जयपुर: राजस्थान के पूर्व राजघराने में चल रहे विवाद ने सोमवार को हिंसा का रूप ले लिया| उदयपुर के सिटी पैलेस में परिवार के अन्य सदस्यों और विश्वराज के समर्थकों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई| राजगद्दी के लिए महाराणा प्रताप के वंशजो में ऐसा झगड़ा देखकर आम लोग अचंभित हैं | सिटी पैलेस में हुई पत्थरबाजी में कई लोग घायल हो गए| हिंसा को देखते हुए प्रशासन ने विवादित जगह को कुर्क कर रिसीवर की नियुक्ति कर दी | बता दे , यह पूरा मामला उदयपुर के पूर्व राजपरिवार सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड के निधन के बाद सोमवार को उनके बेटे विश्वराज सिंह के राज तिलक से जुडा है | सोमवार को सुबह विश्व विख्यात ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ दुर्ग मे स्थित फतेह प्रकाश महल में उनके राजतिलक की रस्म निभाई गई | 21 तोपो की सलामी के साथ सलूंबर रावत देवव्रत सिंह ने अंगूठा काटकर अपने खून से विश्वराज सिंह को तिलक लगाया और उन्हें गद्दी पर बिठाया | राजतिलक के बाद कार्यक्रम के आयोजकों ने ऐलान किया कि विश्वराज सिंह मेवाड धूणी दर्शन करने सिटी पैलेस जाएंगे| सिटी पैलेस पर कब्जा महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ का है| अरविन्द सिंह " महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट " के चैयरमैन हैं | अरविंद सिंह मेवाड़ ने एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करवा दी कि विश्वराज सिंह सिटी पैलेस ट्रस्ट के सदस्य नहीं है, इसलिए सिटी पैलेस में उनको प्रवेश नहीं दिया जाएगा| लेकिन राज तिलक के बाद समर्थकों के साथ विश्वराज सिंह धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस पहुंचे| समर्थकों ने सिटी पैलेस की बैरिकेटिंग हटा दी| विश्वराज तीन गाड़ियों के काफिले के साथ घुसे। लेकिन विश्वराज पूरा काफिला अंदर चाहते थे ,इसलिए उनके समर्थक और पुलिस आमने सामने हो गई| विश्वराज सिंह मेवाड़ और उनके समर्थकों ने सिटी पैलेस के रास्ते पर लगे बैरिकेड हटा दिए और काफिले की छह गाडि़यां जगदीश चौक तक पहुंची , जहां पुलिस ने रास्ता रोक लिया। इस दौरान सिटी पैलेस के अंदर से पत्थरबाजी हुई और समर्थकों ने पुलिस का घेरा तोड़ दिया। कुछ समर्थक महल की दीवारों पर चढ़ गए। पथराव में सिर पर बोतल लगने से एक महिला घायल भी हो गई | प्रशासन ने अब विवादित धूणी स्थल पर रिसीवर नियुक्त करने का निर्णय लिया है | समर्थकों की पुलिस से झड़प के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि जो भी हो रहा सही नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि एकलिंगजी मंदिर में धूणी की पुरानी परंपरा है, लेकिन यहां हंगामा होना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि परिवार का जो भी विवाद हो, लेकिन आज जो हो रहा है , वो कानून या रीति-रिवाज या फिर समाज किसी भी तरह से यह ठीक नहीं हो रहा है।
दरअसल मेवाड़ के महाराणा खुद को एकलिंगजी के दीवान मानते हैं | महाराणा की छड़ी यानि शासन करने की छडी को इसी मंदिर में दर्शन के बाद पुजारी नये उत्तराधिकारी सौंपते हैं | एक तरह से महाराणा की मान्यता इसी मंदिर से मिलती है| विश्वराज सिंह चितौड़ में राज तिलक के बाद मंदिर जाना चाहते थे | लेकिन एकलिंगजी मंदिर भी ट्रस्ट के अधीन है | इसलिए अरविंद सिंह मेवाड़ ने विश्वराज के मंदिर में प्रवेश पर पांबदी लगा दी | सिटी पैलेस दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के कब्जे में है।दिवंगत भगवत सिंह मेवाड़ की वसीयत से अरविंद सिंह स्वयं को महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउंडेशन का अध्यक्ष बताते हैं। इस बारे में ट्रस्ट द्वारा रविवार शाम दो आम सूचनाएं जारी की गईं। एक आम सूचना में कहा गया कि विश्वराज ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं। सोमवार को पैलेस म्यूजियम में सुरक्षा की दृष्टि से अनाधिकृत लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसलिए विश्वराज को बाहर ही रोक दिया गया |
