कल गुरुवार (26 जुलाई) को जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा जयपुर शहर के वैशाली नगर, गोपालपुरा बायपास, नारायण सिंह सर्किल क्षेत्रों पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही करी गई। जेडीए प्रवर्तन दस्ते की एक टीम ने शहर के लगभग 4 किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 220 से ज्यादा अवैध अतिक्रमण ध्वस्त किए।
इन दिनों अतिक्रमणों के खिलाफ जेडीए दस्ते की कार्यवाहियों की संख्या में इज़ाफा है। कुछ दिनों पहले यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जयपुर विकास प्राधिकरण पहुंच अतिक्रमणों से नाराज़ होकर निगम अफसरों को फटकार लगाई। इसके बाद से ही जेडीए लगातार इन अतिक्रमणों के खिलाफ़ कार्यवाही कर रहा है। कल कार्याही के बाद मुख्य नियंत्रण प्रवर्तक महेंद्र कुमार शर्मा ने बताया की आज जोन 6 और 7 में वैशाली नगर, खातीपुरा, झोंटवाड़ा, पुरानी चुंगी, क्वींस रोड से खातीपुरा होते हुए लता सर्किल तक रोड के दोनों तरफ लगभग 4 किलोमीटर क्षेत्र में यह कार्यवाही करी। प्राधिकरण ने दुकान, मकानों के चबूतरे, लोहे के एंगल, तिरपाल, साइन व बोर्ड जैसे लगभग 220 अतिक्रमणों को ध्वस्त किया।
आने वाली 29 तारीख को प्राधिकरण प्रवर्तन दस्ता एसएमएस हॉस्पिटल से नारायण सिंह सर्किल, त्रिमूर्ति सर्किल, जेके लोन से बांगड़ अस्पताल तक लगभग 3 किलोमीटर क्षेत्र और फिर गोपालपुरा बायपास से रामबाग सर्किल के 4.5 किलोमीटर क्षेत्र में कार्यवाही करेगा। जेडीए द्वारा इन अतिक्रमणों के खिलाफ लगातार कभी अतिक्रमण ध्वस्त कर या नोटिस देकर कार्यवाही करी जा रही है। इससे पहले 30 अप्रैल और 27 जून को भी अतिक्रमणों के खिलाफ एक्शन लिया गया था। 27 जून को मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से रजत पथ के बीच जेडीए ने 120 अतिक्रमाओं के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्यवाही करी थी।
अतिक्रमणों पर गिरी जेडीए की गाज
अस्थाई अतिक्रमणों पर चला जेडीए का डंडा, 220 अतिक्रमण ध्वस्त
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- Thursday, 01 Aug, 2024
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जयपुर में सरस व कृष्णा ब्रांड की पैकेजिंग में बेचा जा रहा नकली घी।
जयपुर ; मुहाना मंडी में सैकडो खतरनाक बीमारियों को जन्म देने वाला, हजारो किलो नकली घी पकडा गया। बुधवार सुबह सूचना मिलने के बाद, मुहाना थाना पुलिस ने फैक्ट्री पर छापा मारकर हजारो किलो नकली घी जब्त किया है। इस नकली घी को देश के दो बड़े ब्रांड सरस व कृष्णा के डिब्बो में भरकर बेचा जा रहा था। मुहाना थाना ने बताया कि जयपुर की मुहाना मंडी के कैश्यावाला इलाके की एक फैक्ट्री पर सूचना मिलने के बाद छापा मारा गया। जहाँ सरस व कृष्णा ब्रांड के पैक में नकली देशी घी भरा जा रहा था। पुलिस से सूचना मिलने के बाद, खादय विभाग की टीम भी तुरंत मौके पर पहुँच गयी। फैक्ट्री के गोदाम में नकली घी के पीपे व डब्वे बरामद किये गये। खाद्य विभाग की प्राथमिक जाँच में पाया गया - इस फैक्ट्री में वनस्पति तेलों में घी का एसेस मिलाकर बेचा जा रहा है। खादय विभाग के मुताबिक मात्र 80 रूपये की लागत से बने इस नकली घी को बाजार मे 400 से 500 रुपये / किलो, देशी घी बताकर बेचा रहा था। एक माह से चल रही इस फैक्ट्री में अब तक 2000 किलो घी बनकर जयपुर व आस-पास के इलाको में सप्लाई हो चुका था। फैक्ट्री में मिला घी काफी तेज बदबू मार रहा था। खाद्य विभाग अधिकारियों के अनुसार यह सुघने मात्र से ही बीमारी फैलाने वाला था। नकली घी बनाने वाली इस फैक्ट्री में गदंगी भी अपनी चरम सीमा पर भी।
