उपचुनाव के दंगल में अंतिम दिन सीएम और अध्यक्ष ने संभाला मोर्चा
राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा, कांग्रेस, भारत आदिवासी पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी में पूरी ताकत झोंकी। प्रचार के अंतिम दिन नेताओं ने रोड शो किए कई जनसभाएं की और एक दूसरे पर बाल पलटवार भी किए। प्रचार थमने से पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने रोड शो और जनसभा के जरिए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। वहीं अगर बात करें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तो वसुंधरा राजे इस पूरे चुनाव प्रचार से दूर रही। वसुंधरा राजे की प्रचार से दूरी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही।
विधानसभा उपचुनाव के रण में भाजपा ने झोंकी ताकत
दोसा सीट पर भाजपा ने रणनीति बनाते हुए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को इससे दूर रखा। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को झुंझुनू विधानसभा सीट पर प्रचार से दूर रखा गया। इन दोनों ही सीटों पर मंत्रियों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाले रखी।
7 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने चुनाव प्रचार की कमान संभाले रखी। प्रत्याशियों के नाम की घोषणा होने के बाद से ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने प्रचार प्रसार शुरू कर दिया और दोनों नेता नामांकन सभा और रैली में शामिल हुए। दीपावली के बाद मानव जैसे चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया। और उसके बाद सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ दोनों की जोड़ी ने सभी विधानसभा सीटों पर एक के बाद एक चुनावी सभा की और रोड शो किए। दोनों नेताओं ने एक साथ चुनावी प्रचार संभाल। जिसकी शुरुआत 8 नवंबर से देवली उनियारा विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर के समर्थन में प्रचार से की गई।
9 नवंबर को झुंझुनू में राजेंद्र भामू और खींवसर में रेवत राम दंगा के समर्थन में सीएम भजनलाल शर्मा और मदन राठौड़ ने चुनावी सभा की। उसके बाद जगमोहन मीणा के समर्थन में 10 नवंबर को दौसा में रोड शो किया गया। उसी दिन रामगढ़ में सुखवंत सिंह के समर्थन में जनसभा भी की। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ दोनों के लिए ही उपचुनाव के परिणाम किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं रहने वाले हैं।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने चुनाव से बनाए रखी दूरी
लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दूरी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उपचुनाव वाली सातों सीट में से किसी भी सीट पर चुनाव प्रचार नहीं किया ना ही कोई जनसभा की। चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी पोस्टर या फिर होर्डिंग में वसुंधरा राजे नजर नहीं आई। कुछ लोगों का मानना है कि कहीं वसुंधरा राजे की दूरी पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित ना हो जाए।
सीएम और अध्यक्ष ने संभाले रखा मोर्चा
भारतीय जनता पार्टी ने सातों सीटों पर नाराज नेताओं को मनाने के कोई कसर नहीं छोड़ी। जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने नाराज नेताओं से मुलाकात कर उनकी नाराजगी दूर की। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने भी सभी विधानसभा सीटों पर प्रचार का जिम्मा सम्भाला। लेकिन पार्टी के दो बड़े नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को डोसा और झुंझुनू विधानसभा सीट से दूर रखा गया। किरोड़ी लाल मीणा और सतीश पूनिया की अदावत पूर्व में कई बार चर्चाओं में रही है। यही कारण रहा की पार्टी में सतीश पूनिया को दूसरा विधानसभा सीट से दूर रखा। वही शेखावाटी में जाटों की नाराजगी के चलते पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को झुंझुनूं विधानसभा सीट से दूर रखा गया।