आइए आपको बताते हैं की मेवाड़ की गद्दी के लिए महाराणा प्रताप के वंशज आख़िर क्यों भिड़े हुए हैं? 1984 में महाराणा भगवत सिंह के निधन के बाद इस विवाद की शुरुआत हुई थी। एक तरफ जहां भगवत सिंह के बड़े बेटे महेंद्र सिंह का मेवाड़ के ठिकानेदारों ने राजतिलक कर उन्हें सांकेतिक तौर पर नया 'महाराणा' माना। वही दूसरी ओर से भगवत सिंह के छोटे बेटे अरविंद सिंह ने एक वसीयत पेश करते हुए सारी संपत्ति का वारिस खुद को बताया था। इसी के बाद से महेंद्र सिंह मेवाड़ का परिवार सिटी पैलेस समोर बाग में रह रहे हैं। जबकि अरविंद सिंह मेवाड़ के सिटी पैलेस के शंभू निवास में रहते है| अरविन्द सिंह" महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट" और महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन और HRH ग्रुप में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके तहत ही एकलिंगनाथ जी का मंदिर आता है। आपको बता दे मेवाड़ राजवंश में महाराणा प्रताप के बाद 19 महाराणा बने हैं | 1930 में भूपाल सिंह मेवाड़ के महाराणा बने| 1955 में भूपाल सिंह की मौत के बाद भगवत सिंह मेवाड़ के महाराणा बने | ये मेवाड़ के आखिरी महाराणा थे भगवत सिंह के दो बेटे और एक बेटी थी | सबसे बड़े महेंद्र सिंह मेवाड़, छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ और बेटी योगेश्वरी| महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिह हैं विश्वराज नाथद्धारा से बीजेपी विधायक हैं, उनकी पत्नी महिमा कुमारी राजसमंद से बीजेपी सांसद हैं वही छोटे बेटे अरविंद सिंह के एक बेटा लक्ष्यराज सिंह हैं |
दरअसल राजपरिवार मे संपति को लेकर विवाद महाराणा भगवत सिंह के जीवनकाल में ही शुरू हो गया था | भगवत सिंह ने पैतृक संपत्तियों को बेचना और लीज पर देना शुरू किया तो बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ ने अपने पिता के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया | इस केस में महेंद्र सिंह मेवाड़ ने मांग रखी कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को हिंदू उतराधिकार कानून के तहत बराबर बांटा जाए |
दरअसल रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर एक्ट आजादी के बाद बना | इसमें नियम था कि बड़ा बेटा राजा बनेगा और सारी संपत्ति उसकी ही होगी लेकिन भगवत सिंह बड़े बेटे महेंद्र सिंह से नाराज थे | वो छोटे बेटे अरविद सिंह को अपना उतराधिकारी बनाना चाहते थे ,यानी सारी संपत्ति अरविंद सिंह की करना चाहते थे | कोर्ट को महाराणा भगवत सिंह ने तब जबाब दिया कि सभी संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकता है ये अविभाजनीय है | भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपतियों का एक्ज्यूक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह को बना दिया , इससे पहले भगवत सिंह ने महेंद्र सिंह मेवाड़ को ट्रस्ट और सपंति से बेदखल कर दिया था | लेकिन भगवत सिंह के निधन के बाद - मेवाड़ के अधिकतर सामंतों ने बड़े बेटे महेंद्र सिंह को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाकर महाराणा घोषित कर दिया लेकिन "MAHARANA TRUST" के प्रमुख छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ ही रहे तब से मेवाड़ में महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह दोनों खुद को महाराणा मानते आए हैं | अब महेंद्र सिंह के निधन के बाद एक बार फिर से राजपरिवार की सियासत गरमा गई है | अरविंद सिंह मेवाड़ ने अपने भतीजे विश्वराज सिंह को महाराणा मानने से इंकार कर दिया है ,और गद्दी की लालसा से राजपरिवार के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है|
शाही परिवार के दो गुटों के बीच सोमवार रात हुई झड़प के बाद जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने कहा कि हालात अब ,नियंत्रण में है उन्होंने मीडिया से कहा, "कानून और व्यवस्था पूरी तरह से नियंत्रण में है| महल के प्रतिनिधियों के साथ ही समाज के प्रतिनिधियों से भी बातचीत चल रही है जल्दी ही समाधान निकलेंगे|
[ रिपोर्ट : अनुश्री यादव ]