SP आदित्य काकडे के अनुसार - छापेमारी में नकली घी की की पैकिंग करते हुए दो युवक, आगरा निवासी 22 वर्षीय वहीद खान व इटावा (यूपी) निवासी शहाबुधिन को हिरासत में लिया है। जबकि फैक्ट्री का मालिक मनीष गुप्ता मौके से फरार हो गया। खाद्य विभाग की जाँच के बाद, मौके पर पहुंचे सरस व कृष्णा बांड के क्वालिटी जाँच अधिकारियों ने जब डिब्बों की जाँच की तो उन्हें भी नकली बताया। चौंकाने वाली बात यह भी है कि आमजनता को ठगने के लिए मिलावटखोरी ने नकली पैकेजिंग पर सरस व कृष्णा ब्रांड का बारकॉड भी हुबहु कॉपी किया हुआ था।सरस डेयरी की तरफ से इस मामले में कॉपीराइट का मुकदमा भी मुहाना थाने में दर्ज किया गया ।
मात्र 4 दिन में जयपुर से 6000 किलो नकली घी जब्त । आपको यह जानकार बेहद हैरानी होगी कि - मात्र 4 दिन मे फूड डिपार्टमेंट ने जयपुर मे 6000 किलो नकली घी जब्त कर लिया है। आप समझ रहे है -कि सिर्फ पैसा कमाने के उद्देश्य से आपकी और हमारी सेहत व सामान्य जीवन के साथ कितना बडा खिलवाड किया जा रहा है। पॉम आइल वनस्पति तेल, रिफाईड तेल और ना जाने अन्य किन-किन पदार्थों में खुशबू मिलाकर नकली घी बेचा जा रहा है और आम जन इसे बडे ब्रांड का समझकर खा रहा है। इस नकली घी को खाने से अपच, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना ,हार्टअटैक जैसी अनेक बीमारियो का जन्म लेना स्वभाविक है। दिवाली के सीजन में जैसे-जैसे देशी घी की माँग बढती है, नकली घी भी बाजार में ज्यादा आता है। मिलावटखोरो को ना तो नैतिकमुल्यो की परवाह है ना ही आपकी और हमारी सेहत की। ऐसे मे प्रदेश में चल रहे - शुद्ध आहार मिलावट पर वार अभियान के तहत खादय विभाग अधिकारियों ने आमजन को जागरूक रहने की अपील की है। कोई भी खादय- समग्री खरीदते समय उत्पाद व उसकी पैकेजिंग पर ध्यान दे।
[ रिपोर्ट : अनुश्री यादव ]उपचुनाव के ठीक पहले 40 प्रिंसिपल बदले - मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की आपत्ति के बाद सरकार का यु -टर्न
दौसा ; राजस्थान मे चुनावी बिगुल बज चुका है। कल उपचुनावो की तारीखों का ऐलान हुआ, लेकिन इस ऐलान के चंद घंटो पहले ही राज्य के दौसा जिले मे 40 प्रिंसिपल बदल दिये गये। शिक्षा विभाग की तरफ से जारी सुचना के अनुसार 40 प्रिंसिपलों का ट्रांसफर दौसा से बांसवाडा और बाडमेर जिले में कर दिया गया है। आपको बता दे , राजस्थान में होने वाले उपचुनावों में दौसा 1 बड़ी व महत्वपूर्ण सीट है। जिले में आज से आचार संहिता लागू हो गई है निर्वाचन विभाग के अनुसार चुनावो में दौसा संवेदनशील जिलो के अतंर्गत आता है। भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक, 13 नवंबर को दौसा विधानसभा सीट पर मतदान होना है, ऐसे में उपचुनाव घोषणा के ठीक पहले, एक साथ 40 प्रिंसिपलो का स्थानांतरण होना वहाँ के स्थानीय लोगो को असामान्य प्रतीत हुआ।
इसमे गौर करने वाली बात यह भी है कि - तबादले किए गये प्रिंसिपलो में से 26 प्रिंसिपल एक ही जाति के थे। शिक्षा विभाग द्वारा जारी सुची के अनुसार ट्रांसफर हुये 26 प्रिंसिपल मीणा जाति से है | अब यह तबादला वहाँ चुनावी मुद्दे का रूप ले चुका है। काबिलेगौर यह भी है- कि इन 40 प्रिंसिपलों में से 25 प्रिंसिपल दौसा के ही मुल निवासी है। मंगलवार को उपचुनाव की घोषणा से चंद घंटो पहले ही शिक्षा विभाग ने तबादला सूची जारी की जिसमे प्रिंसिपल, वरिष्ठ अध्यापक और तृतीय श्रेणी के शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। जिसमें अधिकांश स्थानीय व एक ही जाति विशेष [ मीणा ] के थे।
मंत्री किरोड़ीलाल की आपत्ति के बाद सूची निरस्त।
इस प्रकिया पर दौसा के स्थानीय निवासियों ने सवाल उठाये। जब डॉ. किरोडी लाल मीणा के पास शिकायते पहुंची तो उन्होंने भी इसे आपत्तिजनक स्वीकारा। कैबिनेट मंत्री किरोडीलाल ने कहा की मैंने इस विषय मे शिक्षा मंत्री से बातचीत की है, इस तरह के तबादले से मतदाताओ मे गलत संदेश जाना स्वभाविक है व जल्द ही सरकार इसमे संशोधन करेगी। डॉ किरोडी लाल के इस बयान के ढाई घंटे बाद ही तबादला सूचि निरस्त कर दी गई।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि - शिक्षा विभाग की और से जारी तबादला सूचियों में जो कमियां रह गई थी उन्हें संसोधित किया गया है व सभी 40 प्रिसिपलों की तबादला सूची निरस्त कर दी गयी है जबकि व्याख्याता, वरिष्ठ अधिकारियो व अन्य शिक्षक श्रेणी की सुची जल्द ही सशोधित की जायेगी।
