राजस्थान में बदली सियासी हवा देवली उनियारा सीट पर भाजपा ने खेला गुर्जर पर दांव
Sunday, 20 Oct 2024 13:30 pm

Golden Hind News

राजस्थान में बदली सियासी हवा

 

 

 

राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की सियासी बिसात बिछना शुरू हो गई है। जिसमें टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है। टोंक सचिन पायलट का गढ़ होने की वजह से देवली उनियारा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। इस सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा ने देवली उनियारा से पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर पर दांव खेला है। हालांकि कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी घोषित करना अभी बाकी है। चर्चा यह भी है कि एक बार फिर से भारत आदिवासी पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी अपना प्रत्याशी यहां से मैदान में उतर सकती है।
पूर्व विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर का संघ परिवार से पुराना नाता है। राजेंद्र गुर्जर का शुरू से ही झुकाव आर एस एस के प्रति रहा। 1990 से 1994 तक राजेंद्र ने विद्यार्थी परिषद में काम किया। राजेंद्र गुर्जर 2000 से लेकर 2005 तक गुर्जर महासभा के जिला अध्यक्ष भी रहे। 2006 में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा में प्रदेश कार्य समिति के अध्यक्ष रहे। उसके बाद राजेंद्र को 2007 में युवा मोर्चा के टोंक जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। टोंक में गुर्जर आंदोलन का नेतृत्व किया। 2012 से लेकर 2018 तक राजेंद्र गुर्जर भगवान देवनारायण मंदिर जोधपुरिया ट्रस्ट के अध्यक्ष भी रहे। विधानसभा में 2014 से 2018 तक प्रश्न वह संदर्भ समिति के सदस्य भी रहे। पिछले 27 सालों से राजेंद्र गुर्जर आरएसएस के स्वयं सेवक हैं।

उपचुनाव पर सियासत गरमाई 
2013 में हुए विधानसभा चुनाव में देवली उनियारा सीट पर राजेंद्र गुर्जर ने चुनाव लड़कर बीजेपी का कमल खिलाया था। इस दौरान उनके सामने कांग्रेस के रामनारायण मीणा ने चुनाव लड़ा था। लेकिन इस दौरान रामनारायण मीणा को हार का सामना करना पड़ा। देवली उनियारा सीट पर मीणा, गुर्जर और एससी के 3 लाख 2 हजार 721 मतदाता हैं। राजेंद्र गुर्जर ने पार्टी की ओर से टिकट दिए जाने के बाद कहा पार्टी ने मुझे प्रत्याशी बनाकर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान किया है। हम सब मिलकर इस सीट पर एक बार फिर से बीजेपी का कमल खिलाएंगे। 
देवली उनियारा सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है। ऐसे में इस सीट पर भाजपा को थोड़ी मेहनत और करनी पड़ेगी। सियासी समीकरणों को लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष अजीत सिंह मेहता ने भी दावा करते हुए कहा है कि पिछले दो बार के चुनावों में हम यहां से हार जरूर गए थे लेकिन इस बार के चुनावों में भाजपा ऐतिहासिक वोटों से जीत हासिल करेगी।


देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है। वर्तमान में पूर्व सांसद नमो नारायण मीणा, पूर्व विधायक राम नारायण मीणा जो कि 2008 से 2013 तक इसी सीट से विधायक रहे व विधानसभा उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा प्रियंका गांधी के नजदीकी माने जाने वाले धीरज गुर्जर और नरेश मीणा मुख्य तौर पर दावेदार के रूप में देख जा रहे हैं. वहीं, हनुमंत मीणा, जो सांसद हरीश मीणा के बेटे हैं और राम सिंह मीणा का नाम भी चर्चा में है।

अलर्ट मोड पर आई बीजेपी-कांग्रेस
विधायक रहे हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो चुकी है। सचिन पायलट और हरीश मीणा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। टोंक विधायक सचिन पायलट और हरीश मीणा की मजबूत जोड़ी ने बीजेपी को हर बार करारी शिकस्त दी है। ऐसे में सियासी सवाल उठ रहा है, क्या उपचुनाव में बीजेपी पायलट और मीणा की मजबूत जोड़ी के कब्जे से देवली उनियारा की सीट को निकाल पाएगी? क्या भाजपा एक बार फिर से इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब हो पाएगी?