आय सीमा बढ़ाने का फैसला: महाराष्ट्र चुनावों से पहले नया मोड़? शिंदे सरकार का मास्टरस्ट्रोक: एक ही बैठक में दो बड़े फैसले, विपक्ष पर बढ़ा दबाव!
Thursday, 10 Oct 2024 13:30 pm

Golden Hind News

Edited by: Kritika

महाराष्ट्र : आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने दो महत्वपूर्ण फैसले लेकर विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस के लिए चिंता बढ़ा दी है। हरियाणा के चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस पर पहले से ही दबाव बढ़ा हुआ है, और अब महाराष्ट्र में एनडीए के इन कदमों ने उनके लिए चुनौती खड़ी कर दी है।

महाराष्ट्र सरकार का ओबीसी के लिए बड़ा फैसला

महाराष्ट्र की सरकार ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय को साधने के लिए एक अहम निर्णय लिया है। गुरुवार को शिंदे कैबिनेट ने यह प्रस्ताव पारित किया कि ओबीसी के लिए गैर-क्रीमी लेयर की वर्तमान आय सीमा को 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये किया जाए। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। गैर-क्रीमी लेयर की इस सीमा को बढ़ाने का मकसद यह है कि अधिक ओबीसी वर्ग के लोग आरक्षण का लाभ उठा सकें। इस फैसले को विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी वोटर्स को आकर्षित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का प्रस्ताव

ओबीसी के अलावा, शिंदे सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय को लुभाने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी गई है। इस अध्यादेश को आगामी विधानमंडल सत्र में पेश किया जाएगा। इस आयोग के लिए 27 पद स्वीकृत किए गए हैं। इस फैसले को एससी समुदाय के लिए संवैधानिक सुरक्षा और सशक्तिकरण के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल होंगी महाराष्ट्र की सात जातियां

शिंदे सरकार के इन फैसलों के साथ ही, राज्य सरकार ने केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची में महाराष्ट्र की सात प्रमुख जातियों और उप-जातियों को शामिल करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) द्वारा एक साल से अधिक समय से चल रही थी। एनसीबीसी ने अब इन जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की मंजूरी दे दी है।

राजनीतिक प्रभाव और कांग्रेस की स्थिति

महाराष्ट्र में भाजपा-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन की यह रणनीति विपक्षी दलों के लिए एक नई चुनौती पेश कर रही है। कांग्रेस, जो राहुल गांधी के नेतृत्व में जातिगत जनगणना की मांग कर रही है, अब एनडीए के इन कदमों से बैकफुट पर नजर आ रही है।

शिंदे सरकार का यह कदम चुनावों से पहले ओबीसी और एससी वोटर्स को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है, जो कांग्रेस के वोट बैंक को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है। ऐसे में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन को मजबूत रणनीतियां अपनाने की जरूरत होगी ताकि वे इस चुनौती का सामना कर सकें।