ना कोई जान ना कोई पहचान, लेकिन फिर भी एक दूसरे के साथ जुड़कर यह काम करते हैं। क्यों सुनकर चौक गए लेकिन साइबर लुटेरों का नेटवर्क इसी तरह काम करता है। एक के बाद एक लोग आपस में जुड़ते जाते हैं, कड़ी दर कड़ी आपस में जुड़ती जाती है, लेकिन ना कोई किसी को जानता है और ना ही कोई किसी को पहचानता है। लेकिन सभी एक दूसरे के लिए काम करते हैं। इन सभी लोगों के द्वारा अलग-अलग बैंकों में खाते खुलवाए जाते हैं। यह सभी अकाउंट करंट अकाउंट होते हैं। इन अकाउंट के जरिए यह सभी एक दूसरे को फायदा पहुंचाने की कोशिश करते हैं। हालांकि इनमें से यह कोई नहीं जानता कि इस नेटवर्क की शुरुआत कहां से हुई। और इस नेटवर्क का अंत कहां हो रहा है। इन सभी लोगों को बैंक में अकाउंट खुलवाने के लिए एक अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।
पांच हजार में खाता खुलवा करते हैं करोड़ों की ठगी
अब आपके मन में एक सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर यह झांसे में कैसे लेते हैं। यह लुटेरे नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी की तर्ज पर काम करते हैं। लेकिन इसमें एक छोटा सा फर्क होता है और वह ये की मार्केटिंग कंपनी में हिसाब किताब रखा जाता है। और इसका कोई भी हिसाब किताब नहीं होता है। इस काम में मेहनत कम है और मुनाफा अधिक। यही कारण है कि लोग इस चक्कर में आसानी से फंस जाते हैं। और साइबर लुटेरों के लिए स्लीपर सेल की तरह काम करने लगते हैं। बैंक में अकाउंट खुलवाने पर एक निर्धारित रकम पहले से तय होती है। यानी अकाउंट खुलवाने पर यह लुटेरे 5000 रुपए देते हैं। जैसे-जैसे बैंक अकाउंट की संख्या बढ़ने लगती है उसी हिसाब से पैसे भी बढ़ने लगते हैं। जो इन लोगों को बैंक खाता खुलवाने के लिए तैयार करता है उसे इससे भी अधिक रकम मिलती है। यह कर्म निरंतर ऐसे ही धीरे-धीरे आगे बढ़ता है जहां एक से दो दो से तीन और फिर धीरे-धीरे यह जाल फैलने लगता है। इस धंधे की शर्त होती है खाता खुलवाना, फिर चाहे आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हो।
साइबर ठग मिनटों में कर देते हैं अकाउंट खाली
आखिर पूरा का पूरा नेटवर्क काम कैसे करता है। तो यहां बैंक खाता खुलवाने वालों से उपर का जो व्यक्ति होता है वह बैंक खाते खुलवाने के लिए टेंडर लेता है। इसके बदले उसे लाखों रुपए मिलते हैं। और यही व्यक्ति खाता खोलने के बदले पैसे देता है सभी को। और सबसे बड़ी बात इससे भी ऊपर एक व्यक्ति बैठा होता है जो कई लोगों को खाता खुलवाने का काम देता है। इसी तरह ऊपर से लेकर नीचे तक कड़ी से कड़ी जुड़ते हुए यह कई अलग-अलग शहरों में काम चलता है।
बैंक खाता खोलने के लिए यह लोग आम आदमी जैसे की रेडी पटरी रिक्शेवाले, ठेले वालों को अपना शिकार बनाते हैं। इन लोगों को आसानी से फसाया जा सकता है। यह लोग खाता खुलवाने के पीछे इन लोगों को कई सारे लुभावने सपने दिखाते हैं। जैसे सरकार गरीबों को पैसा देगी, अन्य सुविधाओं के लिए सब्सिडी भी देगी। इसके बाद यह लोग जरूरी दस्तावेज लेकर बैंककर्मी से साठ गांठ करते हैं और करंट अकाउंट खुलवाने से लेकर ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा और पासवर्ड हासिल कर लेते हैं। इन खातों का उपयोग साइबर लुटेरे लूटी हुई रकम को इधर से उधर करने में इस्तेमाल करते हैं।
हो जाइए सावधान कहीं आपका भी अकाउंट खाली तो नहीं हो रहा
इन खातों के जरिए साइबर ठग एक शहर से दूसरे शहर में पैसा घूमाते हैं। पुलिस जब तक एक अकाउंट तक पहुंचती है तब तक यह किसी और अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर देते हैं। इस पूरे खेल में खाताधारक इन सब बातों से बिल्कुल अनजान होता है। पुलिस ने आमजन से अपील करते हुए कई बार कहा है कि यह सभी को समझना चाहिए कि सरकार कोई भी सहायता राशि सेविंग खाते में देती है, करंट एकाउंट में नहीं देती। यदि खाता खुलवाना भी है तो सीधे बैंक जाना चाहिए, किसी बिचौलिए की मदद नहीं लेनी चाहिए। साथ ही बैंक से खाते की जानकारी, एटीएम और पासवर्ड खुद लेना चाहिए और वो किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
साइबर लुटेरों से हो जाइए सावधान
अंजान लोगों से कोई बात नहीं करनी चाहिए। साइबर सुरक्षा को जीवन जीने की शैली के रूप में स्वीकार करना होगा। अनजान नंबर से आने वाले वीडियो कॉल को रिसीव नहीं करना है। अपने डिवाइस को हमेशा सुरक्षित रखें। अपने डेटा का बैकअप हर हफ्ते या फिर 15 दिन में जरूर लेते रहना चाहिए। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन उनी वेबसाइट पर करें जो एचटीटीपीएस से शुरू होती हैं। अगर ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल आप कर रहे हैं तो अपने फोन में एसएमएस की सेवा जरूर ले। यदि आपके क्रेडिट या फिर डेबिट कार्ड से कोई भी ऐसा ट्रांजैक्शन हुआ है जो आपको संदिग्ध लगता है तो पहले बैंक से संपर्क करें और उसके बाद पुलिस से भी। अगर आपके साथ ठगी हुई है तो राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 और राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड पोर्टल पर तुरंत शिकायत करें। सावधान रहीए और सुरक्षित भी।