जोर्डन घोषित हुआ लेप्रोसी मुक्त, 20 साल से नहीं मिला मरीज, डब्ल्यूएचओ ने किया ऐलान
Thursday, 19 Sep 2024 13:30 pm

Golden Hind News

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जोर्डन को किया विश्व का पहला लेप्रोसी मुक्त देश घोषित। 
 

जोर्डन : डब्ल्यूएचओ ने जोर्डन को विश्व का पहला लेप्रोसी मुक्त देश घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार जोर्डन में बीस सालों से ज्यादा समय से कुष्ठ रोग का कोई मरीज नहीं मिला है। आज भी दुनिया के 120 से ज्यादा देश इस बीमारी से पीड़ित हैं। दुनिया में इस के सबसे ज्यादा केस भारत में पाए जाते हैं। कुष्ठ रोग से पीड़ित दुनिया के 53.6%मरीज भारत में ही पाए जाते हैं। इस बीमारी ने सदियों से मानवता को परेशान किया है और अब जोर्डन का लेप्रोसी को हरा देना चिकित्सा के क्षेत्र में एक मिल का पत्थर है। 

क्या है लेप्रोसी के बारे में डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट?

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, "कुष्ठ रोग, जिसे लेप्रोसी कहा जाता है, एक पुरानी संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री बैक्टीरिया के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, यह मुख्य रूप से त्वचा, तंत्रिका, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों को प्रभावित करता है। WHO ने 2000 में इसे समाप्ति की स्थिति घोषित की थी, लेकिन अभी भी कुछ देशों में इसके मामले सामने आते हैं। समय पर उपचार, जैसे कि मल्टी ड्रग थेरेपी (एमएडटी), से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है और सामाजिक कलंक को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।" 

जोर्डन से कैसे हारा लेप्रोसी 

डब्ल्यूएचओ ने जोर्डन के लेप्रोसी मुक्त होने का सबसे बड़ा श्रेय जोर्डन की मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता और सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति को दिया। सबसे पहले जोर्डन सरकार ने पूरे देश में कुष्ठ रोग की पहचान करना आसान बनाया और मरीजों को मुफ़्त में उपचार देना शुरू किया। सरकार ने इस बीमारी के लक्षणों, उपचारों और सामाजिक कलंकों के बारे में लोगों कोजयगरुक करने के लिए अभियान चलाए। मरीजों की देखभाल और पहचान करने के लिए सरकार ने स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम चलाए। इसके बाद देश के जनता के साथ और निष्ठा से जोर्डन ने अपने देश को लेप्रोसी मुक्त बना लिया। 

भारत में लेप्रोसी 

भारत सरकार के आंकड़ों की मानें तो भारत में लेप्रोसी मरीजों की संख्या में कमी देखी गई है। भारत में 2014-2015 के बीच 1,25,785 मरीज देखे गए और ये आंकड़ा 2021-2022 के बीच घटकर 75,394 मरीज सालाना पर आ थमा। इतनी गिरावट के बाद भी लेप्रोसी आज भी देश में लाखों लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत में सबसे ज्यादा 'प्रोमैटस लेप्रोसी' प्रकार के मरीज पाए जाते हैं। इस प्रकार में त्वचा, नर्व्स और अन्य अंग प्रभावित होते हैं। देश में कुष्ठ रोग का इलाज सरकारी योजनाओं के अंतर्गत होता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को काफी मानसिक और शारीरिक चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता है। सही समय पर इलाज ना मिलने पर लेप्रोसी के मरीज को लकवे जैसी अन्य गंभीर बीमारियाँ भी हो सकती हैं। 

सदियों पुरानी बीमारी का उन्मूलन ऐतिहासिक : डब्ल्यूएचओ महानिदेशक 

जोर्डन के लेप्रोसी मुक्त होने की खुशखबरी दुनिया को देते समय डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि, "कुष्ठ रोग ने हजारों सालों से लोगों को पीड़ित किया है, लेकिन हम देश-दर-देश इसके संक्रमण को रोक रहे हैं और लोगों को इसके दुख और कलंक से मुक्त कर रहे है। जॉर्डन द्वारा सदियों पुरानी इस बीमारी का उन्मूलन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है और वैश्विक स्तर पर कुष्ठ रोग को खत्म करने के प्रयासों के लिए एक बड़ी सफलता है। लेप्रोसी सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि कलंक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक-आर्थिक नुकसान के खिलाफ भी एक लड़ाई भी है।