खींवसर में भाजपा ने 20 साल बाद हनुमान बेनीवाल के किले को किया ध्वस्त  क्या हनुमान बेनीवाल नहीं भेद पाए भाजपा का रचाया चक्रव्यूह 
Saturday, 23 Nov 2024 12:30 pm

Golden Hind News

भाजपा के चक्रव्यूह में फंसे हनुमान बेनीवाल 

 

आरएलपी के गढ़ खींवसर में भाजपा प्रत्याशी रेवतराम डांगा ने 13870 वोटों से शानदार जीत दर्ज की है। वर्ष 2008 के बाद यह पहला मौका है, जब बेनीवाल के हाथ से खींवसर की सीट निकल चुकी है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि पूरे खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है और इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल पीछे रह गई और यही हार की बड़ी वजह भी बनी। गौरतलब है कि आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे।

हनुमान बेनीवाल नहीं बचा पाए अपना किला
किसी की कोशिश कामयाब रही तो किसी का वर्चस्व टूटा भाजपा की घेराबंदी ने रालोपा की जीत के मंसूबों पर पानी फेर दिया। भाजपा के चक्रव्यूह को इस बार रालोपा के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल भी नहीं भेद पाए। यहां से प्रत्याशी उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल थीं जो कभी उनके ही खास रहे भाजपा उम्मीदवार रेवंतराम डांगा से हार गईं। तकरीबन सोलह साल से इस सीट पर हनुमान बेनीवाल या फिर भाई नारायण बेनीवाल का कब्जा रहा। लम्बे समय से खींवसर की जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले ‘हनुमान’ की संजीवनी बूटी इस बार रालोपा को ‘मूर्छित ’ होने से नहीं बचा पाई। पिछले सत्र में तीन विधायक वाली रालोपा इस बार शून्य हो कगई है।

विधानसभा में आरएलपी जीरो पर
आपको बता दें की खींवसर सीट से हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। पर इस बार यह सीट भी उनके हाथ से निकल गई। आरएलपी की प्रत्याशी कनिका बेनीवाल की इस हार के साथ ही विधानसभा में आरएलपी का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है। अब विधानसभा में आरएलपी का कोई भी विधायक नहीं है। कनिका बेनीवाल की हार को उनके पति व नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की बेहद करारी हार माना जा रहा है और इसे राजनीतिक रूप से बड़ा नुकसान भी कहा जा रहा है।
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर राजघराने से आते हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बड़ा बयान दिया था। मंत्री ने कहा था कि भाजपा हार ही नहीं सकती अगर भाजपा प्रत्याशी रेवंत राम डांगा चुनाव हार गए तो वो अपनी मूंछ और सिर मुंडवा लेंगे। उसके बाद आरएलपी के कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर तंज कसना शुरू किया और लिखा कि 23 नवंबर को खींवसर के चौराहे पर राजा साहब का मुंडन होगा। इस बात से राजपूतों में गुस्सा पनपा और पहली बार खींवसर के राजपूत एकजुट होकर पोलिंग बूथों तक पहुंचे और जमकर मतदान किया।
इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान हनुमान बेनीवाल ने रेवत राम डांगा को लेकर जो बयान दिए उसका भी असर देखने को मिला है। बेनीवाल ने डांगा को लेकर कई हल्के बयान दिए। जिसमें हनुमान बेनीवाल ने रेवतराम डांगा को कभी अनपढ़ बताया तो कभी पानी की बाल्टी भरने वाला बताया था। जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में गुस्सा फूटा और बूथ स्तर तक कड़ी मेहनत की गई।