दिल्ली में किसके हाथ होगी सत्ता की चाबी, भाजपा-कांग्रेस और आप के बीच जंग भारी

 दिल्ली के दगंल में भाजपा कर पाएगी 27 का सुखा खत्म, कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को मान रही हथियार

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दिल्ली चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस मुकाबले में नहीं रही हो। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में माहौल कुछ अलग ही नजर आ रहा है। इस बार चुनाव में कांग्रेस नेताओं में जोश देखा जा रहा है उनका दावा है कि दिल्ली में इस बार कांग्रेस न सिर्फ अपना खोया हुआ जन आधार वापस पाएगी बल्कि हर सीट मुकाबले में हैं। यदि कांग्रेस के दावे में जरा भी दम है तो भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ-साथ किसी भी दल के लिए दिल्ली की राह आसान नहीं होने वाली है। आम आदमी पार्टी के लिए अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए जद्दोजहद है तो भाजपा के सामने 27 साल का वनवास खत्म करने की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं कांग्रेस ने अपना वजूद बचाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 

कांग्रेस में खोया जनाधार पाने को लेकर उत्साह 
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की बात करें तो इस बार कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर यानी की आम आदमी पार्टी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को बड़ा हथियार मान रही है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी को खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए उम्मीद दिखाई दे रही है। दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच में कड़ा मुकाबला रहा था। इन चुनावों में कांग्रेस कहीं भी नजर नहीं आई थी। लेकिन इस बार कांग्रेस मजबूती के साथ मैदान में डटी हुई है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि आम आदमी पार्टी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है तो वहीं भाजपा दिल्ली की जनता के लिए कभी भी नेचुरल चॉइस नहीं रही है। भाजपा पिछले कई चुनाव में 32 तो कभी 34 या फिर 38 प्रतिशत वोटो पर ही सिमटती रही है। जबकि कांग्रेस का 15 साल का शासन सभी सरकारों के बीच में स्वर्ण काल जैसा रहा। इस बार कांग्रेस चुनाव में पूरी तरह से तैयार है।

दिल्ली में भाजपा के सामने 27 साल का सूखा खत्म करने की चुनौती 
दिल्ली में कांग्रेस के कार्यकर्ता पिछले कई महीनो से सड़कों पर है। कांग्रेस नेताओं ने कहा की कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक माह लंबी न्याय यात्रा निकाली है। स्वयं प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव समाज के हर वर्ग से जुड़े लोगों से मिले हैं। उनकी समस्याएं जानी हैं। संगठन जिला और ब्लॉक स्तर पर भी काम कर रहा है। पार्टी की घोषणाएं ही गारंटी है, घोषणा पत्र है। पार्टी नेताओं का मानना है कि जनता अबकी बार बदलाव के मूड में आ रही है, शीला दीक्षित के 15 साल लंबे शासन को भी याद कर रही है। वरिष्ठ पार्टी नेताओं की मानें तो कांग्रेस हमेशा जनता के मुद्दे उठाती रही है। पार्टी ने इस बार उम्मीदवार भी मजबूत उतारे हैं और समय से पहले ही घोषित कर दिए।

दिल्ली के दगंल में भाजपा-कांग्रेस और आप में कोन मारेगा बाजी

पार्टी नेताओं को ऐसा लगता है कि इस बार 2013 का इतिहास दोहराया जा सकता है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा, "शीला दीक्षित सरकार का बेंचमार्क दिल्ली का विकास रहा है। इस बार हमने समग्र विकास की सोच के साथ मुफ्त गारंटियां भी घोषित की हैं। कर्नाटक, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार पूरे किए गए अपने सभी चुनावी वादों को देखते हुए, हमारी बेहतर योजनाओं और स्पष्ट विजन को देखते हुए दिल्ली की जनता को हमें ही वोट देना चाहिए। कांग्रेस ही दिल्ली को स्थायी सरकार दे सकती है।"