भारत सरकार द्वारा 2014 में शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान अपने दूसरे चरण में है। इसी बीच एक शोध में दावा किया गया है कि इस मिशन के पहले चरण के सफल होने के कारण देश में प्रतिवर्ष 60 से 70 हजार शिशुओं की जान बच रही है।
एक हालिया शोध में दावा किया गया है कि 2014 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन प्रतिवर्ष देश में 60 से 70 हजार शिशुओं की जान बचा रहा है। इस योजना के अंतर्गत अभी तक देश में लगभग 12 करोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। वहीं भारत सरकार के प्रेस इनफार्मेशन ब्युरो के अनुसार 2 अक्टूबर, 2019 तक सभी गांवों ने खुद को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित कर दिया था।
स्वच्छ भारत मिशन और शिशु मृत्यु दर और पाँच साल के कम के बच्चों की मृत्यु दर के बीच संबंध की जांच करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने लगभग 10 राज्यों के 640 जिलों के पिछले दस वर्षों के डाटा का विश्लेषण किया।
शौचालय कवरेज बढ़ने से आधी हुई शिशु मृत्यु दर
शोध के अनुसार जिन जिलों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 30 प्रतिशत से ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया वहाँ शिशु मृत्यु दर में बड़ी गिरावट देखी गई है। इन आंकड़ों का पूर्ण गुणांक लगभग 60 से 70 हजार शिशु जीवन प्रतिवर्ष के बराबर होगा। इसके अलावा जिला स्तर पर एसबीएम के कारण शौचालय पहुँच में 10 प्रतिशत की वृद्धि होने से जिला स्तर पर आईएमआर में 0.9 अंक और यू5एमआर में 1.1 अंक की कमी आई है।
* आईएमआर उस दर को दर्शाता है जिस पर एक वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले बच्चों की मृत्यु होती है।
* यू5एमआर उस दर को दर्शाता है जिस पर पाँच वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले बच्चों की मृत्यु होती है।
शोधकर्ताओं ने शोध में दावा किया है कि भारतीय बच्चों में फैल रही बौनेपन की बीमारी के पीछे भी खुले में शौच करना बड़ी वजह हो सकती है। 2003 में घरों मे शौचालयों का औसत कवरेज 46.7% था और शिशु मृत्यु दर 100 जन्मों पर 60 से अधिक थी। जो कि 2020 में घरों में शौचालयों का औसत कवरेज 81.2% होने पर ये दर आधी से भी कम होकर 30% से नीचे आ गई।
क्यों जरूरी था स्वच्छ भारत मिशन?
स्वच्छ भारत मिशन का मुख्य उद्देश्य देश को खुले में शौच से मुक्त करना था। मिशन के बाद देश के लाखों लोगों को खुले में शौच से जन्म लेने वाली सेंकड़ों बीमारियों से निजात मिली। भारत सरकार ने 2014 से 2021 के बीच इस मिशन की सफलता पर लगभग 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए। इस राशि से व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों का पूरे देश में निर्माण किया गया। इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत कचरा प्रबंधन के विषय पर भी प्रभावी रूप से काम किया गया। इस मिशन की सफलता से देश में स्वच्छता के आँकड़े बेहतर होने के साथ-साथ स्वास्थ्य खर्चों में भी कमी आई।
क्या है स्वच्छ भारत मिशन 2.0?
वर्तमान में सरकार स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण पर काम कर रही है। इसे 2022 में शुरू किया गया था। इसके तहत पहले चरण की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के साथ ठोस कचरा प्रबंधन के आधुनिक और अधिक बेहतर प्रणालियों पर काम किया जाएगा। इसे स्वच्छ भारत मिशन दो के नाम से जाना जाता है। सरकार ने एसबीएम 2.0 को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने पर भी मुख्य ध्यान दिया जाएगा। इसी के साथ इस चरण के अंतर्गत पहले चरण में बने शौचालयों की मरम्मत और रख रखाव पर ध्यान देना भी शामिल है।