रतन टाटा का निधन: टाटा समूह के स्तंभ का यूँ जाना एक युग का अंत रतन टाटा: उद्योगपति से परे, एक दानवीर और समाजसेवी का यूँ जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति
Wednesday, 09 Oct 2024 00:00 am

Golden Hind News

Edited by : Kritika

Ratan Tata News : मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। 86 वर्षीय रतन टाटा ने अंतिम सांस ली। कुछ दिनों पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वे आईसीयू में थे। उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और उन्हें असाधारण इंसान बताया। उन्होंने कहा, "रतन टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु और असाधारण इंसान थे। उन्होंने टाटा समूह को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया और उनका योगदान उद्योग से परे, समाज सुधार में भी उल्लेखनीय रहा।" रतन टाटा का जीवन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत था, और उनका जीवनभर का योगदान भारतीय समाज के उत्थान के लिए समर्पित रहा।

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे नवल टाटा और सूनी कमिसारीट के बेटे थे। जब वे केवल 10 वर्ष के थे, उनके माता-पिता अलग हो गए, और उनकी परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की। रतन टाटा ने अपनी परवरिश और शिक्षा के दौरान अनेक संघर्षों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

रतन टाटा का जीवन केवल एक सफल उद्योगपति का नहीं था, बल्कि वे एक अद्वितीय दानवीर भी थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने हर क्षेत्र में नयी ऊंचाईयों को छुआ। चाय से लेकर लक्ज़री कार, नमक से लेकर होटल उद्योग तक, हर जगह टाटा का अद्वितीय प्रभाव रहा। उन्होंने टाटा समूह को एक वैश्विक पहचान दिलाई, जिसमें उनकी उदारता और समाज सेवा के कार्य भी शामिल थे। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और पशु कल्याण जैसे सामाजिक मुद्दों में योगदान देने के लिए सदैव तत्पर रहे।

रतन टाटा को उनकी सेवाओं के लिए पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। वे कहते थे, "मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही बनाता हूँ।" उनके लिए शक्ति और धन से अधिक मूल्य समाज में परिवर्तन लाना था। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सफलता के मायने केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि समाज के प्रति हमारे योगदान में भी छिपे होते हैं।

रतन टाटा के जाने से न केवल उद्योग जगत को, बल्कि पूरे समाज को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनकी यादें और उनकी सोच हमेशा हमारे साथ रहेंगी।