[रिपोर्ट ; अनुश्री यादव ]
जयसिंहपुरा खोर में दुष्कर्म की शिकार हुई नाबालिग से मिले प्रताप सिंह खाचरियावास, जनरल वार्ड में शिफ्ट करने पर जताई नाराजगी
जयपुर: पिछले दिनों जयपुर के जयसिंह पुरा में नाबालिक के साथ हुए दुष्कर्म को लेकर राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री रहे पुताप सिंह खाचरियावास ने सोमवार को एसएमएस अस्पताल में उपचाराधीन पीडिता से मुलाकात कर हाल चाल जाने। वहीं पर पीडिता को जनरल वार्ड में शिफ्ट करने को लेकर चिकित्स अधिकारियों को भी दो टूक सुनाई। खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार मनमर्जी से कार्य कर रही है। आमजन की सुध लेने वाला कोई नहीं। भाजपा राज में दुष्कर्म और अपराध की घटनाएं बढ़ रही है। पीडिता का हालचाल लेने SMS अस्पताल पहुंचे थे पूर्व मंत्री दरअसल सोमवार को पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास SMS अस्पताल पहुंचे थे। उन्होनें अस्पताल में दुष्कर्म पीड़ित बच्ची से मिलकर उसके स्वास्थ्य के बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त की। ऐसे में पीडिता के परिजनों ने खाचरियावास को शिकायत की थी कि डॉक्टर बिना कुछ बताए पीडिता को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर गए। सुनकर खाचरियावास ने मौजूद चिकित्सकों के सामने नाराजगी जाहिर करते हुए ईलाज में लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए।
पिछले दिनों घर से उठा कर ले गए थे आरोपी आपको बता दे कि जयपुर के जयसिंहपुरा खोर थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव में पिछले दिनों एक दलित बच्ची को चार लोग जबरन उठाकर ले गए उसके साथ बलात्कार किया रात को घर के बाहर फेंक कर चले गए ,बच्ची को चार दिन बाद होश आया लेकिन आज तक दहशत में बच्ची दिमागी रूप से स्वस्थ नहीं हो पाई है दुष्कर्म पीड़ित बच्चियों के लिए नॉर्म्स तय किए गए हैं। उन्हें जनरल वार्ड में नहीं रखा जा सकता, लेकिन दुष्कर्म पीड़ित बच्ची जो अब तक पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है उसके घर वाले परेशान है उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। बच्ची बार-बार चिल्ला रही है, मैंने डॉक्टर से कहा है की बच्ची को फिर से आईसीयू में ले या अलग से रूम की व्यवस्था कर इलाज की पूरी व्यवस्था करें। खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री मंत्रियों के सचिवालय से मात्र 500 मीटर दूर दुष्कर्म पीड़ित अच्छे इलाज को और न्याय को तरस रही है।
दलित परिवार के गरीब मां-बाप परेशान, नहीं है किसी को मिलने की फुर्सत खाचरियावास ने कहा कि दलित परिवार के गरीब मां-बाप परेशान है, लेकिन मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री किसी मंत्री या सरकार के किसी विधायक को बच्ची से मिलने की फुर्सत नहीं है। खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री को फुर्सत ही नहीं मिल रही राजस्थान को संभालने की पिछले 10 महीने में मुख्यमंत्री दिल्ली और विदेश के दौर में सिर्फ आसमान में हवाई जहाज में घूम रहे हैं राजस्थान की कानूनी व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है, रोज बच्चियों के साथ बलात्कार, लूट ,अपहरण, डकैती की घटना हो रही है, लेकिन शासन को संभालने की मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पास फुर्सत नहीं है, खाचरियावास ने कहा कि राजस्थान की हर बेटी मुख्यमंत्री की बेटी है दुष्कर्म पीड़ित बच्ची भी मुख्यमंत्री की बेटी है मुख्यमंत्री और सरकार को बच्ची और उसके परिवार से मिलकर बच्ची के इलाज की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए, दलित परिवार को आर्थिक सहायता देकर अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे भविष्य में दुष्कर्म की घटनाएं रुक सके!... रिपोर्ट: संदीप अग्रवाल
