आज दोपहर जैसलमेर के पोखरण फील्ड रेंज में मोर्टार बम फटनसे से सेना के तीन ट्रैनी जवान घायल हो गए। जवानों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी स्थिति स्थिर है।
जैसलमेर : शुक्रवार दोपहर को जैसलमेर के पोखरण फील्ड रेंज में बड़ा हादसा हो गया। रेंज में एक फायरिंग एक्सर्साइज़ के समय हुआ यह हादसा एक मोर्टार बम फटने से हुआ। हादसे में सेना के तीन ट्रैनी जवानों के घायल होने की खबर है। तीनों जवानों को अस्पताल पहुंचाया गया है। हालांकि, सेना ने अभी तक इस बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है। यह हादसा 51 मिलीमीटर मोर्टार बम फटने से हुआ। हादसे में घायल होने वाले तीनों जवान बीएसएफ़ के ट्रैनी जवान थे। कोई जवान गंभीर रूप से घायल नहीं है और सभी की हालत खतरे से बाहर है।
51 मिलीमीटर मोर्टार बम की कहानी
51 मिलीमीटर मोर्टार बम की शुरुआत ब्रिटिश सेना ने 1988 में की थी। आज कई देशों की सेना इसका इस्तेमाल करती है। ब्रिटेन की सेना ने 2007 में इसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। ये वजन में काफी हल्के होते हैं और इन्हें कहीं भी लाना ले-जाना बेहद आसान होता है। इनका प्रयोग दुश्मन के ठिकाने पर सटीक हमला करने के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा संचालन और प्रशिक्षण अभयासों में किया जाता है।
क्यों खास है 51 मिलीमीटर मोर्टार?
इसके लॉन्चर का वजन केवल 6.25 किलोग्राम होता है। इतना हल्का लॉन्चर होने के कारण इनकी हँडलिंग बेहद आसान हो जाती है। इसमें 28 इंच लंबा बैरल लगा होता है। ये मोर्टार एक मिनट में आठ बम फायर कर सकती है। इस मोर्टार से तीन तरह के बम फायर किये जा सकते हैं। बम 750 मीटर की दूरी तक दुश्मन के लक्ष्य को मिट्टी में मिला सकते हैं। इसमें एक 900 ग्राम का स्मोक बम, 420 ग्राम हाई-एक्सप्लोसिव और 800 ग्राम का फ्लैश बम डाल सकते हैं।
पहले भी कई बार हुए हैं ऐसे हादसे
बता दें कि मोर्टार का बम फटने से होने वाला यह भारत का कोई पहला हादसा नहीं है। इससे पहले भी भारत को कई बार मोर्टार बम फटने से नागरिक और सैन्य नुकसान का सामना करना पड़ा है। इससे पहले 1998 में कश्मीर में, 2000 में पंजाब, 2015 में जम्मू & कश्मीर और 2021 में छत्तीसगढ़ में भी इस तरह के हादसे हुए हैं। राजस्थान के किशनगढ़ फायरिंग रेंज में भी 2016 और 2017 में मोर्टार बम फटने से हादसे हो चुके हैं। भारत को पूर्व में भी कई बार इस समस्या का सामना करना पड़ा है।