राजस्थान में मृतक बताकर ,सैकडो जिंदा बुजुर्गो की पेंशन बन्द सरकार के अजब-गजब कारनामे, जिवित बुजुर्गो को मृत घोषित कर बंद की पेशन।
Sunday, 27 Oct 2024 00:00 am

Golden Hind News

 जयपुर : राजस्थान के वित्त विभाग की भारी लापरवाही ने जनता के बीच असंतोष पैदा कर दिया है। प्रदेश में सैकडो पेशनधारियों की पेंशन बंद कर दी गई है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रहे सैकडो बुजुर्गों को कागजों में मृत बता दिया गया जबकि वे जीवित है। निजी कंपनियो को लाभ पहुंचाने के चक्कर में विभाग के अधिकारियों ने राज्य राजस्थान में की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दिया है। IFMS 3.0 साफटवेयर के नाम पर करोडो रुपये का घोटाला सामने आया है।

IFMS 3.0 SOFTWARE से करोडो का घोटाला 

 आपको बता दे, IFMS 3.0 एक Integrated financial management system & जो  राजस्थान सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन, पेंशन व अन्य वितिय लेनदेन से संबंधित सभी गतिविधियों को प्रबंधित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड  ने कहा कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट था लेकिन इसे जल्दबाजी मे लागू किया गया। वित्त विभाग ने आधे-अधुरे प्रोजक्टर को लागू कर दिया जिससे विभाग के कर्मचारी भी असहाय है।
IFMS 3.0 Software अब एक बडा सिरदर्द बन गया है, जिंदा लोग ही अब पेंशन के लिए भटक रहे है जबकि कागजों में वे मृत घोषित हो चुके है। इस घोटाले से प्रभावित लोगो ज्यादातर बुजुर्ग है। जो असहाय व दूसरी पर आश्रित है एसे में खाते में पेंशन नही आने के कारण उनकी मुश्किलें और बढ़ गयी है। आपको बता दे राज्य में सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रहे नब्बे लाख पंजीकृत पेंशनधारियो में से वृद्धजन 60.34 लाख सामान्य है, 21.95 लाख एकलनारी व विधवा विशेष योग्यजन  हैं। इनमे से सैकडो लोगो की पेशन रोक दि गयी व कागजी तौर पर उन्हे मृतक घोषित कर दिया है 
इस पर लगातार आपतियों के बावजूद भी जैसे वित विभाग उच्च अधिकारियों पर असर ही नहीं हो रहा। गभीर विषय यह भी है कि फील्ड ऑफ़िसर्स को जिन मामलो का पता चला. उन्हे भी वेरीफिकेशन के नाम पर अटका दिया। इस स्थिति का नतीजा यह है कि राज्य के जिदा लोग ही पेंशन के लिए चक्कर काट रहे है जबकि मृतको के ख़तों में पेंशन के रुपये आ रहे है। और आलाअधिकारी इस पर जबावदेही नहीं ले रहे। कई सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता भी इस समस्या पर बुजुर्गो, एकलनारी, दिव्यांग व किसान वृद्धजन की आवाज उठा रहे है।
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है कि बुजुर्गो को हक से वंचित करने वालो के ख़िलाफ़ एक्शन लेना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी  स्थिति दोबारा ना बने ।
प्रभावितों में से झमकू देवी ने बताया कि जनाधार पोर्टल से ही उनका नाम हटा दिया और बिना किसी आधार के उन्हें मृत मान लिया गया वही कालादेह निवासी धापू देवी के पोटे सतोष ने बताया कि वह collecter कार्यालय के कई चक्कर लगा चुका लेकिन कोई निष्कर्ष नही निकला। राजसमंद के भीम तहसील मे चोटी गाँव की निवासी  मेणा देवी के परिवारजनो ने पेशन ना मिलने की समस्या  का निवारण करने के लिए कई संबंधित विकास अधिकारी को शिकायत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 73 वर्षीय भूराराम को जब यह पता चला कि दस्तावेज मे वे मृत घोषित कर दिये गये है तो  चौंक गये। भुराराम एकल पुरुष  है व pension ना मिलने कारण उम्र के इस पडाव में वे रिश्तेदारों पर ही पुरी तरह निर्भर है .. राज्य में ऐसे सैकडो मामले है। । इससे यह साफ का पता चलता है कि सरकारी  की योजनाए कितनी हवहवाई है व कितनी  धरातल  सुचारु रूप से चल रही है लेकिन सरकार की इस लप्रवाही से अपने ही राज्य के बुजुर्गो को अपना ही अस्तित्व साबित करने पर मजबूर कर दिया है

[ रिपोर्ट : अनुश्री यादव ]