सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दरगाह विवाद मामले में आया नया मोड़
अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पिछले कुछ दिनों में लगातार चर्चाओं में बनी हुई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार की राय के बिना कोर्ट इस पर आदेश जारी नहीं करेगा। साथ ही एक बड़ा फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस केस को सुन रहा है, तब तक देश में कहीं भी इस तरह के नए मामले पर सुनवाई नहीं होगी। यानी विवाद की स्थिति बनी तो केस दाखिल किए जाएंगे, लेकिन ट्रायल कोर्ट में उस पर कोई सुनवाई नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दरगाह कमेटी ने किया स्वागत
ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का स्वागत किया है। कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहां की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद में न्यायपालिका पर हमारा विश्वास फिर से कायम हुआ है।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से धार्मिक स्थलों पर नए वाद दायर नहीं कर सके जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वागत किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर धार्मिक स्थलों पर नए वाद दायर ना कर सकने एवं कोई भी अदालती फैसला देने पर रोक लगाने का आदेश स्वागत योग्य है। पिछले कुछ समय से देश में सांप्रदायिक ताकतों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए ऐसी याचिकाएं लगाई जा रहीं थीं जिससे देश में तनाव पैदा हो रहा था। ऐसे आदेश से इन शरारती तत्वों पर रोक लगेगी एवं शांति कायम होगी।
सरवर चिश्ती ने कहा की ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह धर्मनिरपेक्षता और मिली जुली संस्कृति को बढ़ावा देती है। दरगाह में मंदिर होने के वाद को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है। जिसकी वजह से कई लोगों को ठेस पहुंची है। 800 साल पुरानी दरगाह पर भी केस दायर कर दिया गया इसकी वजह से पूरे देश में हलचल मच गई थी। सरवर चिश्ती ने कहा कि गरीब नवाज की रूहानियत है जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट से यह फैसला आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
चिश्ती ने कहा कि हमें उम्मीद है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का उल्लंघन जहां भी हो रहा है और खुदाइयां हो रही हैं, उस पर विराम लग सके। सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 प्रभावी तरीके से लागू करेगी, ताकि जगह-जगह जहां खुदाई अभियान चल रहा है। इससे लोगों में अफरा तफरी माहौल है और लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हिंदू और मुसलमान में बढ़ रहे विवाद पर विराम लगेगा। सरवर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में केंद्र सरकार को भी चार हफ्ते का समय दिया है। मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार भी अपना रूप स्पष्ट करेगा और ऐसी बात करेगा जिसकी वजह से हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच में जो बहस छिड़ी हुई है वह खत्म होगी। और इससे एक नई पहल होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद में इस पूरे मामले पर हिंदू सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। विष्णु गुप्ता ने इस मामले को लेकर कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर जो सुनवाई हुई है उसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से दी गई 18 याचिकाओं का जिक्र किया गया है। 9 याचिकाएं ज्ञान व्यापी से जुड़ी हुई है जबकि 9 याचिका मथुरा ईदगाह को लेकर थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जितनी भी याचिकाएं नीचली अदालत में चल रही है उन सभी की कार्रवाई पर रोक लगाई गई है।
मंदिर और दरगाहों के सर्वे के आदेश पर भी लगाई रोक
विष्णु गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार किया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में 18 उन याचिकाओं पर सुनवाई हुई जिसका हवाला मुस्लिम पक्ष ने दिया है। उन याचिकाओं में अब कोई नया ऑर्डर नहीं होगा और ना ही सर्वे का आर्डर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की किसी भी अदालत में नया वाद दायर नहीं होगा। जबकि जो वाद दायर हो चुके हैं, वो ऐसे ही चलते रहेंगे और उन पर किसी भी प्रकार की कोई रोक नहीं है। अजमेर दरगाह मामले पर इसका कोई भी असर नहीं पड़ेगा। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 में अजमेर दरगाह नहीं आती है। अजमेर की दरगाह एक कब्रिस्तान है कब्रिस्तान की कभी भी पूजा नहीं होती है इसलिए यह एक्ट में नहीं आती है। दरगाह मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होने वाली है। जिसमें हम सर्वे की मांग करेंगे।