नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने एक बार फिर विधानसभा में दलित और आदिवासियों का मुद्दा उठाया। नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। और आरक्षण नीति से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। टीकाराम जूली ने सदन में जनजाति क्षेत्रीय विकास एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अनुदान की मांगों पर चर्चा के दौरान कहा भाजपा सरकार सामाजिक न्याय और दलितों के लिए लंबी-लंबी बातें करती है। सरकार ने अपने घोषणा पत्र में एससी-एसटी वर्ग से किया वादा एक भी पूरा नहीं किया है। यहां तक की वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन का भुगतान तक नहीं किया गया है। जब भी सरकार से इस पर सवाल करो तो वह अलग-अलग जवाब देती है। टीकाराम जूली ने कहा आज देश में दलितों की स्थिति बेहद चिंता जनक हो गई है। दलितों पर अत्याचार के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद राजस्थान का नंबर आता है। राजस्थान में हर महीने तीन दलित और एक आदिवासी की हत्या हो रही है।
टीकाराम जूली ने राजस्थान में हर महीने हो री दलित और आदिवासियों की हत्या
जूली ने दलितों पर हो रहे अत्याचारों के कई उदाहरण देते हुए बताया कि एससी-एसटी के लोगों को आए दिन जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया जाता रहा है और उन पर आपसी समझौता करने के लिए दबाव बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि एससी के मामले में केवल 43 प्रतिशत ही कार्रवाई होती है और एसटी के मामले में तो यह प्रतिशत 40 ही रह गया है। आज 75 वर्षों के बाद भी सभी लोगों ने प्रयास किए हो, चाहे सत्ता पक्ष या प्रतिपक्ष सरकार में रहे हो। लेकिन जहां तक इन वर्गों को लाभ मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल सका। मात्र सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन की बात हम समझते हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन के लिए रोस्टर रजिस्टर का संधारण तक नहीं किया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने ऑर्डर निकाल रखे हैं, लेकिन इसकी पालना नहीं होती।
टीकाराम जूली ने पेंशन योजना पर सरकार को घेरते हुए कहा कि मंत्री बार-बार गलत तथ्य पेश कर सदन को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने नियम बनाकर पेंशन की व्यवस्था लागू की थी जिससे देरी नहीं हो सकती थी, लेकिन सरकार अब भी पेंशन जारी करने में देरी कर रही है।
जूली ने कहा आदिवासियों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ
जूली बोले, उनकी सरकार ने बच्चियों के लिए स्कूटी देने की योजना शुरू की थी। आज करोड़ों रुपए की स्कूटी कबाड़ हो रही हैं और बालिकाएं इंतजार कर रही हैं। सरकार कह रही है कि योजना को बंद नहीं किया गया है। प्रदेश में आज भी दलितों के दूल्हों की बारात पुलिस के संरक्षण में निकाली जाती है। इसके लिए हमारी मानसिकता दोषी है। जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक इसका समाधान निकाला जाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में सामाजिक समरसता और सौहार्द को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि लोगों की मानसिकता बदले। टीकाराम जूली ने कहा पिछले डेढ़ वर्षों में दलितों पर अत्याचार की स्थिति को देखें तो प्रदेश के सरकारी कार्यालयों और विद्यालयों में कार्यरत दलित अधिकारी और कर्मचारियों के साथ जातीय द्वेषता बढ़ी है। प्रदेश में घटी दलित अत्याचार और हत्या की घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए जूली ने कहा कि उन्हें प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है, जिनमें से कई मामलों में तो प्रताड़ित हुए लोगों को मानसिक अवसाद की स्थिति में आत्महत्या तक करने को मजबूर होना पड़ा है।