सांसद राजकुमार रौत और विधायक अभिमन्यु पूनिया उतरे SI भर्ती रद्द नहीं करने के समर्थन में, लिखा सीएम को पत्र
जयपुर : राजस्थान पुलिस में एस आई भर्ती 2021 निरस्त होगी या नहीं इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। इस मुद्दे पर लगातार बयान बाजी भी तेज हो गई है। एस आई भर्ती परीक्षा को लेकर दो पक्ष आमने-सामने हो गए हैं। जहां बेरोजगार युवा लगातार सड़कों पर उतरकर भर्ती परीक्षा को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ट्रेनी एस आई और उनके परिजन सड़कों पर उतरकर लगातार भर्ती परीक्षा को निरस्त नहीं करने की मांग कर रहे हैं। सड़कों पर बैठे परिजन लगातार विरोध जाता रहे हैं और मामले में कार्यवाही कर फर्जी लोगों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार को अनुचित तरीकों से परीक्षा पास करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन परीक्षा रद्द करना निर्दोष अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा। परिजन लगातार हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर परीक्षा रद्द नहीं करने को लेकर विरोध जता रहे हैं। सरकार की ओर से इस भर्ती परीक्षा को लेकर 6 मंत्रियों की एक समिति बनाई है इस समिति के द्वारा ही निर्णय लिया जाएगा की परीक्षा को रद्द किया जाएगा या नहीं। परीक्षा में 800 से अधिक अभ्यर्थी चयनित हुए थे। और पुलिस अकादमियों में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें से 50 प्रशिक्षु उप निरीक्षक को राजस्थान पुलिस की विशेष शाखा यानी की एसओजी की ओर से गिरफ्तार कर लिया गया है। युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक अभिमन्यु पूनिया ने कहा कि इस भर्ती को रद्द करना मेहनतकश युवाओं के हितों पर कुठाराघात होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर एसआई भर्ती-2021 को निरस्त नहीं करने की मांग की है। अभिमन्यु पूनिया ने इस पत्र में लिखा कि प्रदेश के मेहनतकश युवा, जिन्होंने अपने माता-पिता के खून पसीने की कमाई से पढ़-लिखकर नौकरी प्राप्त की है। उन युवाओं को कुछ चंद असामाजिक तत्वों की करतूतों की सजा नहीं मिलनी चाहिए। कुल भर्ती में से 5 प्रतिशत दोषी अभ्यर्थियों के कारण से इस संपूर्ण भर्ती को निरस्त किया जाता है तो यह उन मेहनतकश निर्दोष अभ्यर्थियों के साथ कुठाराघात एवं अन्याय होगा।
इस भर्ती में हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर से चयनित एक भी सब इंस्पेक्टर एसओजी की जांच में दोषी नहीं पाया गया है. जो प्रमाणित करता है कि इस क्षेत्र में पेपर लीक की घटना नहीं हुई है। आपको बता दें की सांसद राजकुमार रोत ने भी भर्ती को रद्द करने का विरोध जताया है। राजकुमार रोत ने कहा की सरकार वेरिफाई कर ले, जिन्होंने गलत किया है। उन्हें बाहर करे। राजकुमार रोत के बयान के बाद एसआई भर्ती परीक्षा रद्द न करने की मांग तेज हो गई। एसआई भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाकर भर्ती परीक्षा को रद्द करने के लिए भाजपा नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीना लगातार भजनलाल सरकार पर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कई सार्वजनिक मंचों से इस भर्ती को रद्द करने की बात कही है। वे एसओजी मुख्यालय भी गए थे। जहां उन्होंने अधिकारियों को एसआई भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली के सबूत दिए थे। किरोड़ी लाल मीणा लगातार इस भर्ती परीक्षा को रद्द कराने की मांग करने हैं। हालांकि चयनित अभ्यार्थियों के परिजनों ने किरोड़ी लाल मीणा से मुलाकात कर इस भर्ती परीक्षा को निरस्त नहीं करने की मांग की थी। एसआई भर्ती निरस्त करने पर अब गृह विभाग अंतिम फैसला लेगा. जिसकी कमान खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पास है. एसआई भर्ती को लेकर सरकार ने छह मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने अब अपनी रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है. ऐसे में माना जा रहा है कि गृह विभाग जल्द इस भर्ती को लेकर फैसला कर सकता है
