाल दी है. शीर्ष अदालत ने चार सप्ताह बाद सुनवाई की बात कही है. इस दौरान अब इस कानून को चुनौती देने के लिए कोई और याचिका दाखिल नहीं की जाएगी. शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई कर रहा है. तब तक कोई भी अदालत अंतिम आदेश(Last order) पारित ना करें. साथ ही अब कोई भी कोर्ट यानी निचली अदालतें(lower court) कोई भी प्रभावी आदेश नहीं देंगी. वे सर्वे को लेकर भी कोई आदेश नहीं देंगी.
सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी
सीजेआई संजीव खन्ना(CJI Sanjiv khanna) की अध्यक्षता वाली पीठ यह सुनवाई कर रही थी. याचिका में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई है.सुप्रीम कोर्ट (Suprime court) ने कहा कि जब तक हम इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं तब तक पूरे देश में कहीं भी कोई केस रजिस्टर (cash ragister) नहीं होगा. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार (Central government) का पक्ष जानना बेहद जरूरी है. अगली तारीख तक कोई केस दर्ज न हों, तब तक कोई नया मंदिर-मस्जिद विवाद दाखिल नहीं होगा. केंद्र सरकार जल्द इस मामले में हलफनामा (Affidavit) दाखिल करें.
सीजेआई ने कहा कि आगे कोई केस दर्ज नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास अयोध्या का फैसला भी मौजूद है. इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (pesh solister journal Tushar mehta) ने कहा कि मामले में जल्द ही जवाब दाखिल किया जाएगा. सीजेआई ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब जरूरी है.
One Nation One Election Bill को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी,इसी सत्र में पारित होगा बिल
वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर केंद्रीय कैबिनेट (Central Cabinet) ने आज गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है. सूत्रों का कहना है कि सरकार इस संबंध में संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में एक व्यापक विधेयक ला सकती है. एक देश एक चुनाव पर यह लेटेस्ट डेवलपमेंट (latest dovelopment) ऐसे वक्त में आया है, जब बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान(central agriculture minister Shivraj Singh Chouhan) ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का पुरजोर समर्थन किया था और कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा आ रही है.
सरकार बहुत जल्द इस विधेयक को संसद में पेश करेगी
सरकार बहुत जल्द इस विधेयक को संसद (Parliyament) में पेश करेगी. उसके बाद विस्तार से चर्चा की जाएगी. सूत्रों की मानें तो सरकार ने यह तय कर लिया है कि यह एक व्यापक बिल के रूप में पेश किया जाएगा. इसके लिए सभी दलों की राय भी जरूरी होगी, क्योंकि यह बहुत बड़ा बदलाव होगा. इसलिए इसे पहले संसद की ज्वाइंट पार्लियामेंट्री (joint parliyament) कमेटी को भेजा जा सकता है. इसके बाद राज्यों की विधानसभाओं से इसे पास कराना होगा. संविधान संशोधन विधेयक(Constituation Amendment Bill) होगा. कम से कम 50 फीसदी राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी. अनुच्छेद 327 में संशोधन किया जाएगा और उसमें ‘एक देश एक चुनाव’ शब्द को शामिल किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया गया था
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister narendra modi) के पहले कार्यकाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद(Ex president Ramnath Kovind) की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी थी. केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ 2 चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की है. सिफारिश के मुताबिक, पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के लिए चुनाव कराए जाने चाहिए.
