मंगलवार को इंदौर में रेप के झूठे आरोपों से परेशान होकर एक युवक ने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली।
इंदौर : मध्यप्रदेश में इंदौर के बाणगंगा क्षेत्र के एक युवक ने दुष्कर्म के झूठे आरोपों से परेशान होकर गुरुवार को आत्महत्या कर ली। जानकारी के मुताबिक गौरव पुत्र राजू हाड़ा को उसकी महिला टीचर परेशान करती थी। युवक के पिता ने बताया कि गौरव की टीचर उस पर रेप का झूठ आरोप लगाकर उससे पैसों की मांग कर रही थी। इस सब से परेशान होकर युवक ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना तब सामने आई जब उसकी छोटी बहन ने रात में गौरव को फंदे पर लटका हुआ देखा और परिवार को सूचित किया। युवक के पिता ने पुलिस पर भी भ्रष्टाचार आरोप लगाते हुए दावा करा है कि पुलिस ने उनसे 45 हजार रुपये की मांग करी।
कोचिंग टीचर ने मंगलवार को गौरव के खिलाफ महिला थाने में रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। उज्जैन रोड के एक बड़े हॉस्पियल से बी.फार्मा की पढ़ाई कर रहा युवक इन सभी आरोपों से बहुत परेशान था। गौरव के फंदा लगाने की खबर सुनते ही परिवार में हड़कंप मच गया और उसके परिजन उसे आनन फानन में नजदीकी अस्पताल लेकर गए। वहाँ से उसे एमवाय हॉस्पिटल भेजा गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस सब से परेशान होकर युवक के परिजनों ने महिला थाने के बाहर चक्काजाम करते हुए पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग करी। गौरव के पिता और बहन का कहना है कि टीचर के भेजे हुए धमकी भरे मैसेज भी पुलिस को सौंपे थे। मगर सबूत होने के बाद भी महिला थाना प्रभारी और एसाई ने गौरव की बात नहीं सुनी। पुलिस ने पैसे लेकर मामले को दबाने की कोशिश करी।
पिता ने पुलिस पर लगाया आरोप
गौरव के पिता का आरोप है कि युवती ने ब्लैकमेल करते हुए उनके बेटे से पाँच लाख रुपयों की मांग करी थी। इसके अलावा पिता ने पुलिस पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बताया कि पुलिस ने गौरव को छोड़ने के बदले उनसे 45 हजार रुपये की मांग करी और पैसे लेने के बाद ही गौरव को छोड़ा। इस सब से परेशान गौरव घर आने के बाद बहुत रोया और फिर कमरे मे चल गया। जहां उसने आत्महत्या कर ली। परिवार ने ये भी बताया कि इंग्लिश कोचिंग की टीचर और उसकी मां उनके बेटे को परेशान कर रही थी और झूठे केस में फँसने की धमकी दे रही थी।
फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है और अभी तक प्रथम दृष्टया जांच मे महिला थाना प्रभारी को ही दोषी बताया जा रहा है। लेकिन आपको बात दें कि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। बीते कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां झूठे आरोपों के चलते युवकों ने आत्महत्या कर ली हो। लेकिन देश की धीमी कानून और न्यायिक प्रणाली होने के कारण ऐसे मामले या तो सामने ही नहीं या पाते या दबा दिए जाते हैं।
पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले
पूर्व में लखनऊ के सैरपुर स्थित होटल ड्रिप में भी एक सर्राफा व्यवसायी ने तमंचे से गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। मृतक मनोज सोनी ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था जिसमें एक महिला की ब्लैकमेलिंग से तंग आकर उसने ये कदम उठाने की बात कही। वह रेप के आरोप में जेल जा चुका था और जमानत पर बाहर आया था। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उसे झूठे रेप के मुकदमे में फंसाया गया। उसने महिला पर उससे 9 लाख रुपये वसूलने की भी बात कहे और आखिर में 16 जुलाई 2024 को मनोज ने इस सब से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
वही केरल के कोच्चि में भी महिला ने एक व्यक्ति पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर गर्भवती करने का आरोप लगाया था। आरोप लगने के बाद व्यक्ति ने अप्रैल 2015 में आत्महत्या कर ली थी। वहीं सोनीपत के गांव शेखपुरा के रहने वाले अनूप पर मुरथल थाना में एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पुलिस के गिरफ्तार करने के बाद अनूप ने भी जेल में आत्महत्या कर ली थी।
ऐसी कई वास्तविक घटनाएं हैं जहां कुछ महिलायें अपने बदले के लिए या पैसों के लिए महिला कार्ड खेलती है। मासूम और निर्दोष लोगों पर रेप का झूठा आरोप लगाती है। जिनसे परेशान होकर आदमी की मानसिक स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि वह आत्महत्या कर लेता है। भारत में झूठे आरोपों के मामले में कई कानूनी प्रावधान हैं। लेकिन इनका उपयोग ना के बराबर होता है। झूठे आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 211 (झूठी रिपोर्ट करने पर सजा) और धारा 182 (पुलिस को झूठी सूचना देने पर सजा) का प्रावधान है। ये कहानी केवल गौरव की नहीं है ना ही अपने बेटे को खोने का ये दुख केवल गौरव के परिवार का है। ये दुख उन लाखों लोगों का है जिन्होंने किसी भी तरह के झूठे आरोपों के कारण अपने जीवन को बर्बाद होते हुए देखा है। आज हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है जहां न्याय प्रणाली तेज और प्रभावी हो। ऐसे झूठे आरोपों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं ताकि समाज में कभी किसी और गौरव को अपनी जान ना गंवानी पड़े।