एएनएम भर्ती में अनिश्चितता, अभ्यर्थियों का सब्र टूटने लगा
Edited by: Kritika
प्रदेश में 2023 में निकली हजारों एएनएम (आयुर्वेदिक नर्सिंग मिडवाइफ) के पदों की भर्ती हाल फिलहाल अटकी पड़ी है। इस भर्ती के लिए अभ्यर्थी लगातार सरकार से जल्द से जल्द नियुक्तियां देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन अब अभ्यर्थियों के सब्र का बांध टुटने लगा है। वे सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार से गुजारिश कर रहे हैं और नियुक्तियों के न होने पर आंदोलन करने की बात भी कह रहे हैं। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।
सत्ता परिवर्तन का असर
इस पूरे मामले में सत्ता परिवर्तन एक बड़ा कारण बन गया है। 2023 में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने प्रदेश में 4,847 एएनएम के पदों पर भर्ती निकाली थी। कांग्रेस ने यह भर्ती वोट बैंक बटोरने के लिए की थी। इसके बाद सभी फॉर्मलिटी भी पूरी की गई। लेकिन जैसे ही विधानसभा चुनाव हुए और जनता ने कांग्रेस की जगह बीजेपी को सत्ता सौंप दी, बीजेपी ने कांग्रेस राज में जारी की गई योजनाओं और भर्तियों की समीक्षा शुरू कर दी। कई भर्तियों और योजनाओं को निरस्त भी कर दिया गया।
भर्ती की स्थिति
हालांकि, बीजेपी ने हाल ही में एएनएम की अंतिम वरीयता सूची जारी कर के भर्ती प्रक्रिया को गति दी थी। लेकिन अब एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी चयनित एएनएम का जिला चयन पोर्टल नहीं खोला गया है, जिससे भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर रुक गई है। एएनएम अभ्यर्थी लगातार सरकार और स्वास्थ्य भवन के अधिकारियों से संपर्क कर जिला चयन पोर्टल को खुलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विभाग पर इसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है।
अभ्यर्थियों की चिंताएं
इस समय प्रदेश के एएनएम अभ्यर्थियों के सब्र का बांध टूटने लगा है। वे अब सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए तैयार हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अभ्यर्थी कभी भी प्रदेश की राजधानी जयपुर में आंदोलन के लिए डेरा डाल सकते हैं। उनका मानना है कि यदि आने वाले दिनों में पांच सीटों पर उपचुनाव की आचार संहिता लागू होती है, तो इस भर्ती प्रक्रिया को एक बार फिर रोक दिया जाएगा।
उपचुनाव की संभावना
प्रदेश में पांच सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, जिनमें खींवसर, झुंझुनूं, चौरासी, देवली उनियारा और दौसा शामिल हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर उपचुनाव की आचार संहिता लागू हुई, तो यह भर्ती प्रक्रिया खटाई में पड़ सकती है।
इसलिए, अभ्यर्थियों का यह डर वाजिब है। वे अब सरकार से जल्दी से जल्दी नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी भविष्य की संभावनाओं पर कोई खतरा न आए। सरकार की इस मुद्दे पर चुप्पी ने अभ्यर्थियों में निराशा बढ़ा दी है और उनकी नाराजगी किसी भी समय उबाल ले सकती है। एएनएम की भर्ती की इस स्थिति ने प्रदेश के हजारों अभ्यर्थियों को तनाव में डाल दिया है। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे का समाधान कैसे करती है और क्या अभ्यर्थियों की मांगों को ध्यान में रखकर जल्द ही नियुक्तियों का ऐलान किया जाएगा या नहीं।