मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश की 8 करोड़ जनता का ध्यान रखते हुए विकसित एवं उत्कृष्ट राजस्थान बनाने के लिए सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष को साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि सदन की मर्यादा कैसे रहे, यह सुनिश्चित करना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्यों की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कई दिन से चले आ रहे गतिरोध के समाप्त होने के बाद गुरुवार को सदन में अपने वक्तव्य में कहा कि जब हम सभी सदस्य सदन में चर्चा करते हैं और वाद-विवाद होता है तो कई बात ऐसी भी निकल जाती है जो हम कहना नहीं चाहते लेकिन उसके लिए सदन बाधित होना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हम चाहे पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के सदस्य हों, राजस्थान की जनता को हम सभी से बहुत बड़ी उम्मीदें हैं। जनप्रतिनिधि के प्रति जनता के मन में जो सम्मान और समर्पण का भाव होता है, उसका अगर ध्यान रखेंगे तो मेरा और तेरा का फर्क खत्म हो जाएगा।
जो भी बोलें, सोच विचार कर बोलें क्योंकि जो गलत है वो खुद के लिए भी गलत
शर्मा ने कहा कि हमारा कोई भी वक्तव्य जो सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं होता है, वह जनता या अन्य सदस्यों के लिए ही गलत नहीं होता बल्कि खुद के लिए भी गलत और रात काली करने वाला होता है। जो भी सदस्य गलत बोलता है उसको पश्चाताप होता है। इसलिए हम जो भी बात बोलें, उसे सोच-विचार कर रखना चाहिए क्योंकि छोटी सी बात धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते कितनी बड़ी हो जाती है।
अध्यक्ष हम सभी के लिए सम्माननीय, नियमों की पालना करना ही सबसे बड़ा नियम
मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यक्ष के आसन पर बहुत बड़ी-बड़ी विभूतियां विराजमान रही हैं, वो सभी हमारे लिए सम्मानीय रहे हैं। अध्यक्ष हम सभी के लिए सम्माननीय होते हैं। सदन को चलाने के लिए अध्यक्ष ही हमारे प्रमुख होते हैं। उन्होंने कहा कि सदन में हमारे साथी कई बार प्रूफ देते हैं, नियमों की जानकारी देते हैं लेकिन सबसे बड़ा नियम और संयम यह है कि हम इन नियमों की पालना करें। जोर से हल्ला मचाते हुए या एक दिन किसी सुर्खी को बनाने से पहले हमें ध्यान देना चाहिए क्योंकि सदन का समय बहुत कीमती होता है और इसका पूरा खर्च राजस्थान की जनता वहन करती है। हमें सोचना चाहिए कि सदन में हमारा एक-एक मिनट कैसे उपयोगी हो सकता है। राजस्थान की जनता के लिए हम क्या कर सकते हैं। अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति के प्रति हमारी सद्भावना क्या है, उस पर विचार करने के लिए यह सदन है।
अच्छे को अच्छा और गलत को गलत कहना सीखना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में हमारे विपक्ष और पक्ष के जो भी सदस्य अच्छा बोलते हैं, मैं उनको फोन करता हूँ कि आप बहुत अच्छे बोले। मैंने नेता प्रतिपक्ष को भी एक बार फोन करके कहा कि आपने अच्छी बात बोली। उन्होंने कहा कि अच्छे को अच्छा कहना हमें सीखना होगा। अच्छी बात बोलने वालों को उत्साहित करना होगा और गलत को गलत भी कहना होगा। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से मंत्री द्वारा बोले शब्दों को विलोपित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जनता हमें देखती है इसलिए टिप्पणी चाहे उधर से हो या इधर से हो, कहीं भी ठीक नहीं होती है। जिस उद्देश्य, भाव और भावना से सदन में राजस्थान की जनता ने हमें भेजा ह,ै हमें उसे पूरा करना है। उन्होंने कहा कि हम तो विपक्ष को अपनी ताकत मानते हैं और विपक्ष जो भी कहता है, उस बात पर संज्ञान भी लेते हैं जिससे राजस्थान की जनता को उसका फायदा मिले।
मुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य में प्रतिपक्ष के नेता और मुख्य सचेतक को भी धन्यवाद दिया कि उन्होंने गतिरोध समाप्त करने की पहल करने के लिए संपर्क किया। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में गतिरोध समाप्त करने की पहल करते हुए वार्ता करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का धन्यवाद व्यक्त किया