राजस्थान सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने की सूचना पर ग्रामीण क्षेत्र में हलचल तेज हो गई है। सरपंचों का कार्यकाल बढने के बाद प्रशासनिक स्तर पर पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसको लेकर नई ग्राम पंचायतें बनने और नई पंचायत समिति अस्तित्व में आने को लेकर गांवों में चर्चाएं होने लगी हैं।
पंचायतों का भूगोल बदलने की तैयारी हुई शुरू
राजस्थान में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन की प्रक्रिया अगले चार महीनों तक चलेगी। इसके बाद नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां अस्तित्व में आएंगी। प्रशासनिक से ज्यादा यह मुद्दा राजनीतिक भी है। क्योंकि पंचातयों का पुनर्गठन सीधे-सीधे जन प्रतिनिधियों को भी प्रभावित करेगा। ऐसे में पंच, सरपंच और विधायक से लेकर सांसद तक इस प्रक्रिया को लेकर अपने फायदे-नुकसान का हिसाब किताब बैठा रहे हैं।
आपको बता दें की पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया इससे पहले 2013 में भी की गई थी। तत्कालीन पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति बनाई गई थी। मंत्रिमंडल समिति के सिफारिश पर प्रदेश में करीब 1200 नई पंचायत और 50 नई पंचायत समिति गठित की गई थी। मौजूदा समय की बात करें तो वर्तमान में 11304 पंचायत है। जबकि 352 पंचायत समिति और जिला परिषद की संख्या 33 है।
पंचायतों के पुनर्गठन के लिए मापदंड किए तय
पंचायतों को पुनर्गठन के लिए तीन श्रेणी में बांटा गया है। पहले 40 ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति बनती थी, और अब यह संख्या 40 से कम कर 25 कर दी गई है। पंचायतों के पुनर्गठन के बाद ही पंचायत चुनाव होंगे। पंचायत से लेकर पंचायत समितियां और जिला परिषदों के पुनर्गठन का खाका तैयार हो गया है। प्रदेश में 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पंचायतो राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम होगा। इसमें नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां बनाने के साथ-साथ मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं की सीमाओं में भी बदलाव होगा। इसके लिए जनसंख्या और दूरी के पुराने मापदंडों में छूट दी गई है। जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कामों के लिए अब अधिक दूर नहीं जाना पड़ेगा। नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए कलस्टर 20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलेक्टर प्रस्ताव तैयार करेंगे। 20 फरवरी से 21 मार्च तक राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 101 के तहत तैयार प्रस्ताव को प्रसारित कर आपत्ति बुलाई जाएंगी। जिबकी 23 मार्च से 18 अप्रेल तक जो आपत्तियां प्राप्त होगी उनका निस्तारण किया जाएगा।
जल्द बदलेगा राजस्थान में गांवों का नक्शा
ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन, नवसृजन के लिए वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। साल 2011 के अनुसार, जिले में ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 11 लाख तीन हजार 603 थी। इस हिसाब से जिले में करीब 270 से अधिक ग्राम पंचायतें बन सकती हैं। नई ग्राम पंचायत के लिए कम से कम 3000 और अधिक से अधिक 5000 जनसंख्या को आधार बनाया गया है। जबकि पूर्व में हुए पुनर्गठन में अनुसूचित, सहरिया और मरुस्थलीय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी पूरा प्रदेश में एक ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम 5,000 और अधिकतम 7,500 आबादी का मापदंड रखा गया था। जानकारी के अनुसार, 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम होगा।