क्या आप भी बाहर के खाने के शोकीन है। तो थोड़ा संभल जाइए कही ये शोक आप पर भारी ना पड़ जाए। वैसे तो राजस्थान खान पान के लिए खुब मशहूर है। लेकिन राजस्थान के इस स्वाद भरे खाने को मिलावटखोरों की नजर लग गई है। वो मैं आपको इसलिए कह रही हूं क्योंकि प्रदेश में खाद्य पदार्थ का हर तीसरा नमूना फैल हो रहा है। तो बाहर खाने से पहले अपनी सैहत का भी थोड़ा ख्याल जरूर रख लेना।
राजस्थान के पूरे सिस्टम में चल रहा मिलावट का खेल
सिस्टम के खेल भी अजब गजब हैं। यहां जांच होती हैं, कार्रवाई भी होती है, लेकिन उन पर अमल नहीं हो पाता। यही वजह है कि माफिया हो या मिलावटखोर, सभी का धंधा बदस्तूर जारी रहता है। त्योहार आने पर खाद्य विभाग की सक्रियता बढ़ जाती है। जोर शोर से छापे मारे जाते हैं, सैंपल लिए जाते हैं, जांच को भेजे जाते हैं। नमूने फेल आते हैं तो कार्रवाई के नाम पर जुर्माना और मुकदमा दायर करने की कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन सेटिंग से सब खेल हो जाता है।
राजस्थान में खाद्य पदार्थ का हर तीसरा नमूना फैल
आपको बता दें की प्रदेश में खाद्य सुरक्षा विभाग ने अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक कुल 9100 सैंपल लिए थे। इनमें से 2076 नमूने फेल हो गए हैं। यहां तक की 302 नमूने अमानक पाए गए हैं। यह पूरी तरह से अनसेफ और हानिकारक थे, जिन्हें खाने से लोगों की सेहत पर नुकसान हो सकता था। जबकि 1705 नमूने सब स्टैंडर्ड कैटेगरी में हैं और सिर्फ 69 नमूने मिस ब्रांड हैं। ऐसे में देखा जाए तो राजस्थान में लिए गए 23 फीसदी नमूने फेल हुए हैं।
इसके हिसाब से हम मिलावट का खाना ही खा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों की बात करें तो वह इससे साफ इंकार कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनका एक्शन मिलावट खोरी रोकने के लिए है इसीलिए वही नमूने ज्यादा लिए जाते हैं जहां मिलावट खोरी की आशंका सबसे ज्यादा होती है। कोटा की बात करें तो यहां 375 नमूने लिए गए जिसमें से 149 नमूने फेल हो गए हैं। इस लिहाज से फेल होने का रिकॉर्ड कोटा ने अपने नाम किया है। इस मामले में हाडोती और बारां भी पीछे नहीं रहे। दोनों मिलावट खोरी में दूसरे नंबर पर रहे। यहां 36.46 नमूने फेल हो गए हैं।
भोजन की थाली में यह कैसी मिलावट...
राजसमंद की बात करें तो यहां 154 नमूने लिए गए जहां 52 सैंपल में मिलावट पाई गई है। डूंगरपुर में 89 सैंपल लिए गए थे जिसमें से 30 सैंपल फैल हो गए। टोंक में 207 में से 69 नमूने इस टेस्ट में फेल हुए।
अब नजर राजसमंद, डूंगरपुर और टोंक पर डाल लेते हैं। आपको बता दें की यहां भी 33 फीसदी नमूने फेल हुए हैं। धौलपुर में 6.47, करौली में 6.53, भरतपुर में 11.7, जैसलमेर में 12.23 और चूरु में 12.86 प्रतिशत नमूने फेल हो गए हैं।
राजधानी जयपुर ने इस मामले में अनोखा रिकॉर्ड बनाया है। जयपुर में 835 नमूने लिए गए इनमें से 216 नमूने फेल भी हो गए। राजस्थानी जयपुर का फेलियर प्रतिशत 25.87 रहा। सबसे ज्यादा सैंपल लेने और फैल होने का रिकॉर्ड जयपुर ने अपने नाम किया। वही इस मामले में दूसरे नंबर पर अलवर रहा। अलवर में 587 नमूने लिए गए जिसमें से 30.49 प्रतिशत नमूने फेल हो गए।
पूरे सिस्टम में चल रहा मिलावट का खेल, राजस्थान में खाद्य पदार्थ के 23 फिसदी नमूने हुए फैल
वहीं खाद्य सुरक्षा विभाग की माने तो विभाग के अनुसार सैंपल लेने का टारगेट बढ़ाया गया है। यही कारण है कि नमूने ज्यादा फेल हुए हैं। विभाग की और से मिलावट खोरों को रोकना है इसलिए शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई। जिस इलाके की ज्यादा शिकायत मिली कार्रवाई भी वही सबसे अधिक की गई है। विभाग के द्वारा जिले भर में लगातार छापामार कार्रवाई की जा रही है। संदिग्ध मिलने पर संबंधित खाद्य पदार्थ का नमूना लिया जाता है, जो जांच के लिए लैब भेजा जाता है, वहां से रिपोर्ट मिलने पर अग्रिम कार्रवाई की जाती है। जिन लोगों के नमूने फेल आए हैं, उनको नोटिस जारी किए गए हैं।
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा अभियान चलाकर संदिग्ध पदार्थों के नमूने लिए जाते है, साथ ही उनकी गुणवत्ता की जांच लैब पर भेजकर कराई जाती है। अगर ये मानक के अनुरूप नहीं होते है, तो संबंधित के खिलाफ विभाग के द्वारा मुकदमा दायर किया जाता है, साथ ही जुर्माने की वसूली की जाती है। त्योहारों पर विभाग की सक्रियता बढ़ जाती है।