दिनदहाड़े दलित युवक की हत्या पर राजस्थान में गरमाई सियासत
अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार को घेरा
बालोतरा के असाड़ा गांव निवासी एक दलित युवक की चाकू घोंपकर कर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इस घटना के सामने आते ही कांग्रेस ने भजनलाल सरकार को जमकर घेरा। इस पूरे मामले का सीसीटीवी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस मामले को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा बालोतरा में एक दलित युवक की हत्या राज्य में कमजोर होती कानून व्यवस्था का नमूना है। जो बेहद ही निंदनीय है कि दिनदहाड़े हत्या के मामले में भी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पीड़ित पक्ष द्वारा धरना-प्रदर्शन करने की नौबत आ गई. पिछले एक साल में दलित, आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के साथ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। राज्य सरकार को इस प्रकरण में अविलंब कार्रवाई कर पीड़ित परिवार के साथ न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
युवक हत्या मामले में कांग्रेस ने साधा निशाना की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस मामले को लेकर भजनलाल सरकार पर निशाना साधा। गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा विशनाराम मेघवाल की हत्या अत्यंत दुखद और घोर निंदनीय है। मेघवाल परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। प्रदेश में कानून व्यवस्था कमजोर हो गई है जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। डोटासरा ने कहा भाजपा सरकार कानून राज कायम करने की जगह इवेंट बाजी में लगी हुई है। दलितों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। इस मामले में कोई भी ठोस कार्य वाही नहीं हो पाई है। यह सब भाजपा सरकार की दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार से आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई करने की मांग की। साथ ही परिवार को आर्थिक सहायता के साथ परिवार के सदस्य को नौकरी देने की भी मांग रखी।
कांग्रेस ने कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस मामले को लेकर कानून व्यवस्था पर कई सवाल उठाए। टीकाराम जूली ने कहा कि विशनाराम मेघवाल की निर्मम हत्या की मैं निंदा करता हूं। यह जो घटना हुई है वह प्रदेश में फेल कानून व्यवस्था की ओर इशारा करती है। जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। भाजपा सरकार इवेंट बाजी में लगे रहने के बजाय कोई ठोस कार्रवाई करें। इस मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं होना सरकार की दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। सरकारी इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करें और आरोपियों को सख्त सजा दिलाए। दरअसल गाड़ी हटाने को लेकर एक मामूली सा विवाद हुआ था। इस विवाद के बीज आरोपी ने विशनाराम की चौक मारकर हत्या कर दी। परिजन विशनाराम को अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्साको ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद से ही परिजन लगतार इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। आरोपी की प्रथम दृष्टि या पहचान कर ली गई है। पुलिस की टीम लगातार आरोपों की तलाश में लगी हुई है।
सावधान कही लालच भारी ना पड़ जाए, शेयर बाजार के नाम पर ठगे जा रहे लोग
साइबर ठगी का नया मॉडल
क्या आप भी शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं। अगर हां तो थोड़ा संभल जाइए। कही कोई लालच आप पर भारी ना पड़ जाए। कहीं अधिक मुनाफे के चक्कर में लाखों रुपए से हाथ धो बैठो। वो इसलिए क्योंकि साइबर ठग टेक्नोलॉजी के साथ-साथ खुद को अपग्रेड करते रहते हैं। और साइबर ठगों ने शेयर बाजार के नाम पर एक अलग मॉडल तैयार किया है। यह लोग पहले सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों को जोड़ते हैं। उसके बाद में उनके आर्थिक हालात का आकलन करते हैं। इसके लिए पूरी एक टीम तैयार की गई होती है जो इन सब काम को करती हैं। यह टीम पहले सोशल मीडिया के जरिए व्यक्ति की प्रोफाइल को चेक करती है और उसके बाद में उसे ठगी के जाल में फंसने का तरीका ढूंढती है। इतना ही नहीं बल्कि ग्राहकों को लुभाने के लिए कॉल सेंटर में युक्तियों भी रखी जाती हैं। ये सब यही खत्म नहीं होता है इनके द्वारा फर्जी शेयर बाजार विशेषज्ञों के व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए जाते हैं।
