हरियाणा चुनाव 2024: राहुल गांधी ने सुलझाए हुड्डा-सैलजा के मतभेद, दोनों नेताओं को मिलकर सरकार बनाने की दी जिम्मेदारी
Thursday, 26 Sep 2024 13:30 pm

Golden Hind News

Written by : Kritika

Haryana Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं, और मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच दिखाई दे रहा है। कांग्रेस पार्टी पांच अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव से काफी उम्मीदें लगाए बैठी है। हालांकि, पार्टी के भीतर गुटबाजी की समस्या चरम पर है, जिससे चुनावी तैयारी प्रभावित हो रही है। कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से राज्य में दो खेमों में विभाजित है, और इसी खेमाबंदी के कारण पार्टी की वरिष्ठ नेता और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा कुछ समय के लिए चुनाव प्रचार से दूर हो गई थीं।

आंतरिक विवाद और पार्टी नेतृत्व की पहल

पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी के चलते कुमारी सैलजा ने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की पहल पर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की गई और सैलजा ने फिर से चुनाव प्रचार में सक्रिय भागीदारी शुरू की। राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने इस संकट को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया, जिससे कांग्रेस के भीतर एकता का संदेश गया।

कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस पार्टी इस बार चुनावी रणनीति में बदलाव करते हुए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है। पार्टी ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया है कि इस चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका को सीमित रखा जाएगा। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यह चुनाव किसी भी हाल में "मोदी बनाम राहुल गांधी" नहीं बनना चाहिए। इसके बजाय, पार्टी का ध्यान राज्य सरकार की नीतियों और उसके खिलाफ लोगों की नाराजगी पर केंद्रित है। इस कारण से कांग्रेस ने इस चुनाव में कोई बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा जोरशोर से नहीं उठाया है।

मजबूत होता आलाकमान

लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मजबूत स्थिति में है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी को 99 सीटें हासिल हुईं, जो पिछले कई वर्षों में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने भी उनकी छवि को सुधारने में अहम भूमिका निभाई। राजनीति के जानकार इसे एक बड़ी जीत मानते हैं, क्योंकि पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व कमजोर नजर आ रहा था, जिससे पार्टी के राज्य स्तर के नेताओं को नियंत्रण में रखना मुश्किल हो रहा था। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी इस समस्या के उदाहरण देखे गए थे।

हरियाणा में कांग्रेस की आंतरिक स्थिति

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान ने एक अलग रुख अपनाया है। पार्टी के भीतर उठे मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में कामयाबी हासिल की। राहुल गांधी की करनाल में हुई सभा में कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा दोनों मंच पर राहुल गांधी के साथ बैठे दिखे। इस सभा में राहुल गांधी ने सैलजा और हुड्डा दोनों से अलग-अलग बातचीत की। मंच पर कुमारी सैलजा को भूपिंदर सिंह हुड्डा के बराबर की जगह देना यह संदेश देता है कि पार्टी नेतृत्व दोनों नेताओं को समान महत्व दे रहा है।

संभावित नेतृत्व संघर्ष और हाईकमान की भूमिका

कांग्रेस पार्टी की एक परंपरा रही है कि जब भी पार्टी किसी राज्य में जीत हासिल करती है, तो विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में यह निर्णय लिया जाता है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। इस निर्णय का अधिकार विधायकों द्वारा पार्टी हाईकमान को सौंपा जाता है। ऐसे में सैलजा खेमे की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि अगर निर्णय का अधिकार केंद्रीय नेतृत्व के पास रहता है, तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उनके पास भी एक मौका हो सकता है।

राहुल गांधी की हरियाणा यात्रा

हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के तहत विपक्ष के नेता राहुल गांधी गुरुवार को करनाल पहुंचे। इस दौरान मंच पर उनके साथ कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा भी मौजूद थे। यह दृश्य दर्शाता है कि पार्टी के भीतर आंतरिक मतभेदों के बावजूद कांग्रेस एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतर रही है। राहुल गांधी की कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ मंच पर की गई बातचीत ने स्पष्ट किया कि पार्टी दोनों नेताओं को मिलकर चुनाव लड़ने और सरकार बनाने का टास्क दे रही है।

हरियाणा चुनाव में पार्टी की यह रणनीति कितनी सफल होती है, यह तो चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा। लेकिन, राहुल गांधी और कांग्रेस आलाकमान द्वारा की गई इस पहल ने हरियाणा में पार्टी के भीतर एक सकारात्मक माहौल बनाने का काम किया है।