भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक नोटिस भेजकर सिंधु जल समझौते में बदलाव की मांग की है। भारत ने अपनी इस मांग के लिए कुछ जरूरी तर्क भी दिए हैं। पाक की ओर से अभी तक इस विषय पर कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया है।
भारत : सिंधु जल समझौते की आड़ में पाकिस्तान के ऐश उड़ाने के दिन अब खत्म होने वाले हैं। मोदी सरकार ने इस समझौते में बदलाव की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। भारत ने अपनी इस मांग के समर्थन में मुख्य रूप से तीन तर्क भी दिए हैं। 1960 में किया गया यह जल समझौता सिंधु एवं अन्य पाँच नदियों के जल बंटवारे को नियंत्रित करता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी जल समझौते को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस समझौते के नाम पर भारत के विकास में रुकावटें पैदा करता राहत है। वहीं भारत ने हमेशा ही इस विषय में पाक के प्रति एक उदार रुख अपनाया है। समझौते का आर्टिकल 12(3) प्रावधानों में समय-समय पर बदलाव करने की अनुमति देता है। भारत का कहना है कि 1960 के बाद से अब तक दोनों देशों की परिस्थितियाँ बहुत बदली हैं। इस कारण समझौते के प्रावधानों में बदलाव करना जरूरी है।
क्यों बदलाव चाहता है भारत?
भारत का कहना है कि 1960 में तय की गईं शर्तों का अब कोई आधार नहीं है। बीते वर्षों में काफी कुछ बदलाव है। भारत ने अपनी मांग के पीछे तीन मुख्य तर्क दिए हैं-
1) जनसांख्यिकी परिवर्तन - 1960 के बाद से अब तक दोनों देशों की जनसांख्यिकी में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। बीते वर्षों में भारत की आबादी बहुत गति से बढ़ी है। इसी कारण लगतार हो रहे शहरीकरण ने भी पानी की मांग को बढ़ा दिया है। वहीं कृषि, जलवायु और आर्थिक विकास के कारण भी इस समझौते के पुराने प्रावधान आज के समय में आधारहीन हैं।
2) क्लीन एनर्जी- पिछले वर्षों में भारत ने अपने कदम बहुत तेजी से क्लीन एनर्जी की दिशा में बढ़ाए हैं। लेकिन इस समझौते के कारण जन्म लेने वाला जल दबाव और नीतिगत चुनौतियाँ भारत की राह में बाधक सिद्ध हो रही हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ बढ़त तनाव और निवेशीय अस्थिरता के कारण भी भारत के कदम बंध जाते हैं।
3) आतंकवाद- पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के कारण भी भारत सिंधु जल समझौते मे बदलाव चाहता है। भारत के लाख चेताने पर भी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आता है। इसी कारण भारत इन बदलावों के सहारे पाक पर दबाव बनाना चाहता है।
इन वजहों के साथ किशनगंगा और रैटल परियोजनाओं को लेकर भी पाकिस्तानी रवैया भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
पाक ने नहीं दिया है कोई जवाब
भारत ने पाक को यह चिट्ठी 30 अगस्त को भेजी थी। लेकिन अभी तक इस विषय पर पाकिस्तान की ओर से कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है। पाक को सिंधु जल समझौते के होने से बहुत फायदा होता है। इसी कारण माना जा रहा है कि पाक इस समझौते के प्रावधानों में बदलाव का विरोध करेगा।
क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु जल समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाक के बीच किया गया था। इसके तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों को दोनों देशों के बीच बाँटा गया। पूर्वी नदियाँ (सतलुज, ब्यास, रावी) भारत को मिलीं और पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चेनाब) पाकिस्तान के हिस्से में गईं। तब से लेकर आज तक समय-समय पर दोनों देशों के बीच इस समझौते को लेकर विवाद जन्म लेता रहता है।