अलविदा 2024: राजस्थान की राजनीति में कुनबा बढ़ाने में नहीं हो पाए सफल  अलविदा 2024: राजस्थान की राजनीति में दिग्गज नेता कुनबा बढ़ाने में रहे असफल 
Wednesday, 25 Dec 2024 12:30 pm

Golden Hind News

 

साल 2024 खत्म होने को है। साल 2024 कई दिग्गज नेताओं के लिए उतार चढाव भरा रहा। इस कई नेताओं ने राजस्थान की राजनीति में एंट्री मार कर की सियासी पारे को खूब चढ़ाया। तो वहीं दिग्गज नेताओं को इस साल हर का स्वाद भी चखना पड़ा। साल 2024 में लोकसभा चुनाव हुए इसके साथ ही राजस्थान की 7 सीटों पर उपचुनाव भी हुए। यह उपचुनाव कई मायनों में अहम रहे। दोनों ही चुनाव में कई नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारा। लेकिन वह उन्हें जीत नहीं दिला पाए। और नेताओं को सबसे बड़ी सियासी शिकस्त का सामना करना पड़ा। राजस्थान में कई ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने चुनाव में शायद ही कभी हार का सामना किया हो। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, बृजेंद्र ओला और सांसद हनुमान बेनीवाल का नाम इसमें शामिल है। लेकिन जब बारी आई अपना कुनबा बढ़ाने की तो चारों नेताओं ने अपने रिश्तेदारों को मैदान में उतारा लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

राजस्थान के चार नेताओं को 2024 में मिली शिकस्त 
सबसे पहले बात करते हैं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत को 2024 में सबसे बड़ा सियासी झटका लगा। अशोक गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत को मैदान में उतारा लेकिन जीत नहीं दिला पाए। वैभव गहलोत ने सिरोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। दरअसल अशोक गहलोत वैभव गहलोत को लोकसभा चुनाव जितवा कर राजनीतिक में एंट्री करवाना चाहते थे। लेकिन वैभव गहलोत की हार के साथ अशोक गहलोत का सपना अधूरा रह गया। वैभव गहलोत को दूसरी बार हर का सामना करना पड़ा। इसी के साथ इस साल राजनीति के जादूगर को सबसे बड़ा सियासी झटका लगा।

नेताओं को मिली शिकस्त ने खुब बटोरी सुर्खियां 
किरोड़ी लाल मीणा एक ऐसे नेता है जो हमेशा अपनी बात को बैबाकी तरीके से रखते हैं। किरोड़ी लाल मीणा ने उपचुनाव में अपने भाई जगमोहन मीणा को मैदान में उतारा। इस चुनाव में किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन सामने सचिन पायलट थे इसलिए बाबा के लिए चुनाव इतना आसान नहीं था। यही वजह रही कि किरोड़ी लालमीणा अपने भाई जगमोहन मीणा को जीत नहीं दिला पाए। चुनाव हारने के बाद किरोड़ी लाल मीणा ने भाजपा नेताओं पर ही चुनाव हराने का आरोप लगाया था। किरोड़ी लाल मीणा के लिए अपने भाई को जीत नहीं दिला पाना सबसे बड़ी सियासी हार मानी जा रही है।

उतार चढाव के बीच 2024 में दिलचस्प  रही राजनीति 
हनुमान बेनीवाल ने विधानसभा उपचुनाव में अपनी ही छोड़ी हुई खींवसर विधानसभा सीट से अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतारा था। हनुमान बेनीवाल इस सीट को अपने बल पर कई बार जीत चुके हैं। ऐसे में उन्हें पूरा भरोसा था कि जनता उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल पर भी विश्वास जताएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को खींवसर सीट पर हार का सामना करना पड़ा। हनुमान बेनीवाल के लिए साल 2024 में सबसे बड़ी सियासी हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही विधानसभा में आरएलपी का प्रतिनिधित्व भी खत्म हो गया। यही वजह है की हनुमान बेनीवाल के लिए इस साल सबसे बड़ी सियासी हार रही।
कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ओला ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान झुंझुनूं विधानसभा सीट से अपने बेटे अमित ओला को टिकट दिलवाया था। ओला परिवार की विरासत का जिम्मा अमित ओला के कंधों पर था। बृजेंद्र ओला को भरोसा था कि वह अपने बेटे को जीत दिलाएंगे और विधायक बनाएंगे। लेकिन बृजेंद्र सिंह ओला के सपने पर पानी फिर गया। अमित ओला पहली बार चुनाव लड़ रहे थे और अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने जा रहे थे। लेकिन अमित ओला की शुरुआत हार से हुई। हालांकि बताया जाता है कि बृजेंद्र सिंह ओला खुद के दम पर यह चुनाव लड़ना चाहते थे ऐसे में कांग्रेस के दिग्गजों का उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिला।  ऐसे में बृजेंद्र सिंह ओला को सबसे बड़ी सियासी हार का सामना करना पड़ा।