अच्छा मुनाफा और रिटर्न का लालच पड़ जाएगा भारी, इन्वेस्ट के नाम पर हो रही ठगी इस तरीके की ठगी के कई मामले सामने आए हैं। जिसमें ठग पहले असली शेयर बाजार पोर्टल की नकल करते हैं और उसके बाद एक फर्जी वेबसाइट बनाते हैं। वेबसाइट बनाने के बाद इन पोर्टल्स पर लोगों को निवेश करने का लालच दिया जाता है। और फिर लोगों से धनराशि हड़पी जाती है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है। ऐसे में लोगों को यह समझ नहीं आता कि वह ठगी का शिकार हो चुके हैं। और लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं। शुरुआत में यह ठग लोगों को फर्जी लाभ दिखाकर उनका विश्वास जीतते हैं। ओर उसके बाद धीरे-धीरे बड़ी रकम हड़प लेते हैं और उसके बाद में पोर्टल को बंद कर दिया जाता है। लोग बिना किसी जांच पड़ताल के आसानी से लालच में आकर इन पोर्टल्स पर भरोसा भी कर लेते हैं। इन ठगों के पास में सोशल इंजीनियरिंग तकनीक भी होती है। जिसके जरिए यह लोग लोगों की आर्थिक स्थिति और मानसिकता के आधार पर उन्हें अपना शिकार बनाते हैं। लोगों में अक्सर जागरूकता की कमी और सही जानकारी नहीं होती है जिसके कारण यह मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। साइबर सुरक्षा से जुड़े लोगों का यह मानना है कि शेयर बाजार के नाम पर होने वाली साइबर ठगी के बढ़ते मामलों से लोगों को सतर्क रहने की बेहद जरूरत है। यह तभी केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुंचाती है बल्कि जनता का विश्वास भी तोड़ देती है। इस ठगी से बचने के लिए सबसे आसान तरीका है सही जानकारी और जागरूकता होना है।
साइबर ठग कहीं आपको ना बना ले शिकार यह लोग टेलीग्राम के जरिए भी आसानी से अपना शिकार फंसा लेते हैं। टेलीग्राम के जरिए पहले लिंक भेजा जाता है। और अधिक लाभ का दावा किया जाता है। जैसे ही आम नागरिक इस लिंक पर क्लिक करता है उसे शेयर बाजार की वास्तविक स्क्रीन जैसा ही एक फर्जी पोर्टल दिखाई देता है। इसके बाद यहां पर पंजीकरण करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही इस लिंक पर पंजीकरण किया जाता है और 1000 का निवेश करते हैं आपकी राशि डबल हो जाएगी। जिसे देखकर कोई भी आम इंसान लालच में आकर अधिक पैसा लगा देता है। और फिर शेयर बाजार में गिरावट की बात कह कर यह लोग अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। कुछ दिनों के बाद यह वेबसाइट बंद हो जाती है। इतना ही नहीं बल्कि कई बार कॉल सेंटर के माध्यम से यह लोग युवतियों से कॉल करवाते हैं। और शेयर बाजार में निवेश करने का लालच देते हैं। आप जैसे ही इसमें निवेश करेंगे आपको तुरंत मुनाफा भी मिलेगा और उसके बाद जैसे ही आप मोटी रकम इसमें लगाएंगे यह पोर्टल तुरंत बंद हो जाएगा। इसलिए यह बेहद जरूरी है की आप निवेश करने से पहले संबंधित पोर्टल या फिर कंपनी की जांच अच्छे से करें। अधिक पैसों के लालच में आकर बिना किसी जानकारी के पैसे ना लगाएं। यदि आपके साथ ऐसी कोई घटना होती है तो उसकी जानकारी तुरंत पुलिस या फिर साइबर सेल को दें।
चेहरा गोरा नहीं कर सकी फेयरनेस क्रीम, अदालत ने लगा दिया 15 लाख का जुर्माना
नई दिल्ली. चेहरा गोरा बनाने का दावा करना फेयरनेस क्रीम बनाने वाली कंपनी को महंगा पड़ गया. एक उपभोक्ता ने महज 79 रुपये की क्रीम खरीदी और जब उसका चेहरा गोरा नहीं हुआ तो उसने कोर्ट में केस कर दिया. अदालत ने भी कंपनी के विज्ञापन को भ्रामक माना और दावे गलत साबित होने पर कंपनी के ऊपर 15 लाख का जुर्माना लगा दिया. अब कंपनी ग्राहक को इन पैसों का भुगतान करेगी. यह मामला है दिल्ली के एक उपभोक्ता फोरम कहा, जिसने अनुचित व्यापार चलन के लिए सौंदर्य प्रसाधन कंपनी इमामी लिमिटेड पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
क्या थी कंपनी के खिलाफ शिकायत
शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने 2013 में यह क्रीम 79 रुपये में खरीदी थी, लेकिन यह क्रीम उसे गोरी त्वचा नहीं दे सकी जिसका वादा किया गया था. फोरम के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने नौ दिसंबर को आदेश पारित किया. शिकायतकर्ता की इस दलील पर फोरम ने गौर किया कि उसने उत्पाद की पैकेजिंग और लेबल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार नियमित रूप से उत्पाद का इस्तेमाल किया लेकिन उनकी त्वचा में गोरापन नहीं आया और न ही कोई अन्य लाभ प्राप्त हुआ I
कंपनी ने ग्राहक पर डाल दी जिम्मेदारी
कंपनी के लिखित कथन पर फोरम ने गौर किया कि ‘पर्सनल केयर प्रोडक्ट’ से वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए उत्पाद के उचित इस्तेमाल और उचित पौष्टिक आहार, व्यायाम, अच्छी आदतें और स्वच्छ रहने जैसे कई कारकों की आवश्यकता होती है. फोरम ने कहा, ‘उत्पाद की पैकेजिंग और लेबलिंग पर ऐसी शर्तों का उल्लेख नहीं किया गया है. अंतिम लिखित तर्कों में एक और बात यह है कि उत्पाद 16-35 आयु वर्ग के बीच के सामान्य युवा पुरुषों (बीमार लोगों के लिए नहीं) के लिए है. बीमार व्यक्ति का क्या मतलब है? पैकेजिंग पर इस अतिरिक्त आवश्यकता का भी उल्लेख नहीं किया गया है I