अजमेर। विश्व विख्यात ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का विवाद लगातार तुम पकड़ता जा रहा है। दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दवा किया जा रहा है। मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। जिसके बाद अब बयान बाजी भी बढ़ती जा रही है। दरगाह विवाद के मामले में शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने बड़ा बयान दिया है। मंत्री दिलावर ने कहा की बाबर, औरंगजेब समेत अन्य ने मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई थी। दरगाह के विवाद मामले में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से याचिका दायर की गई है।
मामले में न्यायालय करेगा निर्णय
शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री ने कहा की मामले में न्यायालय निर्णय करेगा। जांच होगी और कोर्ट खुदाई के आदेश देता है तो अवशेष मिलने के बाद निर्णय हो जाएगा। दरगाह विवाद मामले में जो याचिका दायर की गई है उसमें कहा गया है की दरगाह की जमीन पर भगवान शिव का मंदिर था जहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है। इतना ही नहीं बल्कि दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने का भी दावा किया गया है।
2022 में भी हिंदू संगठन ने किया था दावा
इस मामले में कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस देकर पक्ष रखने की बात कही है। आपको बता दें कि साल 2022 में भी हिंदू संगठन महाराणा प्रताप सेना ने भी दरगाह में मंदिर होने का दावा किया था। रिटायर्ड जज हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया गया है। इस पुस्तक में दरगाह के स्थान पर मंदिर का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही तहखाने में गर्भ ग्रह होने का प्रमाण है। दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश भी मौजूद है।