राजस्थान भाजपा में अब जल्द बड़े स्तर पर बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। दिसंबर महीने में सत्ता और संगठन को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है। सदस्यता अभियान की परफॉर्मेंस संगठन के नेताओं का भविष्य तय करेगी, तो उपचुनाव के परिणाम सरकार में मंत्री पद संभाल रहे नेताओं का रिपोर्ट कार्ड बयां करेंगे। यही वजह है कि उपचुनाव में मंत्रियों ने अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी कमान संभाली। जिसका परिणाम 23 नवंबर को आएगा।
भाजपा के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा
राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान हुआ था। जबकि 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने उपचुनाव में अपने दम पर ताल ठोकी।वहीं भाजपा ने भी सभी 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। राजस्थान में बीजेपी सरकार के लिए उपचुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी राजस्थान की सत्ता में आई थी। हालांकि, सत्ता में आने के एक महीने बाद ही भाजपा को करणपुर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा में हार की कितनी होगी भरपाई
इसके बाद भाजपा को एक और झटका तब लगा जब लोकसभा चुनाव हुए। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 25 में से 11 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री मंत्री भजनलाल शर्मा के कार्य प्रदर्शन पर भी कई सवालिया निशान खड़े हो गए। भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने और पार्टी आलाकमान ने वसुंधरा राजे, दियाकुमारी, किरोड़ी लाल मीणा जैसे दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री बनाया था। अब विधानसभा उपचुनाव सीएम भजनलाल शर्मा के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।
राजस्थान विधानसभा उपचुनाव परिणाम सत्ता और संगठन की अग्निपरीक्षा
प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अब परिणाम की ओर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। उपचुनाव परिणाम सरकार में मंत्री पद संभाल रहे कई नेताओं के भविष्य तय करेंगे। पार्टी भले ही सामूहिक रूप से इस बात को स्वीकार न करती हो, लेकिन पार्टी के अंदर खाने इस बात की चर्चा जोरों पर है की जिस भी विधानसभा सीट पर पार्टी की परफॉर्मेंस डाउन होती है, तो उस विधानसभा की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री पर गाज गिर सकती है। पार्टी ने स्थानीय विधायकों के साथ-साथ प्रभारी मंत्री और चुनाव प्रभारी मंत्री के नाते दो-दो मंत्रियों को हर विधानसभा की जिम्मेदारी दी थी, जहां पर उपचुनाव हो रहे हैं। एक महीने से यह सभी मंत्री सरकारी कामकाज को छोड़कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में जुटे रहे। अब जब 23 नवंबर को परिणाम आएंगे, तो इन नेताओं का रिपोर्ट कार्ड भी सामने आ जाएगा।
क्या भाजपा लहरा पाएंगी जीत का परचम
राजस्थान की झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूम्बर और रामगढ़ सीट के लिए उपचुनाव हुए हैं। इनमें से चार कांग्रेस के पास थीं, जबकि सिर्फ एक सीट भाजपा के पास थी। वहीं, भारत आदिवासी पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पास एक-एक सीट थी। लोकसभा चुनाव में 25 में से 11 सीटें हारने वाली बीजेपी के लिए कांग्रेस के कब्जे वाली सीट पर उपचुनाव में जीत दर्ज करना बड़ी चुनौती है।